इंदौर में टिकट देने में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ठाकुर और ओबीसी पसंद, इस बार वैश्य, ब्राह्मण, जैन समाज का भी दबाव

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Chandresh Sharma
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इंदौर में टिकट देने में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ठाकुर और ओबीसी पसंद, इस बार वैश्य, ब्राह्मण, जैन समाज का भी दबाव

संजय गुप्ता, INDORE. विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की दौड़ जारी है, लेकिन बीजेपी से लेकिन कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दल स्थानीय जाति, समाज के मतदाताओं के गणित पर पूरी नजर रखती है। बीते साल 2018 के चुनावी गणित को देखें तो दोनों ही दल ओबीसी समाज को महत्व देते हैं और बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने ही इंदौर की नौ विधानसभा सीट में तीन-तीन ओबीसी को टिकट दिया था। इस बार जैन, ब्राह्मण हो या ठाकुर, या फिर वैशय समाज सभी समाज अपनी बैठकें कर अधिक से अधिक टिकट की मांग कर चुकी है।

साल 2018 चुनाव में क्या था जातिगत गणित, क्या हुआ नतीजा?

बीजेपी ने बीते 2018 के चुनाव में विधानसभा एक से इस तरह टिकट दिए थे

विधानसभा एक- सुदर्शन गुप्ता, वैश्य समाज को- हार हुई, सामने कांग्रेस के ब्राह्मण प्रत्याशी संजय शुक्ला थे, हालांकि दो बार गुप्ता जीत चुके। इस विधानसभा में वैश्य और ब्राह्मण दोनों ही समाज प्रभावी है।

विधानसभा दो- यहां से बीजेपी के ब्राह्मण प्रत्याशी रमेश मेंदोला जीते, सामने ठाकुर प्रत्याशी कांग्रेस के मोहन सेंगर थे, भारी मतों से कांग्रेस की हार हुई, वजह बीजेपी के लिए यह विधानसभा गढ़ बन चुकी है, इसलिए अब जातिगत समीकरण फेल हैं।

विधानसभा तीन- यहां से बीजेपी के वैश्य समाज के आकाश विजयवर्गीय थे, वहीं सामने ब्राह्मण प्रत्याशी कांग्रेस के अश्विन जोशी थे। इस विधानसभा में व्यापारी वर्ग अधिक होने वैश्य समाज प्रभावी है। हालांकि परंपरागत तौर पर ब्राह्मण वोट बैंक भी प्रभावी है।

विधानसभा चार- यहां के बीजेपी के ठाकुर समाज की मालिनी गौड़ (हालांकि वह खुद जाति से ओबीसी में आती है), जीती, यहां भी दो जैसी स्थिति है और अब जातिगत समीकरण काम नहीं करते, हालांकि यहां सिंधी समाज एक बड़ा वोट बैंक है और लगातार सिंधी समाज से टिकट देने की बात उठती है। सामने कांग्रेस के सिख समाज के सुरजीत सिंह चड्‌ढा थे।

विधानसभा पांच- यहां से ओबीसी वर्ग के महेंद्र हार्डिया, बीजेपी से चुनाव जीते थे। वह लगातार चार बार से जीत रहे हैं। यहां ओबीसी के साथ ही, एससी वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग का वोट बैंक काफी प्रभावी है। लेकिन कांग्रेस की ओर से भी ओबीसी वर्ग के सत्यनारायण पटेल को ही टिकट मिला था। वह केवल 1132 वोट से हारे थे।

राऊ विधानसभा- यहां खाती समाज काफी प्रभावी है, साल 2008 में बनी विधानसभा में लगातार खाती समाज का ही उम्मीदवार जीत रहा है, पहले चुनाव में खाती समाज के जीतू पटवारी कांग्रेस से और जीतू जिराती बीजेपी से उम्मीदवार थे और जिराती जीते, बाद में 2013 में जिराती हारे और साल 2018 में बीजेपी ने यहां से मुराई समाज (ओबीसी) के मधु वर्मा को टिकट दिया, लेकिन खाता समाज के चलते पटवारी की जीत हुई, साल 2023 के लिए फिर वर्मा को ही बीजेपी ने टिकट दिया है, उधऱ् पटवारी सामने रहेंगे ही।

विधानसभा देपालपुर- यहां से भी बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही ओबीसी को टिकट देते हैं, कांग्रेस के विशाल पटेल अभी विधायक है और वह कलौता समाज (ओबीसी) से आते हैं, वहीं मनोज पटेल (धाकड समाज) ओबीसी वर्ग से ही है।

विधानसभा महू- यहां आदिवासी वोट बैंक प्रभावी है और करीब 35-40 फीसदी है, वहीं साथ में ठाकुर वर्ग भी प्रभावी है। कांग्रेस से अंतरसिंह दरबार तो बीजेपी से ऊषा ठाकुर प्रत्याशी थे जो दोनों ही ठाकुर है। यहां जयस आदिवासी उम्मीदवार उतारने जा रही है। वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही कभी आदिवासी समाज को टिकट नहीं दिया।

