NEW DELHI. संसद में आज से 6 दिवसीय विशेष सत्र का आगाज होने जा रहा है। इस विशेष सत्र में 5 बैठकें होनी हैं। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। इसमें सरकार 4 बिल पेश करने जा रही है। जिसकी जानकारी राज्यसभा की ओर से 13 सितंबर को संसदीय बुलेटिन जारी कर दी गई थी। इधर विपक्ष के तेवर साफ संकेत दे रहे हैं कि यह सत्र हंगामेदार होने के प्रबल आसार हैं।
ये खबर भी पढ़िए...
भोपाल पहुंचे मेट्रो कोच, आज सुबह 10 बजे होंगे अनलोड, 25 सितंबर के बाद ट्रायल रन
नए पार्लियामेंट में होगा सत्र
बता दें कि 17 सितंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नए संसद के भवन में तिरंगा फहराया। सत्र की शुरुआत के पहले परंपरानुसार सर्वदलीय बैठक भी कराई गई। विपक्षी दलों ने बैठक में महिला आरक्षण विधेयक पेश कर पारित कराने की वकालत की है।
ये खबर भी पढ़िए...
आम आदमी पार्टी का विंध्य पर फोकस, सतना के बाद रीवा में 18 सितंबर को रैली
ये 4 बिल ला रही सरकार
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संबंधी बिल
सरकार यह बिल मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को रेगुलेट करने के लिए ला रही है। विधेयक के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल करेगा। जिसमें पीएम, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल रहेंगे। यह बिल 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश भी हो चुका है। अब इसे लोकसभा से पारित कराया जाना है। विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध यह कहकर किया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ यह बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। बता दें कि मार्च 2023 में शीर्ष कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि सीईसी की नियुक्ति सीजेआई और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति से करानी होगी।
एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023
इस बिल का मकसद 64 वर्ष पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन का है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट 1879 को निरस्त करने का प्रस्ताव है। यह बिल 3 अगस्त को राज्यसभा से पास हो चुका है। 4 अगस्त को इसे लोकसभा में भी पेश किया गया था। इस बिल का विपक्ष की ओर से अभी तक विरोध नहीं किया गया है। इस बिल के पेश हो जाने के बाद प्रत्येक हाई कोर्ट और उसके अधीनस्थ कोर्ट दलालों की सूची बनाकर प्रकाशित कर सकते हैं। दलाल के रूप में काम करते पाए जाने वाले व्यक्ति को 3 माह की कैद और 500 रुपए जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
प्रेस एंव रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023
यह बिल अखबारों, मैग्जीन और किताबों के पंजीयन और पब्लिकेशंस से संबंधित है। इसके जरिए प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 को निरस्त कर दिया जाएगा। यह बिल भी 3 अगस्त को राज्यसभा में पास हो चुका है। अगले दिन 4 अगस्त को इसे लोकसभा में पेश किया गया था। इस बिल पर भी विपक्ष को कोई आपत्ति नहीं है। इस बिल के पारित हो जाने के बाद डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा।
पोस्ट ऑफिस बिल, 2023
यह बिल सवा सौ साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को समाप्त कर देगा। बिल के जरिए पोस्ट ऑफिस के काम को और आसान बनाने के साथ ही डाक घर के अधिकारियों को एक्स्ट्रा पॉवर देगा। यह बिल 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश हो चुका है। विपक्ष ने इस बिल का भी कोई विरोध नहीं किया है।