BHOPAL. प्रदेश का माहौल बदलने वाला है। दिल की धड़कने तेज हैं और सांसे थमी हुई और नजरें टिकी हैं। आलाकमान के उस फैसले पर जो सियासत का भविष्य तय करने वाले हैं। प्रदेश के अमूमन हर उस नेता का यही हाल है जिसे इस बार चुनावी टिकट मिलने की उम्मीद है। अपने दिलों को थामकर उम्मीदवारों ने उल्टी गिनती शुरू कर दी है। हालांकि, गेट सेट गो वाला दिन कौन सा होगा ये अभी तय नहीं है पर माना जा रहा है कि इस मंथ एंड तक यानी कि अगस्त माह के अंत तक कुछ सीटों पर प्रत्याशी फाइनल हो जाएंगे। जो सीटें बचेंगी उनका फैसला सितंबर माह तक हो ही जाएगा, लेकिन इस बार जो भी फैसला होगा वो उम्मीदवार से लेकर मौजूदा विधायकों तक के लिए चौंकाने वाला होगा।
दोनों पार्टियों में इस बार टिकट जिताऊ उम्मीदवार को ही मिलेगा
कांग्रेस हो या बीजेपी इस बार दोनों ही दल टिकट वितरण के मामले में बेहद सख्त हैं। दोनों की तरफ से मैसेज क्लीयर है कि इस बार टिकट जिताऊ उम्मीदवार को ही मिलेगा। न किसी नेता की सिफारिश काम आएगी न प्रत्याशी का पुराना रुतबा और साख कुछ खास असर डालेंगे। टिकट उसी नेता को मिलेगा जो सर्वे में बेहतर स्थिति में नजर आएगा। बीजेपी हमेशा से ही टिकट वितरण के लिए डबल लेयर सर्वे करवाती रही है। एक सत्ता से और एक संगठन से सर्वे होता है जिसके आधार पर टिकट मिलता है। इस बार कांग्रेस भी इसी तर्ज पर टिकट बांटेगी। कांग्रेस के डबल लेयर सर्वे में एक सर्वे कमलनाथ की ओर से हुआ है और एक सर्वे राहुल गांधी की ओर से हुआ है। डबल लेयर सर्वे के अलावा भी दोनों दलों में और भी सर्वे हुए हैं। जिनके नतीजों पर मंथन कर फाइनल नतीजे पर पहुंचा जाएगा।
कांग्रेस में फैसले टीम राहुल और कमलनाथ के सर्वे पर बेस्ड होंगे
चुनाव नजदीक आने के साथ साथ बीजेपी की रणनीति अब धीरे-धीरे खुलने लगी है, लेकिन कांग्रेस की रणनीति पर अब तक पर्दा डला हुआ है। पर ये तय माना जा रहा है कि कांग्रेस कर्नाटक की तर्ज पर ही टिकट वितरण करेगी। जिसमें ज्यादातर फैसले टीम राहुल और कमलनाथ के सर्वे पर बेस्ड होंगे। इधर बीजेपी की तैयारी कांग्रेस के क्षत्रपों को उसी के गढ़ में घेरने की है तो कांग्रेस ने भी बीजेपी के बड़े नेताओं को उनके गढ़ में समेटने के लिए प्लान तैयार किया है। कुछ सीटें ऐसी हैं जो बीजेपी के लिए गले की फांस बनी है। उन सीटों पर फैसला करने के लिए कांग्रेस भी वेट एंड वॉच की स्थिति में है।
बीजेपी कांग्रेस दोनों में मौजूदा एमएलए का टिकट कट सकता है
बीजेपी कांग्रेस दोनों में कुछ चेहरे ऐसे हैं जिनके लिए ये दावा किया जा सकता है कि उनके टिकट नहीं कटेंगे और कुछ सीटों पर मौजूदा एमएलए का टिकट कटना तय माना जा सकता है। कुछ सीटें ऐसी भी होंगी जिनका फैसला चौंकाने वाला होगा। इन सीटों में खासतौर से वो जगह शामिल होंगी जहां बीते कुछ चुनाव से दोनों ही दल अपना अपना खाता नहीं खोल सके हैं। बीजेपी ने ऐसी सीटों को आकांक्षी सीटों का नाम दिया है। जहां प्रत्याशित चेहरे मैदान में उतारे जा सकते हैं। इन चेहरों में केंद्रीय मंत्री, सांसद या अगल बगल की सीट का कोई जाना पहचाना चेहरा हो सकता है।
