संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर सहित उसकी पत्नी, पुत्रियों, दामाद, समधन की 1 करोड़ 28 लाख की चल- अचल संपत्ति जब्त करने का आदेश सुनाया है। कोर्ट ने सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी की चल-अचल संपत्ति और बीमा पॉलिसी से वसूली का आदेश दिया है। आरोपी हुकुमचंद सोनी उज्जैन संभाग के शाजापुर में डिप्टी कलेक्टर के पद से रिटायर्ड हुए थे। जिनका अब निधन हो चुका है।
ऐसा कृत्य उदारता के योग्य नहीं
स्पेशल कोर्ट न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि- भ्रष्टाचार समाज व परिवार के लिए खतरनाक है और भ्रष्ट आचरण प्रभावित व्यक्ति के जीवन पर्यंत एवं मृत्यु उपरांत भी उसके कार्यों से दिखाई देता है। ऐसा कृत्य निंदनीय होकर उदारता के योग्य नहीं होता है। जैसे मछली पानी में रहते हुए कब पानी पीती है या नही पीती है इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता उसी प्रकार सरकारी सेवक सेवा के दौरान कब अपने पद का दुरूपयोग कर सकता है या नही इसका अंदाजा लगाना भी कठिन होता है।
इन सभी को माना गया आरोपी
रिटायर डिप्टी कलेक्टर (जिनका निधन हो चुका है) हुकुमचंद सोनी पिता केसरीमल सोनी तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर शाजापुर थे जो मूल रूप से उज्जैन निवासी थे। प्रभावित व्यक्ति पत्नी सुषमा और बेटी अंजली, सोनालिका, प्रीती, सरिता, प्रमिला (मृत) , एवं रेखा वर्मा पति भरतकुमार वर्मा, सोनालिका की सास, अजय वर्मा दामाद। कोर्ट ने हुकुमचंद सोनी की चल-अचल संपत्तिया एवं बीमा पॉलिसियों से उक्त राशि वसूल करने के लिए कलेक्टर उज्जैन के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी के निर्देशन में विशेष लोक अभियोजक डॉ. पदमा जैन द्वारा की गई ।
यह है मामला
लोकायुक्त संगठन उज्जैन की ओर हुकुमचंद सोनी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया जो कि विचारणीय है। इनकी 1 करोड़ 77 लाख 55 हजार 751 की संपत्ति मध्यप्रदेश शासन के पक्ष में अधिहरण किए जाने के लिए एक आवेदन प्रस्तु्त किया। लोकायुक्त कार्यालय मुख्यालय भोपाल को हुकुमचंद सोनी के विरूद्ध शिकायत प्राप्त जिस पर 20 जुलाई 2011 को लोकायुक्त ने छापा डाला गया एवं सूत्र सूचना प्रतिवेदन के आधार पर प्रभावित व्यक्ति के विरूद्ध अपराध क्रं 81/2011 थाना विशेष पुलिस स्थापना म.प्र. भोपाल में धारा 13(1)(ई) एवं धारा 13(2) भ्रष्टारचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। सोनी की प्रथम नियुक्ति निम्न श्रेणी लिपिक के रूप में दिनांक 19.11.1975 को तराना मे हुई सेवा आरंभ की दिनांक से सेवा निवृत्ति दिनांक तक जिला उज्जैन के राजस्व विभाग मे विभिन्न स्थांनो पर पदस्थ रहा। विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत नायब तहसीलदार, तहसीलदार एवं डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नति हुई । इस अवधि के दौरान ज्ञात एवं वैध आय से असमानुपातिक संपत्ति (356.96 प्रतिशत) अधिक पाई गई। लोकायुक्त जांच में रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी की अवैध कमाई में पत्नी और बेटियां भी सहयोगी पाई गईं।