राजस्थान में आज होगा दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का लोकार्पण, 369 फीट ऊंची मूर्ति बनने में लगे 10 साल; शिवलोक की ये है खासियत

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
राजस्थान में आज होगा दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का लोकार्पण, 369 फीट ऊंची मूर्ति बनने में लगे 10 साल; शिवलोक की ये है खासियत

RAJSAMAND. भारत में दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनकर तैयार हो गई है। जो राजस्थान के नाथद्वारा-राजसमंद में बनाई गई है। विश्वास स्वरूपम लोकार्पण महोत्सव का आगाज शनिवार (29 अक्टूबर) से शुरू होने जा रहा है। नाथद्वारा में बनी शिव प्रतिमा की ऊंचाई 369 फीट है, जिसे विश्वास स्वरूपम नाम दिया गया है। विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम के लोकार्पण पर आयोजित मुरारी बापू की रामकथा के आयोजन की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। CM अशोक गहलोत भी इस दिन मौजूद रहेंगे। 9 दिन चलने वाले इस समारोह में 7 से 8 स्टेट के CM समेत कई मिनिस्टर और सेलिब्रिटी शामिल होंगे।



शिव प्रतिमा को बनाने में लगे 10 साल



शिव प्रतिमा को बनाने में 10 साल का समय लगा है। इसे दुनिया की टॉप-5 ऊंची प्रतिमाओं में जगह मिली है। इसे संत कृपा सनातन संस्थान ने तैयार किया है। लोकार्पण समारोह 29 अक्टूबर से शुरू होकर 6 नवंबर तक चलेगा और इसकी शुरूआत मुरारी बापू की राम कथा से होगी। बाहर से दिखने वाली इस प्रतिमा की खूबी ये है कि इसके अंदर बने हॉल में 10 हजार लोग एक साथ एक समय में आ सकते हैं, यानी एक गांव या कस्बा इस प्रतिमा में बस सकता है। 50 हजार से ज्यादा लोगों ने ये प्रतिमा बनाई। जिस परिसर में इसे बनाया गया है, उसे तद पदम उपवन नाम दिया गया है। जब भी आप यहां जाएंगे तो आराम से 7 से 8 घंटे बिता सकेंगे। प्रतिमा इतनी विशाल है कि इसे पूरा देखने में कम से कम 4 घंटे लगेंगे। इस प्रतिमा को गुड़गांव के नरेश कुमावत ने तैयार किया है।



कई किलोमीटर दूर से दिखाई देती है प्रतिमा



नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर बनी यह प्रतिमा 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी है। इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान और अल्लड़ की मुद्रा में विराजित हैं। जब आप उदयपुर-राजसमंद हाईवे से गुजरेंगे तो आपको भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में नजर आएंगे। प्रतिमा कई किलोमीटर दूर से दिखाई देती है। रात में भी यह प्रतिमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे, इसके लिए विशेष लाइट्स की व्यवस्था भी की गई है।



दुनिया की सबसे ऊंची शिव मूर्ति बनने की दिलचस्प कहानी 



विश्व की सबसे ऊंची 369 फीट ऊंची शिव प्रतिमा बनने की कहानी भी दिलचस्प है। रिपोर्ट के अनुसार, जब साल 2012 में इस प्रतिमा को बनाने का प्लान तैयार हुआ तो इसकी ऊंचाई 251 फीट रखने की योजना बनाई गई। लेकिन बाद में निर्माण के दौरान इसकी ऊंचाई 351 फीट तक पहुंच गई। इसके बाद शिव की जटा में गंगा की जलधारा लगाने की योजना बनाई गई, तो इसकी ऊंचाई 369 फीट तक पहुंच गई।



प्रतिमा में 3000 टन स्टील का इस्तेमाल



इस प्रतिमा में लिफ्ट, सीढ़ियां, हॉल आदि भी बनाए गए हैं। निर्माण के दौरान 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। 250 किमी रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी मूर्ति को प्रभावित नहीं करेगी। स्टैच्यू ऑफ बिलीफ' की कल्पना मिराज ग्रुप, उदयपुर के चेयरमैन मदन पालीवाल ने की थी। इस अवधारणा को आगे स्टूडियो माटुराम आर्ट ने विकसित किया था जिसने 351 फीट ऊंची मूर्ति को डिजाइन किया था, जबकि संरचनात्मक डिजाइन स्केलेटन कंसल्टेंट्स ने प्रदान की थी और काम साल 2016 की शुरुआत में शुरू हुआ था।



