JABALPUR. एक बुजुर्ग महिला के दो बेटों की मौत हो जाती है, घर में बुजुर्ग को कोई पानी देने वाला भी नहीं बचता। इस दौरान फल का ठेला लगाने वाले दो शख्स और एक प्रॉपर्टी ब्रोकर संपत्ति की लालच में महिला का खयाल रखते हैं। यहां तक कि जब महिला की मौत हो जाती है तो बजाए किसी रिश्तेदार को खबर करने के तीनों उसका अंतिम संस्कार भी कर देते हैं। इस बात को 8 साल बीत जाते हैं, लेकिन जब महिला की 100 एकड़ जमीन के नामांतरण का मामला सामने आता है, तो उसके रिश्तेदारों को भी बुआ याद आ जाती हैं। तब जाकर इस बात का खुलासा होता है कि फल का ठेला लगाने वालों ने बुजुर्ग महिला से किसी तरह वसीयत बनवा ली और अब 500 करोड़ की संपत्ति के मालिक बन बैठे हैं।
घर के सामने लगाते थे फल का ठेला
यह मामला जबलपुर के अंधेरदेव इलाके का है। प्रभा मुखर्जी नाम की महिला के दो बेटों की मौत हो गई थी। उनकाी बड़ा फुहारा इलाके में बड़ी सी कोठी थी और जबलपुर और होशंगाबाद में 400 एकड़ जमीन की वे मालकिन थीं। प्रभा मुखर्जी के भतीजे आनंद चौधरी ने हाई कोर्ट में सवाल उठाए हैं कि संदिग्ध हालात में मौत होने के बाद घर के सामने फल का ठेला लगाने वालों ने अपने नाम वसीयत कैसे करवा ली। उनकी बुआ हिंदू थीं जबकि वसीयत अपने नाम कराने वाले फल बेचने वाले मुस्लिम समुदाय के हैं, दोनों का नाम अशरफ है। हाई कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत पाठक फरियादी आनंद चौधरी की ओर से पक्ष रख रहे हैं।
कूटरचित दस्तावेज तैयार करने की शिकायत
प्रभा मुखर्जी के भतीजे आनंद चौधरी ने एसपी को इस बाबत शिकायत भी दी है, जिसमें उसने वसीयत अपने नाम करने वाले दोनों अशरफ और प्रॉपर्टी ब्रोकर ने कूटरचित तरीके से दस्तावेज तैयार करवाए या धोखे से साइन करवाए हैं। शिकायत में यह भी कहा गया है कि प्रभा मुखर्जी की मौत कैसे हुई यह किसी को नहीं मालूम, उनके अंतिम संस्कार में केवल 3 लोग ही शामिल हुए थे, जिन्होंने वसीयत अपने नाम कराई है। यही नहीं प्रभा मुखर्जी के दो बेटों की मौत को भी संदिग्ध करार देते हुए आशंका जताई गई है कि उन्हें स्लो पॉइजन देकर संपत्ति के लिए ही मार डाला गया। प्रभा मुखर्जी की मृत्यु साल 2015 में होना बताया गया है।
हाई कोर्ट करेगा मामले का निपटारा
वर्तमान स्थिति में वसीयत के मुताबिक 500 करोड़ की प्रॉपर्टी के मालिक फल का ठेला लगाने वाले ही हैं, हालांकि अदालत में इसे चुनौती दी गई है। फिलहाल फरियादी की ओर से जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से मामले की जांच की गुहार लगाई गई है। मामला हाईकोर्ट में है जहां पूरी सुनवाई के बाद ही केस का निराकरण हो पाएगा।