करोड़ों के कर्ज में मध्यप्रदेश की मोहन सरकार, लाड़ली बहना योजना पर लटकी तलवार?

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Harish Divekar
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करोड़ों के कर्ज में मध्यप्रदेश की मोहन सरकार, लाड़ली बहना योजना पर लटकी तलवार?

BHOPAL. जिस लाड़ली बहना ने बीजेपी को सत्ता के शिखर पर पहुंचाया। वही लाड़ली बहना अब सरकार के गले की फांस बन गई है वहीं विपक्षी दलों का बड़ा हथियार बन गई है। कांग्रेस ही नहीं आप भी अब बीजेपी को घेरने का बड़ा प्लान बना रही है। वैसे तो डॉ. मोहन यादव सदन में कह चुके हैं कि लाड़ली बहना समेत कोई भी कल्याणकारी योजना बंद नहीं होगी, लेकिन ये दम भरना जितना आसान है योजनाओं को चलाए रखना उतना आसान नहीं है। लोकसभा जीतने के लिए हो सकता है बीजेपी सरकार हर योजना को चार से पांच माह और जारी रखे। हकीकत ये है कि 1 करोड़ 25 लाख महिलाओं को मिलने वाले इस लाभ का प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ने वाला है। अगले कुछ मिनट में आपको बताते हैं कि लाड़ली बहना समेत दूसरी योजनाओं की खातिर डॉ. मोहन यादव की सरकार को कितने कांप्रोमाइज करने पड़ रहे हैं। उसका असर प्रदेश की जनता पर कितना पड़ सकता है।

2 हजार करोड़ का कर्ज एक महीने से ज्यादा नहीं चलेगा

सबसे पहले ये जान लीजिए कि मोहन यादव की सरकार को प्रदेश पर काबिज हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ है और सरकार ने दो हजार करोड़ रु. का कर्ज ले लिया है। आम आदमी को सुनने में ये रकम बहुत भारी लग सकती है। हो सकता है आपमें से कुछ लोग ये सोच लें कि इतना कर्ज तो बहुत है, लेकिन अब इसकी भी हकीकत जान लीजिए। पहले तो आप खुद ये कैलकुलेट कर लीजिए कि जब एक करोड़ 25 लाख महिलाओं को 1250 की राशि दी जाएगी तब वो रकम कितनी होगी। आंकड़ा 15 सौ करोड़ (15,625,000,000- ये एग्जेक्ट फिगर है) के आसपास का होगा। इस लिहाज से 2 हजार करोड़ का ये कर्ज एक महीने से ज्यादा काम नहीं आएगा।

इस साल सरकार 25 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है

दूसरी हकीकत ये जान लीजिए कि विधानसभा चुनाव के साल में यानी कि साल 2023 में ही शिवराज सरकार अलग-अलग मौकों पर करोड़ों का कर्ज ले चुकी है। सितंबर के महीने में ही सरकार ने पांच बार कर्ज लिया। इससे भी ज्यादा मजेदार बात ये है कि सिर्फ एक ही दिन में तीन बार कर्ज लिया। ये दिन था 26 सितंबर 2023 का। इस गुजरते साल में बीजेपी सरकार 25 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है और पूरे कार्यकाल पर नजर डालें तो 3 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में ये सरकार डूबी हुई है।

घर में रहने वाला हर सदस्य इस कर्ज की जद में है

इसके बाद तो ये सवाल उठना लाजमी है कि जब सरकार आगे बढ़ेगी और उसके साथ ये योजनाएं भी आगे बढ़ेंगी तो उन्हें पूरा कैसे किया जाएगा। हर महीने 1250 की राशि देने के लिए ही हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। जब ये राशि तीन हजार रुपए प्रति माह प्रति लाड़ली बहना होगी तब ये रकम कितनी ज्यादा होगी। क्या आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं। आप इस अमाउंट को खुद कैलकुलेट करके देखिए। तब तक हम आपको बताते हैं कि इस प्रदेश का हर बाशिंदा कितने कर्ज में डूबा है। फिलहाल नए कर्ज की गिनती नहीं करते हैं पुराने कर्ज की ही बात करते हैं। जो डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल से पहले बीजेपी की सरकार ने लिया। उस कर्ज को अगर चुकाना पड़ा तो प्रदेश के हर शख्स पर 41 हजार रु. तक का बोझ आएगा। फिलहाल ये एक मोटा अनुमान है। पर, यूं समझ लीजिए कि हर शख्स का मतलब है कि आपके परिवार में जो कमाने वाला है सिर्फ उस पर इस कर्ज का बोझ नहीं है। घर में रहने वाले बुजुर्ग, घर में रहने वाले बच्चे और वो लाड़ली बहनें जिन्हें उस योजना का लाभ मिलता है या नहीं मिलता है, सब इस कर्ज की जद में है।

योजना को पूरा करने 4200 करोड़ का कर्ज लेना होगा

कुल मिलाकर शिवराज सरकार की सबसे पॉपुलर योजना लाड़ली बहना ने प्रदेश का बजट बिगाड़ दिया है। इस योजना को पूरा करने के लिए नवनियुक्त मोहन सरकार को 4200 करोड़ का कर्ज लेना होगा। योजनाओं का भार इतने पर ही खत्म नहीं होता। लाड़ली बहना के अलावा संविदा कर्मियों के बढ़ाए गए मानदेय को देने के लिए 1500 करोड़ और अन्य योजनाओं के लिए भी 2000 करोड़ का कर्ज लेना पड़ेगा। इसके साथ ही लड़कों को स्कूटी दिए जाने, गैस सिलेंडर के दाम 450 रुपए करने, पंचायत कर्मियों की सैलरी बढ़ाए जाने जैसी कई तमाम घोषणाओं के कारण बजट गड़बड़ा गया है।

सरकार का दावा है कि योजनाएं जारी रहेंगी

अब अगर इन चुनावी घोषणाओं को पूरा करना है तो चुनावी सीजन में मोहन यादव की सरकार को अगले तीन महीने करीब 25 हजार करोड़ का कर्ज लेना पड़ेगा तब जाकर सरकार अपनी चुनावी घोषणाओं को कुछ हद तक पूरा कर पाएगी। हालांकि, इधर प्रदेश सरकार के दावा कर रही है कि प्रदेश में संचालित जनकल्याणकारी कार्यक्रम और विकास योजनाओं के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। सभी जन कल्याणकारी कार्यक्रम और विकास योजनाएं विधिवत जारी रहेंगी।

पर... क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स का बोझ बढ़ेगा जिसे आम जनता को ही ढोना पड़ेगा। उसे इन जनकल्याणकारी नाम से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिले या न मिले।

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