BHOPAL. विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने शिक्षकों, अतिथि शिक्षकों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ता से लेकर पेंशनर्स सबकी मांगों को पूरा किया। लेकिन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तक कर चुके नर्सिंग छात्र-छात्राओं के भविष्य पर सरकार से लेकर न्यायपालिका तक कुछ नहीं कर पाई। पिछले दिनों सीबीआई ने नर्सिंग घोटाले की जांच के लिए 3 माह की मोहलत और मांग ली है। ऐसे में जांच पूरी होने तक नर्सिंग कॉलेजों का एग्जाम, रिजल्ट और नए सत्र में प्रवेश अटका रहेगा। ऐसे में प्रदेश के तकरीबन एक लाख नर्सिंग स्टूडेंट्स का इंतजार और लंबा खिंच गया है।
यह है मामला
दरअसल मेडिकल यूनिवर्सिटी और नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों ने मिलीभगत कर कोरोना काल के दौरान नियमों को पूरा न करने वाले कॉलेजों को भी रेवड़ी की तरह मान्यता बांट दी थी। इन संस्थानों के पास न तो पर्याप्त जगह थी, न ही कोई अस्पताल था और यहां तक कि बच्चों को पढ़ाने वाले फैकल्टी भी महज कागजों पर थे। हद दर्जे की अनियमितता पाए जाने पर अदालत ने मामला सीबीआई को सौंपा था और जांच पूरी होने तक परीक्षाएं लेने, रिजल्ट घोषित करने और नए प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
90 से ज्यादा कॉलेजों में मिली गड़बड़ी
सरकार की ओर से चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एक लाख स्टूडेंट्स के भविष्य का हवाला देते हुए हाईकोर्ट से एग्जाम रिजल्ट जारी करने और नए एडमिशन के लिए पोर्टल खोलने की मांग की थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। एकमात्र उम्मीद यही है कि सीबीआई जांच पूरी करे। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में 90 से ज्यादा कॉलेजों में गड़बड़ी मिलने की बात कही है। समस्त कॉलेजों की जांच के लिए अतिरिक्त समय मांग लिया है।
पूरा साल बीत रहा नहीं हो पाए एडमिशन
इस सब के बीच प्रदेश के 25 हजार छात्र-छात्राओं के एग्जाम रिजल्ट नहीं आ पाए हैं। वहीं 2023-24 सत्र में एडमिशन प्रक्रिया ही शुरु नहीं हो पाई है। यदि सरकार इस सत्र को शून्रू करती है तो सरकारी नर्सिंग कॉलेजों पर भी इसका असर पड़ेगा।