हरीश दिवेकर, BHOPAL. मुख्य सचिव इकबाल सिंह अब से ठीक 7 दिन बाद यानी 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में मंत्रालय में नए मुख्य सचिव को लेकर चर्चा तेज हो गई है। मुख्य सचिव के दावेदारों की लंबी लिस्ट है, लेकिन किसकी किस्मत खुलेगी, किसका डिब्बा बंद होगा, ये नई सरकार बनने के बाद तय होगा। बीजेपी सरकार की वापसी होती है तो वे अपने पसंदीदा अफसर को इस कुर्सी पर बैठाएगी और यदि सरकार कांग्रेस की बनती है तो वो अपने चहेते अफसर को मुख्य सचिव बनाएगी। दरअसल, ये मुख्यमंत्री का विशेष अधिकार होता है कि वो किसे मुख्य सचिव की हॉट सीट पर बैठाए, इस पर सीनियरिटी का कोई क्राईटएरिया काम नहीं करता। लेकिन इकबाल सिंह बैस के रिटायर होने के बाद से नई सरकार बनने तक इस कुर्सी पर बैठने का अवसर सबसे सीनियर अफसर होने के नाते 1988 बैच की अपर मुख्य सचिव वीरा राणा को मिलना तय है। वीरा वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा मंडल में अध्यक्ष के पद पर पदस्थ हैं। ये मार्च 2024 में रिटायर हो रही हैं।
वीरा राणा सबसे सीनियर अफसर
दरअसल, वीरा राणा से सीनियर आईएएस 1987 बैच के अफसर अजय तिर्की और 1988 बैच के संजय बंदोपाध्याय, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। ऐसे में मप्र में पदस्थ आईएएस के हिसाब से वीरा राणा सबसे सीनियर हैं, उनके बाद 1989 बैच के अनुराग जैन भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। ऐसे में आयोग को जिन तीन नामों का पैनल जाएगा, उनमें पहला नाम वीरा राणा, दूसरा- मोहम्मद सुलेमान और तीसरा- विनोद कुमार का होगा। हालांकि, विनोद कुमार के नाम के ऊपर भी 1989 बैच के दो अफसर आशीष उपाध्याय और राजीव रंजन मीणा हैं, ये दोनों अफसर भी केन्द्र में पदस्थ हैं।
आयोग करेगा नए सीएस का फैसला
चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को आ जाएंगे, लेकिन प्रदेश में 5 दिसंबर तक चुनाव आचार संहिता लगी रहेगी। इस हिसाब से सरकार कोई भी बड़ा फैसला आयोग की अनुमति के बगैर नहीं कर सकती। मुख्य सचिव के रिटायर होने से पहले सरकार को मुख्य सचिव पद के लिए तीन सीनियर आईएएस के नामों का पैनल बनाकर भेजना होगा। आयोग तीनों अफसरों की सीआर देखने के बाद निर्णय लेगा। आयोग की पहली प्राथमिकता सीनियरिटी रहती है, ऐसे में पूरी संभावनाएं वीरा राणा के पक्ष में जाती हैं। वीरा नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह तक प्रभारी मुख्य सचिव के पद पर रहेंगी। इसके बाद नई सरकार चाहे तो उन्हें कंटीन्यू कर सकती है या फिर तत्काल हटा भी सकती है।
एक चर्चा ये भी
मंत्रालय में ये भी चर्चा है कि शिवराज सरकार की ओर से इकबाल सिंह बैंस को एक बार और एक्सटेंशन दिए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है, आईएएस लॉबी में यह भी चर्चा है कि इस बार बैंस को एक्सटेंशन देने पर केंद्र ने असहमति जता दी है, लेकिन इसकी कोई अधिकारिक पुष्टी नहीं कर रहा है। उल्लेखनीय है कि बैंस दो बार 6-6 माह का एक्सटेंशन ले चुके हैं।
नई सरकार में दावेदारों की ये मुश्किल
नई सरकार के अस्तित्व में आते ही मुख्य सचिव की कुर्सी के लिए अफसरों में रस्साकस्सी शुरू हो जाएगी। इसलिए दावेदार इस गणित-ज्ञान में उलझे हैं कि सरकार किसकी आएगी। अफसरों की परेशानी बीजेपी सरकार की वापसी को लेकर है। दरअसल, कांग्रेस सत्ता में आती है तो कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना तय है, ऐसे में दावेदारों ने अपने-अपने स्तर पर लॉबिंग करना शुरू कर दी है, लेकिन बीजेपी सत्ता में वापसी करती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा ? इसका आकलन कर पाना मुश्किल है। ऐसे में अफसर बीजेपी में समीकरण बैठाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। अफसरों का मानना है कि शिवराज को अब सीएम की कुर्सी नहीं मिलेगी, ऐसे में उन पर बारूद खर्च करना बेकार है, लेकिन नया चेहरा कौन होगा इसका आकलन करना उतना ही मुश्किल है।
ये हैं प्रमुख दावेदार
सरकार बनने के बाद मुख्य सचिव बनने वालों में प्रमुख दावेदारों में 1988 बैच की वीरा राणा सबसे पहले रहेंगी, दरअसल, वो पूरा प्रयास करेंगी कि प्रभारी मुख्य सचिव से मुख्य सचिव बन जाएं, इसकी संभावना भी है। वीरा राणा मार्च में रिटायर हो रही हैं, वे मुख्यमंत्री से आग्रह कर प्रयास कर सकती हैं कि उन्हें 4 माह तक रहने दिया जाए। दूसरे नंबर पर सबसे प्रबल दावेदारों में 1989 बैच के मोहम्मद सुलेमान का नाम आता है। सुलेमान विजनरी अफसर माने जाते हैं। कभी शिवराज के खास हुआ करते थे, लेकिन 2020 में इकबाल सिंह के मुख्य सचिव बनते ही सुलेमान की शिवराज से दूरियां बढ़ गईं। तीसरे नंबर पर 1990 बैच के राजेश राजौरा का नाम आता है, हालांकि राजौरा से सीनियर 1989 बैच के दो अफसर विनोद कुमार और जेएन कंसोटिया भी हैं, लेकिन इन अफसरों की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। चौथे नंबर पर 1990 बैच के एसएन मिश्रा और पांचवें नंबर पर मलय श्रीवास्तव का नाम भी प्रमुख दावेदारों में माना जा रहा है। हालांकि, मलय श्रीवास्तव से ऊपर अश्विनी राय का नाम आता है, लेकिन उनकी दावेदारी भी कमजोर ही मानी जा रही है।