संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) में बड़ा बदलाव हुआ है, यहां डिप्टी डायरेक्टर पद पर नियुक्त भुवनेश तिवारी का ट्रांसफर हो गया है। भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया के साथ ही सुरेंद्र संघवी पर केस करने और छापा मारने वाले अधिकारी वही थे। सूत्रों के अनुसार तिवारी ने मुख्यालय पर एक बार फिर अपना एक्सटेंशन करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन इसे खारिज कर दिया गया और उन्हें इंदौर में एक्सटेंशन नहीं मिला है। बताया जा रहा है अहमदाबाद ईडी उन्हें भेजा गया है और उनकी जगह मुंबई से मोहित जांगिड़ को नया डिप्टी डायरेक्टर ईडी इंदौर बनाया गया है।
तीन साल में भूमाफिया वाला ही सबसे बड़ा केस हुआ था
तिवारी की नियुक्ति तीन साल के लिए इंदौर में हुई थी, यह समय पूरा होने के पहले उन्होंने एक्सटेंशन की अर्जी दी थी जो नहीं मानी गई। बताया जा रहा है कि बीते तीन सालों में ईडी इंदौर की ओर से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है और यह विभाग सोया ही रहा है। बीते साल भूमाफिया पर केस रजिस्टर्ड किया था, जो मुख्य तौर पर प्रशासनिक दबाव के चलते हो पाया था, इसे लेने की ईडी की कोई अधिक मंशा नहीं थी। केस दर्ज होने के एक साल बाद ईडी इंदौर मई 2023 में ही इसमें एक्शन में आया और छापे मारे। इसके बाद आननफानन में कई लोगों को नोटिस दिए गए और मद्दा की गिरफ्तारी ली गई। सूत्रों के अनुसार यह सब कार्रवाई भी ईडी में एक्सटेंशन चाहत में आननफानन में हुई थी। लेकिन इसके पहले इस केस में की गई देरी और तीन सालों में ईडी इंदौर से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होना, तिवारी के एक्सटेंशन में सबसे बड़ी बाधा बन गई।
ये भी पढ़ें...
केस के बाद से ही ईडी पर उठ रही थी उंगलियां
इस केस के दर्ज होने के बाद से ही ईडी की कार्यशैली पर भी उंगलिया उठ रही थी। इसमें जहां ईडी ने मद्दा की गिरफ्तारी ली लेकिन सुरेंद्र संघवी और बेटे प्रतीक संघवी को केवल दो बार पूछताछ करके छोड़ दिया गया। इसी तरह बयानों में नाम आने के बाद भी पिंटू छाबड़ा, बॉबी छाबड़ा सहित कई अन्य बड़े लोगों को ईडी ने छुआ भी नहीं। इसी मामले में इंदौर के दो बड़े लाइजनर के भी नाम आते रहे कि इन्होंने ईडी के घेरे में आ रहे कई बड़े बिल्डरों को बचाने में भूमिका निभाई है, हालांकि यह बातें खबरों में ही चलती रही है लेकिन यह सभी उच्च स्तर पर पहुंची जो तिवारी के एक्सटेंशन में बाधा बन गई।