PATNA. पटना में विपक्षी दलों की महाबैठक में लोकसभा चुनाव- 2024 साथ मिलकर लड़ने पर सहमति बनी हैं। अब विपक्षी दलों की अगली मीटिंग 12 जुलाई को शिमला में होगी, इस बैठक में सीटों के बंटवारे को लेकर भी मंथन होगा। इस बीच आम आदमी पार्टी की तरफ से विपक्ष के जमावड़े को झटका मिला है। शिमला मीटिंग में आने के लिए AAP ने सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़ी शर्त रख दी है।
केंद्र के काले अध्यादेश का विरोध करें कांग्रेस
शुक्रवार को पटना में मोदी और बीजेपी के खिलाफ हुई विपक्षी दलों की बैठक पर आम आदमी पार्टी ने बयान जारी किया है। इसमें AAP की तरफ से कहा गया है कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश का विरोध नहीं करती है और ये घोषणा नहीं करती है कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य में होने वाली बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा, जिसमें कांग्रेस भी हिस्सा ले रही है। केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है। अगर इस अध्यादेश को चुनौती नहीं दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति दूसरे राज्यों में भी अपनाई जा सकती है। परिणाम यह होगा कि जनता द्वारा चुनी गई दूसरे राज्य सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है। इसलिए इस काले अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना बहुत ही जरूरी है।
11 दलों ने कहा है अध्यादेश का विरोध करेंगे- AAP
आगे कहा गया कि बैठक में समान विचारधारा वाली 15 पार्टियां शामिल हुईं। इनमें से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी 11 दलों, जिनका राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है, उन्होंने काले अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख साफ कर दिया है और इन पार्टियों ने घोषणा की है कि वे राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे। लेकिन कांग्रेस ने अभी तक काले अध्यादेश को लेकर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है। वहीं, दिल्ली और पंजाब कांग्रेस ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए।
अध्यादेश पर कांग्रेस की चुप्पी संदेह पैदा करती है
आप ने कहा कि बैठक में कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की खुले तौर पर निंदा करने का आग्रह किया, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। कांग्रेस की ये चुप्पी संदेह पैदा करती है। व्यक्तिगत चर्चाओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में अध्यादेश पर मतदान की प्रकिया से दूर रह सकती है।
कांग्रेस तय करें वो दिल्ली की जनता के साथ या मोदी सरकार के साथ :AAP
आम आदमी पार्टी ने कहा कि यह काला अध्यादेश संविधान और संघवाद विरोधी होने के साथ ही पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। इसके अलावा, यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने के साथ-साथ न्यायपालिका का भी अपमान करता है। अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस की झिझक और टीम भावना के रूप में कार्य करने से इनकार करने से आम आदमी पार्टी के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल हो जाएगा, जिस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस ये तय करें कि वो दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ।
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बैठक के बाद हुई पीसी में शामिल नहीं हुए आप नेता
विपक्षी दलों की बैठक के बाद हुई सभी आप नेता पटना के सीएम आवास से निकल गए। बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में अरविंद केजरीवाल और कोई भी आम आदमी पार्टी का नेता शामिल नहीं हुआ। बताया जा रहा था कि बैठक में केजरीवाल ने दिल्ली में अध्यादेश पर सबका साथ मांगा. इस पर उद्धव ठाकरे समेत कई अन्य नेताओं ने कांग्रेस से अध्यादेश पर समर्थन देने की अपील भी की। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल को असहज कर दिया। उन्होंने अनुच्छेद 370 पर केजरीवाल का स्टैंड साफ नहीं रहने की याद दिला दी।