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BHOPAL. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़े उल्टफेर की तैयारी में हैं। इस उल्टफेर का सबसे ज्यादा असर प्रदेश के विंध्य और महाकौशल अंचल पर पड़ेगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और सिंधिया का क्षेत्र ग्वालियर चंबल भी इस बार शिवराज सिंह चौहान के फैसले से बच नहीं सकेंगे। पिछले चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीट विंध्य से मिली थीं और महाकौशल में बड़ा नुकसान हुआ था। अब इन दो अंचलों को बीजेपी अनदेखा करने के मूड में नहीं है। फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल में इन दो अंचलों का प्रतिनिधित्व सबसे कम है। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के चलते चंबल और ग्वालियर का दबदबा मंत्रिमंडल में बहुत ज्यादा है। इस अंसतुलन को कम करने के लिए अब सीएम ने मंत्रिमंडल में नए चेहरे शामिल करने का फैसला कर लिया है। वैसे तो कैबिनेट में चार पद अभी खाली हैं। लेकिन कुछ अंडर परफॉर्मर मंत्रियों की कुर्सी जाना या विभागों में फेरबदल होना तय है। जिसमें सिंधिया के समर्थक मंत्री भी शामिल हैं।
मंत्रियों के विभाग बदलेंगे
मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होने के बाद अब शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि इस विस्तार में विंध्य और महाकौशल अंचल को तवज्जो दी जाएगी। दरअसल निकाय चुनाव में बीजेपी को इन दोनों अंचलों के साथ ही ग्वालियर अंचल में भी नगर निगमों के महापौर चुनाव में बड़ा झटका लगा है। यही वजह है की अब सवा साल बाद होने वाले विधानसभा के आम चुनावों को देखते हुए मंत्रिमंडल पुर्नगठन या विस्तार पर गंभीरता से विचार विमर्श शुरू हो चुका है।
इसके लिए पार्टी के अंदर मंत्रियों के विभागों के कामकाज की समीक्षा का दौर बीते छह माह से जारी है। माना जा रहा है कि जिन मंत्रियों का प्रदर्शन कमजोर रहा है या जिनकी शिकायतें अधिक हैं, उनके विभागों में परिवर्तन कर उन्हें कम महत्व वाले विभागों का दायित्व दिया जाएगा। दरअसल संगठन और सरकार चुनाव के ठीक पहले मंत्रियों की छुट्टी कर नया विवाद खड़ा करने के मूड में नही है। सरकार में फिलहाल चार मंत्री पद खाली हैं। माना जा रहा है की जल्द ही तीन नए मंत्री बनाए जा सकते हैं। इन पदों पर तीन अलग-अलग अंचलों से आने वाले एक-एक विधायक को शपथ दिलाने की संभावना बनती दिख रही है। हालांकि मंत्री पद के दावेदारों में आधा दर्जन से अधिक नामों की चर्चा है। माना जा रहा है कि जिन जिलों में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम पार्टी की अपेक्षा अनुसार अच्छे नहीं रहे हैं। वहां भी पार्टी बदलाव कर सकती है।
सिंधिया समर्थकों को लग सकता है झटका
मौजूदा समय में मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातीय असंतुलन है। सबसे अधिक विधायक जिताकर भेजने वाले विन्ध्य को मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसलिए इस बार इस क्षेत्र को अधिक तवज्जो मिल सकती है। वहीं मंत्रिमंडल में महाकौशल को जगह मिल सकती है। क्योंकि इस क्षेत्र से अभी एक ही राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे हैं। वहीं सिंधिया खेमे से कुछ मंत्रियों के विभाग बदलने की चर्चाएं तेज हो गईं हैं।
