INDORE. इंदौर में सात समंदर पार या विदेशों में बस चुके या वहां रहकर नौकरी या पढ़ाई में व्यस्त बच्चों के माता-पिता इकट्ठा हुए और एक क्लब का गठन किया है। इस क्लब के जरिए ये बूढ़े मां-बाप अपनी समस्याओं को साझा करेंगे, उनका हल मिलकर ढूंढेंगे और एकदूसरे की हेल्प भी करेंगे। इस क्लब का नाम उन्होंने रेसीडेंसी दिया है। जिसमें 40 परिवारों के 70 माता-पिता शामिल हुए।
सभी एनआरआई पैरेंट्स को करना है शामिल
इस क्लब का संयोजन करने वाले डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि हमारी इच्छा है कि आगे चलकर इंदौर शहर के ऐसे समस्त माता-पिता को इस क्लब का हिस्सा बनाया जाए, जिनके बेटे एनआरआई हैं। इस दौरान कुछ सदस्यों ने अपनी समस्याएं भी साझा कीं। सुषमा व्यास नाम की बुजुर्ग महिला ने बताया कि वे जब अपने बेटे से मिलने अमेरिका गई हुई थीं तो वहां उनका एक्सीडेंट हो गया था। डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी तो इंडिया का बीमा होने के बावजूद उन्हें क्लेम देने से इनकार कर दिया गया। तब उन्होंने कंपनी के हेडक्वार्टर में बात की, जिसके बाद क्लेम स्वीकृत हुआ था। उन्होंने बताया कि अच्छी कंपनियों का इंश्योरेंस विदेशों में भी प्रभावी होता है।
शादी के रिश्तों पर भी हुई बात
एक बुजुर्ग ने अपने बच्चों की शादी के लिए अमेरिका की ही भारतीय एनजीओ द्वारा दी गई मदद के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि भारतीय मैरिज ब्यूरो की हेल्प लेने के बजाय विदेश में ऐसी एनजीओ के माध्यम से भी रिश्ते तलाशे जा सकते हैं।
वसीयत पर भी हुआ मशवरा
इस दौरान डॉ अपूर्व पौराणिक ने विदेश में रह रहे बच्चों को मातृभाषा और संस्कारों के प्रति जागरुक करने और अपनी मिट्टी से जुड़े रहने के प्रयास पर भी बल दिया। साथ ही वसीयत की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि जिन माता-पिता के बच्चे विदेशों में रह रहे हैं, उन्हें खास तौर पर वसीयत तैयार करके रखना चाहिए। वृद्धाश्रम जैसी सुविधाओं का सहारा लेने और इनके बढ़ते प्रचलन पर सभी ने कहा कि ऐसी सुविधाएं आज की जरूरत हैं।