कांग्रेस ने जीत के लिए तरस रही 66 सीटों की लिस्ट तैयार की
कांग्रेस ने भी 66 सीटों की लिस्ट तैयार की है। जहां पार्टी जीत के लिए तरस रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने ऐसी सभी सीटों का पर्सनली दौरा किया है। पर, खबर ये है कि उन्हें अपनी पार्टी में ही हर सीट पर मुफीद उम्मीदवार दिखाई नहीं दिया। जिस वजह से क्षेत्र का कोई और धाकड़ चेहरा मैदान में उतारा जा सकता है। वो कोई उद्योगपति, समाजसेवी या शिक्षाविद भी हो सकता है। इसके अलावा गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, भूपेन्द्र सिंह, गोपाल भार्गव, सीएम शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े नेताओं को घेरने के लिए अलग रणनीति का इस्तेमाल होगा।
कुछ सीटें बीजेपी के लिए गले की फांस साबित हो सकती है
कुछ सीटें ऐसी भी हैं जो बीजेपी के लिए गले की फांस साबित हो सकती है। इन सीटों की रणनीति कांग्रेस भी बीजेपी के पत्ते खुलने के बाद ही तय करेगी। ये वो सीटें हैं जहां बीजेपी में असंतोष ज्यादा नजर आ रहा है। यहां वैसे तो दोनों ही दल वेट एंड वॉच की स्थिति में है और एक दूसरे के टिकट पर नजर जमाए बैठे हैं। पर, ये भी माना जा रहा है कि बीजेपी के किन असंतुष्ट नेताओं को टिकट मिलने जा रहा है इसका खुलासा काफी बाद में होगा ताकि बीजेपी को खुद के भीतर पनप रहे असंतोष की हवा भी न लग सके। क्या इस रणनीति से कांग्रेस के लिए बीजेपी को मात देना आसान होगा।
सर्वे पर सर्वे करवा चुकी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए ये पैतरे कितने कारगर साबित होंगे। इसका फैसला चुनावी नतीजों से ही होगा।
सुरक्षित लैंडिंग का मौका किस पार्टी को मिलेगा, ये तो मतदाता ही तय करेगा
तो, अपनी कुर्सी की पेटी बांध लीजिए। पता नहीं कब ऐलान हो जाए और उड़ान भरनी पड़ जाए, लेकिन सुरक्षित लैंडिंग का मौका किसे मिलेगा ये तो मतदाता ही तय करेगा। अभी तो रनवे पर ही दौड़ जारी है ताकि चुनावी विमान में अपनी सीट पक्की हो सके। इस बार के चुनाव में हार जीत का फैसला सिर्फ प्रत्याशी की किस्मत और मेहनत से नहीं होगा। बल्कि, पार्टियों के सर्वे और उन पर लिए गए फैसलों के आधार पर भी होगा। ये चुनाव कई मायनों में खास होने जा रहा है। किसी भी दल ने हार और जीत के लिए मध्यप्रदेश में पहले इतने सर्वे नहीं करवाए और न ही टिकट वितरण में ज्यादा उलटफेर की आशंका पहले कभी रही है। लेकिन इस बार हर प्रत्याशी के पीछे दोनों ही दल पूरी ताकत झोंक देने को तैयार है। जितनी रणनीतियों पर इस बार काम होगा नतीजे भी उतने ही ज्यादा दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है।