NEW DELHI. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस हर साल 23 जून को मनाया जाता है। आज ही के दिन 1894 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना हुई थी। ओलंपिक दिवस पहली बार 23 जून 1948 में मनाया गया था। यह दिन खेल और फिटनेस को समर्पित होता है।
यहां आयोजित हुआ था पहला आधुनिक ओलंपिक
पहला आधुनिक ओलंपिक 1896 में एथेंस, ग्रीस में आयोजित किया गया था और भारत ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में शुरू होने के चार साल बाद भाग लिया था। आजादी से पहले भारत ने 1900 में अपने एकमात्र एथलीट नॉर्मन प्रिचर्ड को पेरिस भेजा था, जहां उन्होंने पुरुषों की 200 मीटर और पुरुषों की 200 मीटर हर्डल रेस में दो मेडल जीते थे। भारत ने तब से लेकर अब तक हर ग्रीष्मकालीन खेलों में भाग लिया है और 35 मेडल जीते हैं। हम आपको भारत का ओलंपिक में सफर बता रहे हैं।
नॉर्मन प्रिचर्ड - सिल्वर मेडल - पुरुषों की 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल्स, पेरिस 1900
पेरिस 1900 से भारत ने अपने पहले ओलंपिक खेल की शुरुआत की थी। आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में पहले भारतीय प्रतिनिधि ने एथलेटिक्स में पांच पुरुष स्पर्धाओं में भाग लिया था जिसमें 60 मीटर, 100 मीटर, 200 मीटर, 110 मीटर और 200 मीटर हर्डल रेस शामिल हैं। उन्होंने 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल रेस में सिल्वर मेडल जीते थे। ये आजादी से पूर्व ये भारत का पहला व्यक्तिगत मेडल था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, गोल्ड मेडल - एम्स्टर्डम 1928
भारतीय हॉकी टीम ने पांच मैचों में 29 गोल करके अपना पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता था। ध्यान चंद ने फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ फाइनल में हैट्रिक सहित 14 गोल किए थे। यह ओलंपिक में भारतीय हॉकी पुरुष टीम का पहला मेडल था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, गोल्ड मेडल - लॉस एंजिल्स 1932
कम क्षेत्र में खेले गए मैच में भारतीय हॉकी टीम ने पहले जापान को 11-1 से हराया था और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ 24-1 की भारी जीत हासिल कर भारत के लिए हॉकी में दूसरा ओलंपिक गोल्ड मेडल सुनिश्चित किया था। इस साल ध्यान चंद के साथ-साथ उनके छोटे भाई रूप सिंह भी भारत के स्टार खिलाड़ी के रुप में उभरे थे।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम,गोल्ड मेडल - बर्लिन 1936
ध्यानचंद के नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम ने बर्लिन 1936 में ओलंपिक गोल्ड की हैट्रिक पूरी की थी। उस वर्ष भारत ने पांच मैचों में 38 गोल किए थे और फाइनल मुकाबले में भारत 8-1 से जीता था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम,गोल्ड मेडल - लंदन 1948
स्वतंत्रता के बाद भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल आश्चर्यजनक रूप से भारतीय हॉकी टीम से आया। भारत ने तीन मैचों में 19 गोल करके फाइनल में प्रवेश किया और मेजबान ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराकर चौथा ओलंपिक गोल्ड झटका। इस वर्ष बलबीर सिंह सीनियर ने तीन मैचों में 19 गोल किए थे।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, गोल्ड मेडल - हेलसिंकी 1952
भारतीय हॉकी टीम ने लगातार पांचवीं बार ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने के लिए ठंड की स्थिति पर काबू पा लिया था। बलबीर सिंह सीनियर ने तीन मैचों में नौ गोल किए थे, जिसमें नीदरलैंड के खिलाफ फाइनल में पांच गोल शामिल हैं। ये ओलंपिक पुरुष हॉकी फाइनल में किसी खिलाड़ी द्वारा किए गए सबसे अधिक गोल हैं।
केडी जाधव, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों की बैंटमवेट कुश्ती, हेलसिंकी 1952
पहलवान खशाबा दादासाहेब जाधव पुरुषों की फ्रीस्टाइल बैंटमवेट श्रेणी में कांस्य पदक जीतने के बाद आज़ाद भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल विजेता बने। इस मेहनती पहलवान ने अपनी ओलंपिक यात्रा के लिए दर-दर भटक कर धन इकट्ठा किया था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, गोल्ड मेडल - मेलबर्न 1956
मेलबर्न 1956 में भारतीय हॉकी टीम के लिए यह लगातार छटवां ओलंपिक गोल्ड था। भारत ने पूरे टूर्नामेंट में प्रतिद्वंदी को एक भी गोल मारने का मौका नहीं दिया था और फाइनल में कप्तान बलबीर सिंह सीनियर अपने फ्रैक्चर हुए दाहिने हाथ के साथ खेले थे और पाकिस्तान पर फाइनल में 1-0 से फतह हासिल की।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, सिलेवर मेडल - रोम 1960
हॉकी में भारत की अद्वितीय मेडल लय रोम 1960 में पाकिस्तान से 1-0 से हारकर समाप्त हुई और उस वर्ष भारत को सिलेवर मेडल से संतोष करना पड़ा था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, गोल्ड मेडल - टोक्यो 1964
भारतीय हॉकी टीम ने पिछले ओलंपिक में पाकिस्तान से हारने के बाद 1964 में टोक्यो में गोल्ड मेडल जीता था। भारत ने ग्रुप चरणों में चार मैच जीतकर और दो ड्रॉ दर्ज कर सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया था। भारत ने लगातार तीसरी बार फाइनल में पाकिस्तान का सामना किया था और पेनल्टी स्ट्रोक गोल के कारण 1-0 से जीत दर्ज की थी।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, ब्रॉन्ज मेडल- मेक्सिको सिटी 1968
जहां एक ओर यूरोप में हॉकी को और अधिक प्रमुखता मिल रही थी वहीं भारतीय हॉकी टीम का ओलंपिक में दबदबा कम होता जा रहा था। भारत ने मेक्सिको, स्पेन को हराकर जापान के खिलाफ वॉकओवर हासिल कर लिया था लेकिन सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से 2-1 से हार गया था। भारत ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल तो रहा लेकिन ओलंपिक में पहली बार शीर्ष दो से बाहर हो गया था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, ब्रॉन्ज मेडल - म्यूनिख 1972
म्यूनिख 1972 में भारतीय हॉकी टीम ने लगातार दूसरा ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल जीता था। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले चार मैच जीते और दो ड्रॉ खेले थे। इसके बाद इजरायली टीम पर हमले के कारण उनका सेमीफाइनल दो दिनों के लिए आगे बढ़ गया था जिससे टीम की लय प्रभावित हुई थी और वे पाकिस्तान से 2-0 से हार गए थे। हालांकि, भारत ने नीदरलैंड को 2-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
भारतीय हॉकी पुरुष टीम, गोल्ड मेडल - मास्को 1980
मॉन्ट्रियल 1976 में भारतीय हॉकी पुरुष टीम पहली बार शीर्ष तीन से बाहर थी। उस साल भारत सातवें स्थान पर था। कम क्षेत्र में खेले गए मैच में भारत ने तीन मैच जीते थे और प्रारंभिक दौर में दो ड्रा खेले थे। फाइनल में भारतीय टीम ने स्पेन को 4-3 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। यह ओलंपिक में भारत के लिए आखिरी हॉकी मेडल था।
लिएंडर पेस, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों का एकल टेनिस, अटलांटा 1996
भारत ने तीन ओलंपिक संस्करणों में (1984-1992) एक भी पदक नहीं जीता था। 1996 में लिएंडर पेस ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इस साल ये भारत का ओलंपिक में इकलौता मेडल था।
कर्णम मल्लेश्वरी, ब्रॉन्ज मेडल - महिलाओं की 54 किग्रा वेटलिफटिंग, सिडनी 2000
भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने 54 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने स्नैच वर्ग में 110 किग्रा, क्लीन में 130 किग्रा और जर्क में 240 किग्रा का भार उठाया था।
राज्यवर्धन सिंह राठौर,सिल्वर मेडल - पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग, एथेंस 2004
आर्मीमैन राज्यवर्धन सिंह राठौर भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीतने वाले पहले निशानेबाज थे। संयुक्त अरब अमीरात के शेख अहमद अलमकतूम ने अजेय बढ़त बना ली थी और भारतीय सेना के कर्नल ने दोनों क्ले टार्गेट को नीचे गिराकर रजत पदक सुनिश्चित किया था।
अभिनव बिंद्रा, गोल्ड मेडल - पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग, बीजिंग 2008
ओलंपिक में भारत का सबसे उत्साहपूर्ण क्षण बीजिंग 2008 में आया जब अभिनव बिंद्रा ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीता था। भारतीय निशानेबाज ने अपने अंतिम शॉट के साथ लगभग 10.8 का स्कोर हासिल कर भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल सुनिश्चित किया था।
विजेंदर सिंह, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों की मिडिलवेट मुक्केबाजी, बीजिंग 2008
विजेंदर सिंह ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने। सेमीफाइनल में क्यूबा के एमिलियो कोरिया से 5-8 से हारने से पहले उन्होंने क्वार्टर फाइनल में इक्वाडोर के दक्षिणपूर्वी कार्लोस गोंगोरा को 9-4 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल सुनिश्चित किया था।
सुशील कुमार, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों की 66 किग्रा कुश्ती, बीजिंग 2008
अपने शुरुआती मुकाबले में हारने के बाद, सुशील कुमार ने रेपेचेज राउंड में 70 मिनट के भीतर तीन बाउट जीतकर ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। यह कुश्ती में 56 वर्षों में भारत का पहला ओलंपिक मेडल था।
गगन नारंग, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग, लंदन 2012
गगन नारंग काउंटबैक की वजह से पिछले ओलंपिक में अंतिम दौर में हार गए थे जिसके बाद लंदन 2012 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। तीसरा स्थान हासिल करने से पहले गगन नारंग ने चीन के वांग ताओ और इटली के निकोलो कैंप्रियानी के साथ एक तनावपूर्ण फाइनल खेला था।
सुशील कुमार, सिल्वर मेडल - पुरुषों की 66 किग्रा कुश्ती, लंदन 2012
उद्घाटन समारोह के लिए भारत के ध्वजवाहक सुशील कुमार ने शरीर के गंभीर दर्द पर काबू पाकर फाइनल में तो जगह बना ली थी लेकिन थकावट की वजह से उनका शरीर जवाब दे गया और वह फाइनल में तत्सुहिरो योनमित्सु से हार गए थे। सुशील कुमार भारत के एकमात्र ओलंपियन हैं जिन्होंने व्यक्तिगत तौर पर दो बार ओलंपिक मेडल जीते हैं।
विजय कुमार, सिल्वर मेडल - पुरुषों की 25 मीटर रैपिड पिस्टल शूटिंग, लंदन 2012
खेलों से बमुश्किल पहचाने जाने वाले निशानेबाज विजय कुमार ने 25 मीटर रैपिड पिस्टल में सिल्वर मेडल के साथ रिकॉर्ड बुक में अपना नाम सुनिश्चित किया था। उन्होंने फाइनल में छठे दौर में जाने वाले चीन के डिंग फेंग को हराकर अंतिम दौर में प्रवेश किया था।
मैरी कॉम, ब्रॉन्ज मेडल - महिलाओं की फ्लाईवेट मुक्केबाजी, लंदन 2012
लंदन 2012 में अपने पहले ओलंपिक से पहले मैरी कॉम ने फ्लाईवेट वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। अच्छी लय में होने के बावजूद वह सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन की चैंपियन निकोला एडम्स से हार गईं थीं।
योगेश्वर दत्त, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों की 60 किग्रा कुश्ती, लंदन 2012
तीन ओलंपिक के अनुभवी पहलवान योगेश्वर दत्त ने आखिरकार अपने बचपन के सपने को तब हासिल किया जब उन्होंने 60 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने अंतिम रेपेचेज दौर में उत्तर कोरिया के री जोंग म्योंग को सिर्फ 1:02 मिनट में हराया था।
साइना नेहवाल, ब्रॉन्ज मेडल - महिलाओं का एकल बैडमिंटन, लंदन 2012
साइना नेहवाल ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। उनकी प्रतिद्वंद्वी चीन की वांग शिन सेमीफाइनल में मैच के दौरान रिटायर हर्ट हो गई थीं।
पीवी सिंधु, सिल्वर मेडल - महिलाओं का एकल बैडमिंटन, रियो 2016
साइना नेहवाल का मेडल निश्चित रूप से भारत के बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ था। पीवी सिंधु ने 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था।
