BHOPAL. तीन इंटरनल सर्वे और एक अकेले दीपक जोशी ने बीजेपी में बगावत का बिगुल फूंक दिया। ये बात और है जमीनी हालात से वाकिफ होने के बावजूद बीजेपी अब तक कोई कारगर रणनीति तैयार नहीं कर सकी है जिससे कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम हो सके। अब हालात ये है कि सरकार रेड कार्पेट की तरह कार्यकर्ताओं की हर शर्त के आगे बिछने को तैयार है। उम्मीद ये है कि इसी रेड कार्पेट पर चलकर सत्ता उनकी झोली में वापस आनी चाहिए। इस आस के साथ अब जो आखिरी दांव शिवराज सिंह चैहान के पास बचा है उस चाल को भी उन्होंने चल दिया है।
कार्यकर्ताओं की नाराजगी ऐसी कमरों में बैठी सरकार तक नहीं पहुंच सकी
18 साल सीएम रहे शिवराज सिंह चैहान अपने ही राज में, अपने ही सिपहसालारों की शिकायत दूर करने का श्योरशॉट तरीका नहीं ढूंढ पा रहे हैं। चुनाव की जीत के लिए कार्यकर्ता कितना जरूरी हैं। इसका अंदाजा यूं लगाया जा सकता है कि खुद पीएम मोदी ने उन्हें संबोधित करने के लिए अलग से समय निकाला है। लेकिन यही कार्यकर्ता मध्यप्रदेश में अलग थलग पड़ा हुआ था। कई बार नाराजगी दर्ज भी करवाई, लेकिन ऐसी कमरों में बैठी सरकार तक वो पहुंच ही नहीं सकी। अब चुनाव सिर पर आ चुका है तो बूथ बचाने के लिए उसी कार्यकर्ता की याद दोबारा आ रही है। जिसे मनाने के लिए हर संभव कोशिश जारी है, लेकिन शिकायते हैं कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सारे जतन कर चुका बीजेपी सत्ता और संगठन अब एक बार फिर बैठकों के सहारे है। बैठकें प्रदेश लेवल पर नहीं बल्कि, जिले के स्तर पर हो रही है।
बीजेपी में सिर्फ नाराजगी ही नहीं बगावत भी बढ़ती जा रही है
खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा तमाम पदाधिकारी सारे काम धाम छोड़कर भोपाल में जिला कोर कमेटी की बैठक कर कार्यकर्ताओं की नाराजगी सुन रहे हैं और मिटाने की कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन ये कोशिशें कितनी कारगर है बीजेपी का हाल पानी का प्रेशर झेल रहे उस टैंक की तरह हो गया है जिसका एक होल बंद करते हैं तो पानी दूसरी जगह से बहने लगता है। ये नाराजगी भी पानी के उसी प्रेशर की तरह है जिसे तीन साल अनदेखा किया गया। सिर्फ नाराजगी ही क्यों बगावत भी इसी प्रेशर की तरह बढ़ती जा रही है। इधर सीएम अपने आवास पर जिला कोर कमेटी की बैठक कर नेताओं की नाराजगी दूर करते हैं। उधर कोई पुराना नेता हाथ से फिसलकर कांग्रेस की झोली में गिर जाता है इस तरह की घटनाओं पर डैमेज कंट्रोल करने में बीजेपी एक्सपर्ट रही है, लेकिन नाराज और महाराज भाजपा में बंटी बीजेपी में से किसे मनाएं किसे छोड़ दें का कंफ्यूजन शायद भारी पड़ता जा रहा है।
एक के बाद एक नेताओं का कांग्रेस का हाथ थामने का सिलसिला जारी है
