BH0PAL. सिर मुंडाते ही ओले पड़ना- बहुत पुरानी सी ये कहावत मध्यप्रदेश के मौजूदा राजनीतिक सिनेरियो पर फिट बैठती है। खासतौर से बात बीजेपी की करें तो क्योंकि कांग्रेस ने तो अभी सिर मुंडाया ही नहीं है। बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से आगे तो निकल चुकी है। हम बात कर रहे हैं लिस्ट जल्दी जारी करने की। बीजेपी ने ये सोच कर लिस्ट जल्दी जारी की कि डैमेज कंट्रोल के लिए वक्त मिल जाएगा। पर, ये नहीं सोचा होगा कि अपने ही अपनों के दुश्मन बन जाएंगे जिन सीटों पर टिकट फाइनल हो चुके हैं। फिलहाल उनमें से दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर गुस्से, नाराजगी और बगावत की खबरें आ रही हैं। जहां टिकट जारी नहीं हुआ है उन सीटों पर भी पहले ही विरोध होने लगा है। सनातन हो या परिवारवाद का मामला जो बीजेपी उठाती रही है, अब वही उसके खिलाफ हो रहे हैं।
गंभीर मसला ये है कि बगावत संभाले नहीं संभल रही है
बीजेपी ने दो लिस्ट तेजी से जारी की और चुनावी तारीखों से काफी पहले जारी कर दी। उसके बाद से बगावत उफान पर है। आमतौर पर कांग्रेस पर गुटबाजी के आरोप लगते रहे हैं और नाराजगी के ऐसे किस्से भी सामने आते रहे हैं, लेकिन बीजेपी में इस बार ये मंजर बिलकुल नया है। गंभीर मसला ये है कि बगावत संभाले नहीं संभल रही है। अमरवाड़ा सीट से मोनिका बट्टी को टिकट मिलने के बाद तो हालात ये हैं कि यहां कार्यकर्ताओं ने ही प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिस सनातन धर्म को बीजेपी ने खुद चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया है। कार्यकर्ता मोनिका बट्टी के परिवार को उसी सनातन के खिलाफ बता रहे हैं। खैर विरोध की तो ये मात्र एक बानगी है। इससे ज्यादा सीटों पर विरोध की लहर है। परेशानी का सबब ये है कि पार्टी के पुराने निष्ठावान नेता ही आलाकमान के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
परिवारवाद पर कार्यकर्ताओं ने पार्टी को घेरना शुरू कर दिया है
फाइनल शो डाउन से पहले अपने पुराने साथियों के फाइनल फैसले बीजेपी की नाक में दम कर रहे हैं। दिग्गज मैदान में मोर्चा खोल चुके हैं। ताज्जुब तो उन सीटों पर है जहां अब तक प्रत्याशी डिक्लेयर नहीं हुआ, लेकिन विरोध मुखर हो चुका है। बीजेपी हमेशा परिवारवाद का विरोध करती रही है। अब यही मुद्दा कार्यकर्ताओं ने उठाकर अपनी ही पार्टी को घेरना शुरू कर दिया है। कुछ सीटों पर टिकट कटने के बाद बागियों के बीच डिनर पॉलिटिक्स भी शुरू हो चुकी है। उसके नतीजे भी जल्द सामने आ सकते हैं।
दो दर्जन के करीब सीटों पर हालात बिगड़े हुए हैं
डैमेज कंट्रोल में एक्सपर्ट बीजेपी प्रदेश में अपनी ये खूबी कब दिखाएगी, इसका इंतजार सभी को है। हर तरफ हो रही बगावत से बाखबर होने के बावजूद बीजेपी अब तक उसे रोकने की कोई जुगत भिड़ाने में नाकाम ही रही है। अब तक एक दो नहीं बल्कि, दो दर्जन के करीब सीटों पर हालात बिगड़े हुए बताए जा रहे हैं...
श्योपुर
दुर्गालाल विजय को टिकट मिला. BJP के जिला उपाध्यक्ष बिहारी सिंह सोलंकी ने निर्दलीय लड़ने की चेतावनी दी है।
लहार
अंबरीश शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूर्व विधायक रसाल सिंह ने विरोध किया है।
गोहद
लाल सिंह आर्य को टिकट मिला है। कुशवाहा समाज ने विरोध शुरू कर दिया है।
भितरवार
मोहन सिंह राठौर को टिकट मिला है। BJP के पुराने कार्यकर्ता और दावेदार राठौर के प्रचार से दूरियां बना रहे हैं।
सेंवढ़ा
प्रदीप अग्रवाल को यहां BJP ने उम्मीदवार बनाया है। वे पहले विधायक रह चुके हैं। 2018 में प्रत्याशी रहे कालीचरण कुशवाहा ने उम्मीदवार बदलने की मांग की।
करैरा
रमेश खटीक को प्रत्याशी बनाने पर पूर्व विधायक राजकुमार खटीक ने मोर्चा खोला।
चाचौड़ा
टिकट कटने के बाद बीजेपी की पूर्व विधायक ममता मीणा ने आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। वे अब AAP से उम्मीदवार हैं।
राघौगढ़
हीरेंद्र सिंह को टिकट देने पर यादव समाज नाराज है। BJP अध्यक्ष को लेटर लिखकर यादव समाज का उम्मीदवार बनाने की मांग की है।
चंदेरी
जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को उम्मीदवार घोषित किया गया है। 2018 के उम्मीदवार रहे भूपेंद्र द्विवेदी निर्दलीय चुनाव लड़ने के मूड में हैं।
बंडा
वीरेंद्र सिंह लंबरदार को प्रत्याशी बनाया गया है। पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव खुलकर विरोध कर रहे हैं। सुधीर यादव कमलनाथ से भी मुलाकात कर चुके हैं।
उदयपुरा
