नितिन मिश्रा, RAIPUR. छत्तीसगढ़ ने डीकेएस प्रबंधन ने 2017 में 495 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मंगाए थे। जिसके लिए अभ्यर्थियों से 200 से 300 रुपए की डीडी ली गई थी। इंस्टीट्यूट प्रबंधन ने 30 हजार युवाओं के 70 लाख रुपए को ना ही बैंक में जमा किया और ना ही स्टूडेंट्स को वापस किया। अलमारी में रखी हुई डीडी बेकार हो गई। बेरोजगारों को पैसे मिलने की उम्मीद ना के बराबर है। जिस जगह डीडी रखी गई है वो कमरा डीकेएस घोटाले की जांच के कारण शील कर दिया गया था।
बेकार हो गई लाखों की डीडी
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में दाऊ कल्याण सिंह पीजी इंस्टीट्यूट ने 2017 में 495 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मंगाए थे। इसमें स्टाफ नर्स के 236, टेक्नीशियन के 120, वार्ड बॉय के 65, आया के 20, गार्ड के 25 और स्वीपर के 29 पर शामिल हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 200 से 300 रुपए की डिमांड ड्राफ्ट लिया गया था। इस डीडी की वैधता 6 महीने की थी। तब से डीडी फार्म अंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन विभाग को एक अलमारी में बंद है। प्रबंधन की लापरवाही से डिमांड ड्राफ्ट को ना बैंक में जमा किया गया और ना ही उसे अभ्यर्थियों को वापस किया गया। अंत में एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक भी लगा दी। जिस कमरे में डीडी को रखा गया है। उस कमरे को पुलिस पहले ही डीकेएस घोटाले की जांच के चलते शील कर रखी है। युवाओं के पैसे मिलने की उम्मीद अब ना के बराबर हैं। करीब 30 हजार से ज्यादा युवाओं की 70 लाख रुपए की डीडी अब बेकार हो चुकी है।
वार्ड ब्वाय पद के लिए सबसे ज्यादा आवेदन आए थे
वार्ड ब्वाय के 65 पदों के लिए सबसे ज्यादा आवेदन आए हुए थे। प्रदेश के लगभग सभी जिलों से 10 हजार से ज्यादा युवा कॉलेज परिसर में आए हुए थे। नेहरू मेडिकल कॉलेज में इन युवाओं को वॉक इन इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। इतनी ज्यादा भीड़ के कारण कॉलेज में अफरा-तफरी मच गई। असर दिन युवाओं पर लाठी चार्ज भी किया गया था। प्रबंधन ने वॉक इन इंटरव्यू नहीं किया। फिर बाद में लिखित परीक्षा लेने का निर्णय किया गया। लेकिन बाद में एक्जीक्यूटिव काउंसिल ने भर्ती ही रद्द कर दी गई।