ये बड़े बदलाव बहुत जल्द पार्टी स्तर पर देखने को मिलेंगे। जिलाध्यक्षों को बदलने के नाम तकरीबन तय हैं। ये हम आपको पहले ही बता चुके हैं। फेरबदल की गाज से शिवराज कैबिनेट के मंत्री भी नहीं बच सकेंगे। शिवराज कैबिनेट में फेरबदल के लिए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल भी हरी झंडी दे चुके हैं। लेकिन सिर्फ फेरबदल या विस्तार से शिवराज की परेशानी खत्म होने वाली नहीं है। बल्कि सवा साल पहले फेरबदल कर सत्ता और संगठन नई मुसीबत भी मोल ले सकते हैं। फेरबदले के बाद भी जिन दावेदारों को मौका नहीं मिलेगा उनकी नाराजगी बढ़ना लाजमी है और जिनसे पद या विभाग छिनेगा उनका असंतोष भी सतह पर आ सकता है। ये आशंका इसलिए है क्योंकि खाली पद सिर्फ चार हैं जबकि दावेदारों की लिस्ट बेहद लंबी है।
इन नामों की चर्चा तेज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी में सीएम के सामने कैबिनेट विस्तार को लेकर लंबे समय से नामों को लेकर उलझन बनी हुई है। क्योंकि मंत्रिमंडल में खाली चार पदों पर कई विधायकों की निगाहें टिकी हुई हैं। पिछली बार मंत्रिमंडल विस्तार में सीएम शिवराज के करीबी कई विधायक मंत्री नहीं बन पाए थे। जो अब फिर से मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इनमें राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह, संजय पाठक, अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह, रमेश मेंदोला, गिरीश गौतम, पारस जैन, प्रदीप लारिया, गायत्री राजे पवार सहित अन्य कई विधायकों के नाम हैं। फिलहाल सबसे ज्यादा मंत्री ग्वालियर चंबल से हैं, यहां हर दूसरा विधायक मंत्री है। जबकि विंध्य और महाकौशल में सबसे कम मंत्री हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार विंध्य और महाकौशल से मंत्री बनाए जा सकते हैं। जबकि मालवा-निमाड़ को भी मौका मिलना तय माना जा रहा है।
आदिवासियों को संभालने की होगी कोशिश
खास बात यह है कि अगर शिवराज सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो उसके जातिगत समीकरणों के आधार पर होने के पूरे चांस हैं। क्योंकि पार्टी हाईकमान पहले ही जातिगत लीडरशिप डेवलप करने को कह चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि समुदाय के हिसाब से ही मंत्री बनाए जा सकते हैं। आदिवासियों को साधने के हिसाब से आदिवासी वर्ग से भी एक मंत्री बनना तय है। जोबट सीट से उपचुनाव जीतने वाली आदिवासी समुदाय से सुलोचना रावत को भी मंत्री पद दिए जाने की चर्चा है। रावत कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। तब उन्हें मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिया गया था। ये चुनौती कम नहीं है। शिवराज को अपनी कैबिनेट में अंचलों का संतुलन बनाना है साथ ही जातियों का संतुलन भी बनाकर रखना है। इनमें से जिस भी मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान चूकेंगे वो उनके गले की हड्डी बन सकता है। उस पर नेताओं के अंसतोष को बाद में एडजस्ट करना भी बड़ी चुनौती होगा।
चुनाव में जीत के समीकरण तय करने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर पथरीली राह चुननी है। कैबिनेट में फेरबदल या विस्तार कोई नई बात नहीं है। हर सरकार में जरूरत और मौके को समझते हुए कैबिनेट विस्तार होते रहे हैं। लेकिन इस बार ये कैबिनेट विस्तार या फेरबदल बहुत आसान नहीं है। कम जगह है और ज्यादा नेताओं को एडजस्ट करना है। जिस खेमे के लोग छूटेंगे वहां से नाराजगी फूटना तय है और जिस खेमे का वेटेज घटेगा वहां से भी असंतोष के स्वर उभरेंगे। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि फिलहाल कैबिनेट विस्तार या फेरबदल शिवराज सिंह चौहान के लिए एक आग का दरिया है जिसमें डूबना जरूरी भी है और पार लगने की चुनौती भी है।