BHOPAL. अगस्त में ही एक लिस्ट जारी कर बीजेपी ने मान लिया था कि इन सीटों पर जीत आसान होगी। पार्टी कांग्रेस को शॉक देना चाहती थी, लेकिन खुद ही झटका खा गई। उसके बाद टिकट वाली सीटों पर जो बवाल हुआ है वो छुपाए नहीं छुप रहा। ऐसी सीटें ना के बराबर हैं जहां खुशी-खुशी नाम कबूल कर लिया गया हो या फिर कम से कम विरोध में बात बन गई हो। लेकिन बीजेपी अपने फैसले पर अडिग ही रहने वाली है। बल्कि, एक और लिस्ट जल्दी जारी करने की तैयारी में भी है। सूत्रों की माने तो इस लिस्ट में भी कई चौंकाने वाले नाम सामने आने वाले हैं। पूरा फोकस एससीएसटी सीट और प्रत्याशियों पर हो सकता है। बीजेपी की इस जल्दबाजी से उलट कांग्रेस में टिकट सूची को लेकर कोई कोहराम नहीं मचा है। बीजेपी की खरगोश चाल के बीच कांग्रेस ने आखिर कछुआ चाल क्यों चुनी है।
विरोध के चलते बीजेपी की दूसरी सूची लेट हुई है
बीजेपी की पहली लिस्ट जारी होते ही विरोधियों के जैसे पर निकल आए। हर और से विरोध के सुर तेज होने लगे। सोनकच्छ सीट पर विरोध इस कदर है कि राजेश सोनकर के नाम का ऐलान होने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र सिंह तोमर की ही गाड़ी का घेराव किया। बमुश्किल तोमर की ये कहकर जान छूटी कि नाम पर एक बार फिर विचार करेंगे, लेकिन ये महज एक आश्वासन भर है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने ये तय कर लिया है कि किसी भी सीट पर दोबारा विचार नहीं होगा। ये बात अलग है कि विरोध के इस नजारे को देखते हुए दूसरी सूची थोड़ी लेट जरूर हुई है। पहले इसे सितंबर के पहले हफ्ते में घोषित किया जाना था, लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भांपते हुए फिलहाल कुछ और दिन के लिए रद्द कर दी गई है। फिर भी ये तय माना जा रहा है कि दूसरी लिस्ट भी कांग्रेस की पहली लिस्ट से पहले ही जारी होगी। सिर्फ इतना ही नहीं। अगली लिस्ट पहली लिस्ट से भी ज्यादा चौंकाने वाले नामों से भरपूर हो सकती है।
बीजेपी की एससी-एसटी सीटों पर अप्रत्याशित चेहरे नजर आएंगे
दूसरी लिस्ट में बीजेपी की नजर कांग्रेस की सीटों पर होगी। बीजेपी उन एससी-एसटी सीटों पर नाम घोषित कर सकती है जहां कांग्रेस के एससी-एसटी विधायक हैं। इन सीटों पर कुछ अप्रत्याशित चेहरे नजर आएं तो चौंकिएगा नहीं। क्योंकि यहां जीत की खातिर बीजेपी पुराने नेताओं को दरकिनार करने पर भी अमादा है। कोई हेलिकॉप्टर कैंडिडेट या सीट का कोई जमीनी नेता यहां से टिकट हासिल कर सकता है। जीत की शर्त पर बीजेपी पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी मोल लेने के लिए तैयार है।
बीजेपी ने पहली लिस्ट में भी एससी और एसटी के 21 प्रत्याशी घोषित किए थे
पहली लिस्ट के बाद विरोध और फिर जन आशीर्वाद यात्रा के चलते बीजेपी को मंथन करने का पूरा वक्त नहीं मिला, लेकिन अब दूसरी लिस्ट जारी करने में देर नहीं की जाएगी। बीजेपी दूसरी सूची में अनुसूचित जाति-जनजाति सीटों के ज्यादातर प्रत्याशी घोषित कर देगी। खासतौर पर जिन सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, उन सीटों के प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे। बीजेपी ने पहली लिस्ट में भी एससी और एसटी के 21 प्रत्याशी घोषित किए थे। दूसरी सूची में भी उन पर जमकर फोकस रहने वाला है। एससी एसटी के लिए प्रदेश में 82 सीटें सुरक्षित हैं, इनमें से 47 एसटी और 35 एससी के लिए सुरक्षित हैं। इन सीटों पर दूसरी लिस्ट के जरिए बीजेपी बड़ा उलटफेर कर सकती है। कई हारी हुई सीटों पर नए चेहरों के साथ कई विधायकों का टिकट काट भी जा सकती है।
2018 में बीजेपी एसटी की 16 सीटें ही जीत पाई थी
