INDORE. इंदौर के एक प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा थाने में लिखाई गई लूट की एफआईआर झूठी निकली है। सीसीटीवी फुटेज ने सारी कहानी की पोल खोलकर रख दी और इस मामले में जिसके खिलाफ केस दर्ज कराया था उसकी जमानत मंजूर हो गई। इसमें एक अन्य जज गवाह थे, यानी दो जज की कहानी झूठी निकली है।
यह हुई थी घटना
जज मोहित रघुवंशी ने कनाडिया थाने में व्यापारी शैलेंद्र नागर के खिलाफ लूट, मारपीट, जान से मारने की कोशिश सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था। इसमें जज गवाह के तौर पर थाने में गए थे। इसके बाद पुलिस ने नागर को तत्काल गिरफ्तार कर लिया और ट्रायल कोर्ट ने भी जमानत खारिज कर दी। वह एक माह से जेल में है। घटना में बताया था कि रघुवंशी एक्टिवा से आ रहे थे और उनके सामने आरोपी नागर ने कार रोकी और मारपीट कर जान से मारने की कोशिश की और 1300 रुपए लूट लिए।
असल में हुआ यह था
हाईकोर्ट में अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता करण बैरागी ने इस मामले में फरियादी व्यापारी नागर की ओर से जमानत आवेदन पर तर्क किए। इन्होंने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में साफ है कि व्यापारी नागर कार में बैठा है, केस दर्ज कराने वाले जज साहब पीछे से एक्टिवा से आते हैं, कार पर थपाथपाकर खिड़की खुलवाते हैं और फिर दोनों के बीच बहस और मारपीट होती है। दोनों के बीच सामान्य मारपीट का मामला था और इसमें किसी तरह की लूट नहीं हुई है। इसके बाद भी थाने में लूट की धाराओं में केस दर्ज हुआ, इसके बाद वह एक महीने से जेल में हैं।
25 हजार मुचलके पर दी जमानत
अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता करण बैरागी के इन तर्को से सहमत होकर न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट ने अभियुक्त शैलेंद्र की जमानत स्वीकार करते हुए फैसले में लिखा की सीसीटीवी फुटेज को देख कर प्रतीत होता है की केवल मारपीट हुई थी लूट जैसा कुछ प्रतीत नही होता अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। घटना स्थल उसकी दुकान के ठीक सामने है ऐसे में यह न्यायलय अभियुक्त को जमानत का लाभ देती है।
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