Munishri Tarun Sagarji Birth Anniversary : आज यानि 26 जून को दिगंबर जैन पंथ के क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुणसागरजी की जयंती है। उनका असली नाम पवन कुमार जैन है। जैन मुनि के रूप में विख्यात रहे तरुणसागर जी को अपने कड़वे प्रवचन के कारण ही क्रांतिकारी संत कहा जाता है। आइए उनकी जयंती पर जानते हैं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से तरुण सागर जी महाराज का रिश्ता...।
एमपी जन्म और छत्तीसगढ़ ली थी दीक्षा
जैन मुनि तरुण सागर जी का जन्म 26 जून 1967 को मध्य प्रदेश में दमोह जिले के गांव गहजी में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम प्रताप चन्द्र जैन और शांतिदेवी जैन था। तरुण सागर जी के जन्म का नाम पवन कुमार जैन था। सिर्फ 14 साल की उम्र में 8 मार्च 1981 को वह सन्यास मार्ग की ओर अग्रसर हो गए।
तरुण सागर जी की शुल्लक दीक्षा अकलतरा छत्तीसगढ़ में हुई थी। उनकी मुनि दीक्षा 1988 में राजस्थान के बागीदौरा में हुई थी। उनके गुरु पुष्पदंत सागर जी हैं। अपने प्रवचनों के माध्यम से समाज के कड़वे सच से रूबरू करवाने वाले संत तरुण सागरजी महाराज को क्रांतिकारी संत की उपाधि मिली हुई थी। तरुण सागर जी की जयंती | दिगंबर जैन पंथ के राष्ट्रसंत
तरुण सागर जी को राजकीय अतिथि का दर्जा
6 फरवरी 2002 को मध्य प्रदेश शासन ने इनको राजकीय अतिथि का दर्जा दिया था। वहीं 2003 में इंदौर में इन्हें राष्ट्रसंत की उपाधि दी गई था। गुजरात सरकार ने भी इनको 2 मार्च 2003 को ‘राजकीय अतिथि’ का दर्जा दिया था।
RSS ने बदल थी अपनी ड्रेस
साल 2011 में तरुण सागर जी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने अपने विजयदशमी के कार्यक्रम में बुलाया था। उस दौरान ही उन्होंने एक ऐसा प्रवचन दिया था, जिसके बाद RSS की ड्रेस में बदलाव हुआ।
तरुण सागर जी ने कहा था कि स्वंयसेवक जिस चमड़े की बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं वह अहिंसा के विपरीत है। इसके बाद आरएसएस ने अपनी ड्रेस से चमड़े की बेल्ट की जगह कैनवस की बेल्ट का इस्तेमाल शुरू कर दिया था।
तरूण सागर जी के अमूल्य विचार
- हमेशा सकारात्मक सोच रखो।
- किसी के सपनों पर हंसो मत।
- स्वयं पर पूरा भरोसा रखो।
- अपने काम से मतलब रखो।
- सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते हैं।
- दिन में कम से कम 3 लोगों की प्रशंसा करो।
- कर्ज और शत्रु को कभी बड़ा मत होने दो।
- खूब जरूरी हो तभी कोई चीज उधार लो।
- कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं, बल्कि कुछ करना पड़ता है।
- समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतू कामों में खर्च मत करो।
- खुद की भूल स्वीकारने में कभी भी संकोच मत करो।
- आपके पीछे खड़े व्यक्ति को भी कभी-कभी आगे जाने का मौका दो।
- किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार... पूछो।
- प्रार्थना करना कभी मत भूलो, प्रार्थना में अपार शक्ति होती है।
- हो सके तो रोज सूरज को उगता हुए देखें।
- जो आपके पास है, उसी में खुश रहना सीखो।
- कोई काम छोटा नहीं होता, हर काम बड़ा होता है, जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर वह काम आप नहीं करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता?
- हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ।
- बुराई कभी भी किसी की भी मत करो, क्योंकि बुराई नाव में छेद समान है, बुराई छोटी हो, लेकिन बड़ी नाव तो डुबो ही देती है।