UJJAIN. उज्जैन में भगवान आशुतोष औगढ़दानी के महाकाल स्वरूप महाकालेश्वर मंदिर से महाकाल की शाही सवारी निकाली जानी है। श्रावण मास की समाप्ति के बाद परंपरानुसार भादौं के दूसरे सोमवार को यह शाही सवारी निकाली जाती है। इस दौरान बाबा महाकाल भक्तों को 10 स्वरूपों में दर्शन देंगे। इस शाही सवारी को भव्य रूप प्रदान करने मंदिर समिति ने अनेक व्यवस्थाएं की हैं। शाही सवारी के साथ 15 बैंड दल और 70 भजन मंडलियां साथ चलेंगी।
प्रजा का हाल जानने निकलते हैं महाकाल
उज्जैन की परंपरा के अनुसार महाकाल ही उज्जैन (पुराना नाम उज्जयनि) के राजा हैं। वे अपनी प्रजा का हाल जानने शाही सवारी के माध्यम से उनके बीच पहुंचते हैं और कृपा बरसाते हैं। इस शाही सवारी में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभालने पुलिस प्रशासन ने 1 हजार पुलिस कर्मियों को तैनात करने की व्यवस्था की है। स्थानीय स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है। उधर इस शाही सवारी में शामिल होने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी आगमन होने जा रहा है।
शाम 4 बजे से होगी शुरुआत
भगवान महाकाल की इस शाही सवारी का रूट 7 किलोमीटर लंबा है। शहरवासियों ने पूरे शहर को तरह-तरह से सजाया है। शाम 4 बजे महाकाल विभिन्न स्वरूपों में मंदिर से निकलेंगे और रात 10 बजे शाही सवारी वापस मंदिर लौटेगी। महाकाल के चंद्रमौलेश्वर और मनमहेश स्वरूप का पूजन कर पालकी को साढ़े 3 बजे मंदिर से रवाना किया जाएगा। मुख्य द्वार पर उज्जैन के राजाधिराज को सशस्त्र बल की टुकड़ी सलामी देगी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 6 बजे क्षिप्रा तट रामघाट पर शाही सवारी का पूजन करेंगे।
शाही सवारी का मार्ग
महाकाल की शाही सवारी मंदिर से शुरु होकर महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी। पूजन के उपरांत रामानुज कोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा से छोटा सराफा होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। यहां से पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए वापस महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
कड़े सुरक्षा इंतजाम
उज्जैन में बीते दिनों हुए धार्मिक आयोजनों में घटित घटनाओं के मद्देनजर प्रशासन चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था के लिए मुस्तैद है। 1 हजार पुलिस कर्मियों को आसपास के जिलों से बुलाया गया है। बच्चों से शाही सवारी में प्रतीकात्मक पालकी न लाने कहा गया है। कई मार्ग पर वाहन प्रतिबंधित किए जाएंगे। कमजोर और जर्जर मकानों की छतों और छज्जों पर लोगों की भीड़ एकत्रित न हो इसके लिए नगर निगम को ताकीद दी जा चुकी है। समस्त विभागों को भी शाही सवारी के दौरान अलग-अलग व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी गई है।