नाराजगी का घड़ा पहली बार तब छलका जब दीपक जोशी बकायदा वॉर्निंग देकर पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। उस वक्त शायद बीजेपी के पास मौका था कि नाराज नेताओं को पहचानती और उन्हें मनाती, लेकिन ओवरकॉन्फिडेंस या गुटबाजी के चक्कर में पार्टी ने ये मौका बहुत आसानी से गंवा दिया। इसके बाद जो घर का दरवाजा खुला है तो बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा। एक के बाद एक नेताओं का कांग्रेस का हाथ थामने का सिलसिला जारी है। इसमें बालाघाट से अनुभा मुंजारे और शांतनु मुंजारे कांग्रेस में शामिल हुए। इसी के साथ हरदा से बीजेपी नेता दीपक जाट भी कांग्रेस में शामिल हुए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए बैजनाथ यादव ने भी दलबल के साथ कांग्रेस में वापसी कर ली है। बताया जा रहा है कि उन्हें टिकट की उम्मीद थी। जो पूरी होते नहीं दिखी तो बैजनाथ यादव 400 गाड़ियों के काफिले के साथ कांग्रेस में लौट आए। एक से शुरू हुई गिनती चार तक पहुंच चुकी है और चुनाव तक और आगे निकले तो हैरानी नहीं होगी।
ग्राउंड रियल्टी चैक में जो बातें सामने आईं वो तनाव बढ़ाने वाली हैं
अब हालात ये है कि खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान को जिला कोर कमेटी के साथ बैठकें करनी पड़ रही हैं। जिले की कोर कमेटी के पदाधिकारियों के साथ लंबी बैठक हुई और, जो नाराजगी सामने आई वो चौंकाने वाली थी।
सीएम हाउस में ही महाकौशल, बुंदेलखंड, ग्वालियर चंबल और विंध्य के जिलों की कोर कमेटी की बैठक ही। इस ग्राउंड रियल्टी चैक में जो बातें सामने आईं वो तनाव घटाने की जगह तनाव बढ़ाने वाली हैं।
- अधिकांश कार्यकर्ताओं ने सिंधिया समर्थक मंत्रियों की शिकायत की।
सीएम ने नाराज कार्यकर्ताओं को यहां तक कहा कि अफसर भी बदले जाएंगे
ये शिकायतें आज की नहीं हैं। बीजेपी के हर सर्वे में नाराजगी का यही कारण उभरकर सामने आया है। अब आलाकमान के निर्देश पर खुद सीएम इस नाराजगी को सुन रहे हैं। जिसमें सीएम कार्यकर्ताओं की हर शर्त मानने तैयार नजर आए। खबर तो ये भी है कि सीएम ने कार्यकर्ताओं को यहां तक कह दिया है कि आचार संहिता से पहले अफसर भी बदल दिए जाएंगे। सीएम ने ये अपील भी की कि कम से कम पार्टी की जीत के लिए एकजुट हो जाएं। क्योंकि, सत्ता का हाथ से निकलना सबके लिए नुकसानदायी है। बीजेपी को उम्मीद है कि सीएम का जिला पदाधिकारियों से यूं वन टू वन बात करना हालात सुधार सकते हैं। जिला पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद मंडल कोर कमेटी से भी बैठक की तैयारी है। यानी चुनावी साल में अब सीएम शिवराज सिंह चैहान बाकी काम छोड़कर फिलहाल कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों में व्यस्त रहेंगे, लेकिन बीजेपी को इसकी जरूरत भी है। हो सकता है कि कार्यकर्ता फिर पूरी चुस्ती के साथ मैदान में उतर जाए।
फिलहाल बीजेपी की ग्राउंड रिकॉर्ड खुद पार्टी को ही डरा रही है। जिसके चलते अबकी बार 200 पार दूर की कौड़ी ही नजर आ रहा है।
बड़ा सवालः बीजेपी तो एकजुट हो सकती है, लेकिन महाराज भाजपा का क्या
अब बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन का सहारा है उससे पहले पार्टी ने कार्यकर्ताओं का फीडबैक लेना शुरू कर ही दिया है। काफी हद तक समाधान भी सुझाए जा रहे हैं। इन कोशिशों से पुरानी भाजपा तो एकजुट हो सकती है, लेकिन महाराज भाजपा का क्या होगा जिस पर इल्जाम लगते हैं कि वो बीजेपी के पुराने तौर तरीकों के खिलाफ हैं। क्या बैठकों के इस दौर से नाराज भाजपा और महाराज भाजपा एक होकर बीजेपी की ताकत बन सकेंगे। इस सवाल का जवाब शायद अभी खुद बीजेपी के पास भी नहीं होगा। पर कोशिश तो जरूरी है, जो जारी हो चुकी है।