अलौकिक शिव प्रतिमा के अंदर घूम सकेंगे



प्रतिमा के अंदर के हिस्से में एक बड़ा सा हॉल है, जिसे लिफ्ट लॉबी नाम दिया गया है। यहां बैठने की भी व्यवस्था की गई है। यहीं से इस प्रतिमा में घूमने का सफर शुरू होता है। प्रतिमा के अंदर अलग-अलग हाइट पर जाने के लिए 4 लिफ्ट लगी हैं। यहां दर्शन करने आने वाले लोगों को 20 फीट से लेकर 351 फीट की ऊंचाई तक का सफर करवाया जाएगा। 270 फीट की हाइट पर भगवान शिव का बायां कंधा है। यहां से पूरा नाथद्वारा नजर आता है। इसी कंधे से आप भगवान शिव के त्रिशूल के दर्शन कर सकेंगे। 270 से 280 फीट की ऊंचाई पर जाने के लिए एक छोटा सा ब्रिज बनाया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह ब्रिज पत्थर या RCC का नहीं, बल्कि कांच का है। 280 फीट पर भगवान शिव का दायां कंधा है। यहां से आप तद पदम उपवन का शानदार नजारा देख सकते हैं। यहीं से भगवान शिव के नाग के दर्शन आपको आसानी से हो सकेंगे। 110 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव विराजमान हैं ग्राउंड फ्लोर से भगवान शिव की प्रतिमा को देखने पर कैलाश पर्वत जैसा आसन नजर आता है। जो 110 फीट की हाइट पर बना है। यहीं भगवान शिव का दायां हाथ जमीन पर टिका है। इस एरिया में एक छोटी से गैलरी है, जहां से उदयपुर हाईवे दिखता है। बताया जा रहा है कि 20 फीट पर गैलरी बनेगी तीन अलग-अलग हाइट पर प्रतिमा के दर्शन करने में करीब 3 घंटे का समय लगता है



यह भी है मान्यता



इस प्रतिमा को लेकर बताया गया कि भगवान शिव जब श्रीनाथ जी से मिलने नाथद्वारा आए थे तो इसी टेकरी पर बैठे थे। इसलिए इसे गणेश टेकरी कहा गया। बताया जाता है कि भगवान शिव ने अपना कमंडल और डमरू पीछे छोड़ दिया था। इसलिए इस प्रतिमा में भगवान शिव का त्रिशूल है। जहां डमरू और कमंडल छोड़ा गया था वहां अलग से स्टैच्यू बनाया जाएगा। टिकट और टाइम अभी तय नहीं है। लोकार्पण के 10-15 दिन बाद आम लोगों को एंट्री मिलेगी।



2012 में मुरारी बापू ने रखी थी नींव



18 अगस्त 2012 में नाथद्वारा के गणेश टेकरी स्थित पहाड़ी पर शिव प्रतिमा की नींव रखी गई थी। रामकथा वाचक मुरारी बापू, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, डॉ. सीपी जोशी, मिराज ग्रुप के सीएमडी मदनलाल पालीवाल ने भूमि पूजन किया था। इस प्रतिमा को बनाने के लिए देशभर से कारीगरों को बुलाया गया। 2012 में नींव रखने के बाद से प्रतिमा का काम लगातार चलता रहा। 10 साल में केवल लॉकडाउन में काम रोका गया।



दुनिया की 5 सबसे ऊंची शिव प्रतिमाएं-




  • विश्वास स्वरूपम, राजस्थान- 369 फीट


  • कैलाशनाथ महादेव मंदिर, नेपाल- 143 मीटर

  • मरूद्वेश्वर मंदिर, कर्नाटक- 123 मीटर

  • आदियोग मंदिर, तमिलनाडु- 112 मीटर

  • मंगल महादेव, मारीशस- 108 मीटर


  • Vishwas Swaroopam Shiva statue built Nathdwara Rajasthan Shiva statue dedicated World tallest Shiva statue राजस्थान के नाथद्वारा में बनी शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम शिव प्रतिमा का लोकार्पण दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा