ISLAMABAD/WASHINGTON . श्रीलंका के बाद अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बिगड़ती जा रही है। देश में महंगाई ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 6.7 अरब डॉलर तक नीचे लुढ़क गया है। पाकिस्तान की मुद्रा का लगातार डिवैल्यूवेशन (अवमूल्यन) हो रहा है, ऐसे में वह एक डॉलर 224.63 पाकिस्तानी रुपए में खरीद रहा है। दूसरी ओर पाकिस्तान में अंदरूनी कलह चल रही है। अब स्थिति यह है कि कर्ज में दबे पाकिस्तान को अमेरिका में स्थित अपने पुराने दूतावास की इमारत को बेचने का फैसला करना पड़ रहा है। इसकी कुल कीमत 50 से 60 लाख डॉलर है।
वॉशिंगटन के पाश इलाके में है पाक का यह दूतावास, फॉरेन ऑफिस ने दी इमारत को बेचने की मंजूरी
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का यह दूतावास बीते 15 सालों से खाली पड़ा है। पाक सरकार के विशेष अनुरोध पर दूतावास की इमारत को बेचने के लिए उसे फॉरेन ऑफिस से मंजूरी भी मिल गई है। पाकिस्तान का यह दूतावास वॉशिंगटन के बेहद पॉश इलाके में हैं। दूतावास बिकने की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। वहीं पाकिस्तान में इसका विरोध हो सकता है।
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निर्यात घटने से विदेशी मुद्रा की आवक घटी
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ता हाल है। यहां से कच्चे माल व वस्तुएं का निर्यात लगातार नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा देश के पास इतनी पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं है कि वह आयात के लिए भुगतान कर सके। अफगानिस्तान और ईरान से आयात भी कम हुआ है।
दवाइयों की भी किल्लत
पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक संकट के कारण दवा बनाने वाली कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। आयात कम होने की वजह से दवाइयों के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली कच्चा सामग्री कंपनियों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। पाकिस्तान दवाइयों के उत्पादन के लिए 19 फीसदी कच्ची सामग्री का आयात करता है। डायबिटीज, बीपी, बुखार, टीबी जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की सप्लाई भी कम हुई है।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान सरकार से नाराज है आईएमएफ
इमरान खान ने पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी। आईएमएफ ने इसे शर्तों का उल्लंघन माना था। नई सरकार के बनने के बाद शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से फिर से बातचीत शुरू की। आईएमएफ कड़ी शर्तों के साथ लोन देने के लिए राजी हुआ था। वर्तमान की 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने के बाद आईएमएफ का कर्ज बढ़कर 7 अरब डॉलर हो जाएगा। 2019 में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज लेने का समझौता किया था। यह राशि पाकिस्तान को तीन सालों में किश्तों में दी जानी थी। हालांकि, इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी गई थी।