विधानसभा सांवेर- यह एससी सीट है और बीजेपी के लिए पहले यहां सोनकर परिवार था तो कांग्रेस के लिए सिलावट या फिर प्रेमचंद गुड्‌डु। अब सिलावट के बीजेपी में जाने के बाद सोनकर परिवार का टिकट सांवेर से कट गया है, वहीं गुडडु की बेटी रीना सैतिया का नाम ऊपर है।

इस तरह 2018 में जाति, समाज के टिकट का आंकड़ा

बीजेपी- एक ब्राहाण (विधानसभा दो), दो ठाकुर (महू, विधानसभा चार), दो वैश्य ( विधानसभा एक व तीन), एक एससी (सांवेर से) तीन ओबीसी (विधानसभा राउ, पांच और देपालपुर)

कांग्रेस- दो ब्राह्मण ( विधासनभा एक और तीन), एक सिख (विधानसभा चार), दो ठाकुर (महू और विधानसभा दो), तीन ओबीसी (विधानसभा पांच, देपालपुर, राउ), एक एससी सांवेर विधानसभा

बीजेपी को मराठी, जैन प्रत्याशी की कमी

बीजेपी की ओर से बात करें तो राउ से मुराई समाज के ओबीसी वर्ग से मधु वर्मा का टिकट हो चुका है, एससी से सिलावट तय है, वहीं ठाकुर वर्ग से गौड़ और ठाकुर तो है ही चर्चा में, वैशय समाज से बात करें तो सुदर्शन गुप्ता के साथ ही गोपाल गोयल का नाम चल रहा है, आकाश विजयवर्गीय है ही। ब्राहमण में रमेश मेंदोला का टिकट है । वहीं विधानसभा पांच से हार्डिया ओबीसी वर्ग से नाम चल रहा है। लेकिन इस बार भी खाती समाज से बीजेपी से इंदौर में किसी को टिकट नहीं मिला है, वहीं जैन समाज की ओर से टीनू जैन का नाम आगे बढ़ाया गया है लेकिन दावेदारी वैसी मजबूत नहीं दिख रही है। सांसद सुमित्रा महाजन के राजनीति से अलग होने के बाद मराठी समाज इंदौर में बीजेपी की ओर देख रहा है, इंदौर पांच से गौरव रणदिवे बीजेपी नगाराध्यक्ष का नाम प्रमुखता से चल रहा है, साथ ही महाजन के बेटे मिलिंद का भी नाम रेस मे हैं। देपालपुर से फिर पटेल (मनोज) ही आगे हैं, साथ ही इस बार राजेंद्र चौधरी की भी दावेदारी आ रही है, उधर कैलाश विजयवर्गीय गुट से चिंटू भी है। देपालपुर में पटेल समुदाय के साथ ही ठाकुर वोट भी अधिक है, इसी के चलते जयपाल सिंह चावडा भी टिकट मांग रहे हैं पहले भंवरसिंह शेखावत भी यहां से टिकट मांग रहे थे।

कांग्रेस में वैश्य, ठाकुर, समाज के दावेदर कम

कांग्रेस के टिकट के दावेदारों की बात करें तो यहां देपालुपर से विशाल पटेल (ओबीसी) तय है, खाती समाज (ओबीसी) से जीतू पटवारी राऊ से तय है, वहीं एक और ओबीसी विधानसभा दो से चिंटू चौकसे (जायसवाल) का टिकट तय है। वहीं विधानसभा पांच से ओबीसी कैटेगरी से सत्यनारायण पटेल भी रेस में आगे हैं, हालांकि जैन समाज से स्वप्निल कोठारी की दावेदारी है तो अल्पसंख्यक वर्ग से शेख अलीम भी लगातार दावेदारी कर रहे हैं। ब्राह्मण समाज से विधानसभा के संजय शुक्ला तय है। विधानसभा तीन से अब ब्राह्मण आएगा या वैश्य यह तय नहीं है क्योंकि अश्विन और पिंटू जोशी के साथ ही अरविंद बागड़ी का नाम चल रहा है। विधानसभा चार से भी जैन समाज के अक्षय बम का नाम है तो वहीं सिंधी समाज के वोट बैंक को देखते हुए राजा मंधवानी की भी दावेदारी है। सांवेर एससीट से रीना सैतिया और बंटी राठौर की दावेदारी है, तो वहीं महू से फिलहाल ठाकुर वोट से अंतरसिंह दरबार के साथ ही सदाशिव यादव का नाम चल रहा है। कांग्रेस में फिलहाल वैश्य समाज के टिकट नहीं दिख रहे हैं, ठाकुर का भी एक ही टिकट दिख रहा है, यदि जोशी परिवार को टिकट नहीं मिला तो ब्राहमण भी केवल एक ही टिकट होगा।

Assembly Elections विधानसभा चुनाव Political equation of Indore attention given to Thakur & OBC pressure from other castes also इंदौर का सियासी समीकरण ठाकुर & OBC को तवज्जो अन्य जातियों का भी दबाव