साक्षी मलिक, ब्रॉन्ज मेडल - महिलाओं की 58 किग्रा कुश्ती, रियो 2016
भारत के ओलंपिक दल में देर से प्रवेश करने वाली साक्षी मलिक ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। उन्होंने 58 किग्रा ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए किर्गिस्तान की ऐसुलु टाइनीबेकोवा को 8-5 से हराया और भारत का लगातार तीन खेलों में ओलंपिक कुश्ती मेडल जीता था ।
मीराबाई चानू, सिल्वर मेडल - महिलाओं की 49 किग्रा भारोत्तोलन, टोक्यो 2020
भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने रियो 2016 के प्रदर्शन को पीछे छोड़ते हुए महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीतने के लिए कुल 202 किग्रा भार उठाया था। यह उनका पहला ओलंपिक मेडल है और कर्णम मल्लेश्वरी के बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय भारोत्तोलक हैं। यह टोक्यो ओलंपिक में भारत का पहला मेडल था।
लवलीना बोर्गोहेन, ब्रॉन्ज मेडल - महिलाओं का वेल्टरवेट (64-69 किग्रा), टोक्यो 2020
अपने डेब्यू गेम में लवलीना बोर्गोहेन ने महिलाओं के 69 किग्रा में तुर्की की शीर्ष वरीयता प्राप्त बुसेनाज़ सुरमेनेली से सेमीफाइनल में हारने के बाद टोक्यो 2020 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। लवलीना बोर्गोहेन ने क्वार्टर फाइनल में चीनी ताइपे की निएन-चिन चेन को हराकर मेडल पक्का किया था।
पीवी सिंधु,ब्रॉन्ज मेडल - महिलाओं का एकल बैडमिंटन, टोक्यो 2020
सुशील कुमार के बाद बैडमिंटन क्वीन पीवी सिंधु दो व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरी भारतीय एथलीट बनीं। पीवी सिंधु ने महिला एकल में चीन की ही बिंग जिओ को 21-13, 21-15 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
रवि कुमार दहिया, सिल्वर मेडल - पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती, टोक्यो 2020
रवि कुमार दहिया पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल में दो बार विश्व चैंपियन आरओसी के ज़ावुर उगुएव से हारने के बाद सिल्वर मेडल जीत पाए थे। यह ओलंपिक इतिहास में भारत का नौवां सिल्वर मेडल और कुश्ती में दूसरा सिल्वर मेडल था।
भारतीय हॉकी टीम, ब्रॉन्ज मेडल- पुरुष हॉकी, टोक्यो 2020
41 साल के इंतजार के बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक में मेडल जीता था। यह 1968 और 1972 के खेलों के बाद भारत का तीसरा ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल है और कुल मिलाकर 12 वां ओलंपिक मेडल है। बता दें कि यह मास्को 1980 के बाद भारत का पहला हॉकी मेडल है। यह टोक्यो 2020 में भारत का पांचवां मेडल था।
बजरंग पुनिया, ब्रॉन्ज मेडल - पुरुषों की 65 किग्रा कुश्ती, टोक्यो 2020
पहलवान बजरंग पुनिया टोक्यो 2020 में पदक जीतने वाले तीसरे भारतीय बने। बजरंग पुनिया ने पुरुषों के 65 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती प्लेऑफ में कजाकिस्तान के दौलेट नियाज़बेकोव को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
नीरज चोपड़ा - गोल्ड मेडल - पुरुषों का भाला फेंक
अभिनव बिंद्रा के बाद नीरज चोपड़ा भारत के दूसरे व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता हैं। यह किसी भी ओलंपिक खेलों में भारत का पहला ट्रैक-एंड-फील्ड मेडल था। नीरज चोपड़ा ने भाला 87.58 मीटर फेंककर गोल्ड मेडल जीता था। यह टोक्यो 2020 में भारत का सातवां मेडल था।
इस साल ओलंपिक खेल जापान की राजधानी टोक्यों में खेले गए। 8 अगस्त 2021 को टोक्यो 2020 ओलंपिक का समापन हुआ। मेरीकॉम और अमित पंघाल जैसे कई बड़े खिलाड़ियों के बाहर होने के बाद भी भारत ने इस वर्ष ओलंपिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर एक गोल्ड, 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल हासिल किए। मेडल तालिका में भारत 48वें स्थान पर है। इस साल सबसे ज्यादा मेडल अमेरिका ने जीते। चीन दूसरे और जापान तीसरे स्थान पर रहा।