नरेंद्र शिवाजी पटेल को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूर्व विधायक रामकिशन पटेल ने प्रत्याशी बदलने की मांग की है। रामकिशन का आरोप है कि 2018 के चुनाव में नरेंद्र के परिवार ने BJP प्रत्याशी के खिलाफ काम किया था।
महाराजपुर
BJP के दावेदार यहां से उम्मीदवार कामाख्या प्रताप सिंह के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं।
छतरपुर
ललिता यादव को प्रत्याशी बनाने के बाद पूर्व नपाध्यक्ष अर्चना सिंह बगावती तेवर दिखा रही हैं। टिकट घोषित होने के बाद अर्चना कई सार्वजनिक कार्यक्रम कर अपनी ताकत का अहसास करा चुकीं हैं।
गुन्नौर
राजेश वर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पूर्व विधायक महेंद्र बागरी ने BJP छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। टिकट की दूसरी दावेदार अमिता बागरी ने संगठन को टिकट बदलने की मांग की है। बीजेपी का प्रचार न करने की धमकी भी दे चुकी है।
सतना
गणेश सिंह को टिकट देने से पूर्व विधायक शंकरलाल नाराज हैं। BJP की नाराज लॉबी उन्हें निर्दलीय या किसी दल से चुनाव लड़ाने की कवायद में जुटी है।
चित्रकूट
सुरेंद्र सिंह गहरवार के विरोध में बीजेपी कार्यसमिति सदस्य सुभाष शर्मा डोली ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। सुभाष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और चुनाव लड़ने के लिए तैयारी में जुटे हैं।
मैहर
श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट मिला है। वर्तमान विधायक नारायण त्रिपाठी ने टिकट मिलने के दिन वीडियो जारी कर विरोध जताया।
सीधी
सांसद रीति पाठक को टिकट देने के बाद वर्तमान विधायक केदारनाथ शुक्ला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
अमरवाड़ा
मोनिका बट्टी के परिवार को सनातन विरोधी बताकर विरोध किया जा रहा है।
परासिया
ज्योति डेहरिया का टिकट घोषित होने पर पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया विरोध कर रहे हैं।
पांढुर्णा
प्रकाश उईके को बाहरी बताकर स्थानीय कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।
मुलताई
चंद्रशेखर देशमुख को टिकट मिलने पर BJP समर्थक जिला पंचायत सदस्य उर्मिला रोहाडे भोपाल में प्रदेश बीजेपी कार्यालय पहुंची। उन्होंने पदाधिकारियों से टिकट बदलने की मांग की।
राऊ
मधु वर्मा को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा के समर्थक विरोध कर रहे हैं। भोपाल में प्रदेश बीजेपी कार्यालय में मधु वर्मा के समर्थक प्रदर्शन कर चुके हैं।
नागदा-खाचरोद
डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पूर्व विधायक दिलीप सिंह शेखावत ने बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया था।
देपालपुर
मनोज पटेल को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद उनका विरोध हो रहा है।
अब इस नाराज लॉबी को मनाना फिलहाल बीजेपी के बस से बाहर की बात नजर आ रहा है। हालांकि, पार्टी से जुड़े नेता इसे टिकट जारी होने के बाद की आम प्रक्रिया बता रहे हैं।
डिनर की टेबल पर खिचड़ी क्या पकी ये सामने नहीं आया
नाराज लॉबी और प्रेशर पॉलीटिक्स के बीच डिनर पॉलीटिक्स का दौर भी शुरू हो चुका है। खबर है कि परासिया के पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया, अमरवाड़ा के पूर्व प्रत्याशी उत्तम सिंह ठाकुर और जुन्नारदेव के पूर्व प्रत्याशी आशीष ठाकुर डिनर पर मुलाकात कर चुके हैं। इस बार तीनों ही अपने विधानसभा क्षेत्रों में प्रबल दावेदार थे, लेकिन अब तीनों का नाम असंतुष्टों में शामिल हो चुका है। डिनर की टेबल पर खिचड़ी क्या पकी ये तो खुलकर सामने नहीं आया, लेकिन इस डिनर पॉलीटिक्स के नतीजे बीजेपी के लिए बुरे साबित हो सकते हैं। खासतौर से तब जब कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को हिलाने के लिए बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है।
बीजेपी ने जल्दी नाम ये सोच कर जारी किए थे कि प्रत्याशियों को तैयारी का भरपूर समय मिलेगा, लेकिन हालात ये हैं कि फिलहाल प्रत्याशियों को क्षेत्र में प्रचार करने जाना भी मुश्किल हो रहा है।
बगावत वाली सीटों पर सियासी हालात फिर बदलेंगे
अभी इन सीटों पर बीजेपी की ही लिस्ट जारी हुई है। अभी कांग्रेस की लिस्ट का इंतजार है। उम्मीद ये वीकेंड गुजरने से पहले कांग्रेस भी एक लिस्ट जारी कर दे। उसके बाद बगावत वाली सीटों पर सियासी हालात फिर बदलेंगे। कुछ सीटों से संकेत ये भी आ रहे हैं कि कांग्रेस का प्रत्याशी तय होने के बाद दोनों पार्टियों की नाराज लॉबी एक निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा कर सकती है। यानी सियासी बिसात के प्यादे ही एक नया मोहरा लाकर अपने राजा रानी का खेल खराब कर सकते हैं।