क्या एक बार मर जाने के बाद इंसान को दोबारा जीवित किया जा सकता है? क्या कई वर्ष पहले मर चुके लोग आने वाले समय में दोबारा जिंदा हो जाएंगे? ये तो बिलकुल असंभव सा सवाल है, लेकिन दुनिया के तमाम लोगों को यह उम्मीद है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक मरे हुए लोगों को जिंदा करने की तकनीकि खोज लेंगे। इसी के साथ वर्षों पहले मर चुके लोगों को दोबारा जीवित करना संभव हो जाएगा।
क्रायोप्रिजर्वेशन से होंगे जीवित ?
आपको यह सुनकर अजीब लग रहा होगा, लेकिन दुनिया के तमाम अमीर खुद को दोबारा जीवित होने की उम्मीद में जीते जी अपने शरीर का क्रायोप्रिजर्वेशन ( cryopreservation ) करा रहे हैं। अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर ये होता क्या है।दरअसल लोग विशेष तकनीक के जरिये खुद को सैकड़ों वर्षों के लिए फ्रीज करवा रहे हैं।
इन लोगों का मानना है कि मौत हो जाने के पचासों वर्ष बाद भी उनका शरीर जैसा का तैसा बना रहेगा। अमीर लोग ऐसा इसलिए करवा रहे हैं क्योंकि आने वाले वर्षों में यदि वैज्ञानिक यह तकनीक खोज लेंगे तो उन्हें दोबारा जीवित कर लिया जाएगा।
इतना ही नहीं अमीर लोग दोबारा जीवित होने की उम्मीद में अपनी संपत्तियों को भी कई गुना बढ़ाते जा रहे हैं और ट्रस्ट बना कर भी इसमें इजाफा कर रहे हैं। ताकि मौत के बाद यदि दोबारा उनकी जिंदगी शुरू हो और वह फिर से जीवित हो जाएं तो उन्हें गरीबी का सामना नहीं करना पड़े।
अमीरों की ख्वाहिश
अमीर लोग चाहते हैं कि वह हमेशा अमीर बने रहें। यानी मरने के बाद भी। इसके लिए वह खुद को फ्रीज करा रहे हैं। वे अपनी संपत्ति को तब तक बढ़ाने के लिए ट्रस्ट बनाते हैं, जब तक कि उन्हें पुनर्जीवित न किया जा सके।
इसके लिए तमाम वकील ऐसे ट्रस्ट बना रहे हैं, जिनका उद्देश्य धन को तब तक बढ़ाना है, जब तक कि क्रायोनिक रूप से संरक्षित किए गए लोगों को पुनर्जीवित नहीं किया जा सके, भले ही यह सैकड़ों साल बाद हो।
क्रायोजेनिक संरक्षण की योजना
दुनिया की सबसे बड़ी क्रायोनिक्स सुविधा वाले मार्क हाउस का कहना है कि क्रायोजेनिक को अपनाना दिलचस्पी हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 5,500 लोग क्रायोजेनिक संरक्षण ( Protection ) की योजना बना रहे हैं।
क्रायोप्रिजर्वेशन क्या है
आइए अब आपको बताते हैं कि क्रायोप्रिजर्वेशन होता क्या है। ( What is cryopreservation? )
यह एक ऐसी तकनीकि है, जिसमें बॉडी को बिलकुल जीवित अवस्था में रखा जाता है। ताकि लोगों को लंबे समय तक मरने से बचाया जा सके। दरअसल यह मर चुके इंसानों को दोबारा जिंदा करने की ऐसी तकनीकि है, जो इंसानों की शारीरिक कोशिकाओं और ऊतकों को निष्क्रिय ( Inactive ) करके इतने कम तापमान पर रखता है कि उन्हें कई सालों तक संरक्षित रखा जा सकता है।
जरूरत पड़ने पर उन्हें कई वर्षों बाद दोबारा जीवित भी किया जा सकता है। इस तकनीकि का इस्तेमाल खासकर ऐसे लोग ज्यादा कर रहे हैं जो फिलहाल किसी ऐसी बीमारी से मर रहे हैं या मरने वाले हैं, जो दुनिया में अभी लाइलाज है, लेकिन बाद में उसका इलाज खोज लिए जाने की संभावना है। लोगों को तब उम्मीद है कि इलाज खोज लिए जाने पर क्रायोप्रिजर्वेशन से उन्हें दोबारा जिंदा किया जा सकेगा।
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