2018 से सबक लेकर बीजेपी इस बार हर सीट पर ठोक बजाकर प्रत्याशी डिक्लेयर करने के मूड में है। 2018 में बीजेपी को सुरक्षित सीटों पर बड़ा नुकसान हुआ था। पार्टी एसटी वर्ग की 47 में मात्र 16 सीटें ही जीत पाई थी। जबकि, 2013 में पार्टी के पास एक निर्दलीय समर्थक के साथ 32 सीटें थीं। एससी वर्ग में भी बीजेपी के पास 28 सीटें थीं, लेकिन 2018 के चुनाव में मात्र 18 सीटें ही बच पाई थीं। इसकी के चलते बीजेपी ने केंद्रीय स्तर से इन सीटों पर कई बार सर्वे करवाया है। ये बात अलग है कि जिन सीटों पर सर्वे के बाद टिकट दिया जा चुका है, वहां पार्टी के अपने ही कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी के दुश्मन बन गए हैं।
बीजेपी की इन सीटों पर अपनों का ही विरोध
- सबलगढ़ः सरला विजेंद्र रावत को टिकट, प्रदेश मंत्री रणवीर रावत ने जताया विरोध। तोमर से चर्चा के बाद माने।
- गोहदः सिंधिया समर्थक रणवीर जाटव का टिकट कटा, फैन आर्मी ने लिखा खून से पत्र।
- पिछोरः प्रीतम लोधी के नाम पर भी नाराजगी।
- चाचौड़ाः प्रियंका मीणा को टिकट, ममता मीणा ने जताया विरोध कहा- जिसे जिला पंचायत चुनावों में हराया, उसे ही दिया टिकट।
- बंडाः यहां नए चेहरे वीरेंद्र सिंह लंबरदार को टिकट दिया गया, नया चेहरा आया तो एकजुट हुए पुराने नेता।
- महाराजपुरः किसान नेताओं ने प्रत्याशी कामाख्या प्रताप सिंह का पुतला जलाया।
- चित्रकूटः कांग्रेस से आए नेता सुभाष शर्मा कर रहे हैं 2018 में हारे सुरेंद्र सिंह गहरवार का विरोध।
- शाहपुराः पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे अपने ही टिकट से खुश नहीं, वो डिंडौरी से टिकट चाहते थे।
- पांढुर्णाः पूर्व न्यायिक अधिकारी प्रकाश उइके को टिकट, बाहरी प्रत्याशी होने के नाते विरोध।
- भोपालः उत्तर पर आलोक शर्मा का विरोध जारी है।
- झाबुआः प्रत्याशी भानु भूरिया के खिलाफ भानू भूरिया हटाओ सीट बचाओं के नारे लग रहे हैं।
- कुक्षीः बाहरी बता कर जयदीप पटेल के नाम का विरोध।
- धरमपुरीः कालू सिंह ठाकुर का विरोध हो रहा है।
कमोबेश हर सीट पर विरोध का यही हाल है। जिन सीटों पर टिकट नहीं बंटे हैं वहां भी पुराने और जमे हुए विधायकों के नाम का विरोध शुरू हो चुका है। जिसके बाद ये आसार नजर आने लगे हैं कि लिस्ट जारी करने की ये जल्दबाजी कांग्रेस को उलझाने की बजाए बीजेपी के लिए ही मुश्किल न बन जाए।
कांग्रेस में लिस्ट को लेकर वेट एंड वॉच की राजनीति
बीजेपी धड़ाधड़ लिस्ट जारी करने में लगी है और कांग्रेस में इस मामले को लेकर कोई तेजी दिखाई नहीं देती। कांग्रेसी इसे वेट एंड वॉच की राजनीति बता रहे हैं। अंदरूनी हलकों में ये चर्चा भी है कि जिन सीटों पर टिकट तय है वहां प्रत्याशियों को संकेत दिया जा चुका है, लेकिन एससीएसटी सीटों को लेकर कांग्रेस किसी जल्दबाजी के मूड में नहीं है। इन सीटों पर बहुत सोच समझ कर फैसला होगा।
बीजेपी का दावा है कि कई सर्वे के बाद ये नाम तय किए जा रहे हैं
अपने फैसलों से चौंकाना बीजेपी की आदत रही है। पहली लिस्ट में इस आदत की झलक नजर आ चुकी है। दावा है कि दूसरी लिस्ट में ये आदत हावी दिख सकती है। फिलहाल हवाला सर्वे का देकर टिकट बांटे जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से हर फैसले पर विरोध खुलकर नजर आ रहा है। उसे देखकर लगता है कि कहीं कार्यकर्ता भी अपनी नाराजगी से आलाकमान को चौंकने पर मजबूर न कर दे। पहली सीट पर उठ रही विरोध की आवाजों के बाद हो सकता है कि बीजेपी दूसरी लिस्ट पर फिर गौर करे और उसके बाद ऐलान करे। क्योंकि, कार्यकर्ता के गुस्से का खामियाजा क्या हो सकता है ये बीजेपी खूब जानती है।