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Jabalpur. जबलपुर का जिला अस्पताल केवल 4 डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है। वैसे तो यहां पर प्रशासन ने 28 डॉक्टरों को तैनात कर रखा है, लेकिन उनकी लापरवाही का आलम यह है कि अब खुद सिविल सर्जन को कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई करने की मांग करना पड़ी है। हालात यह हैं कि डॉक्टरों की गैरहाजिरी के कारण मरीजों को अस्पताल में भटकना पड़ रहा है।
यह है खत का मजमून
सिविल सर्जन डॉ मनीष मिश्रा ने कलेक्टर सौरभ सुमन को जो चिठ्टी लिखी है उसमें कहा गया है कि जिला अस्पताल जबलपुर के कैजुअल्टी वार्ड में इमरजेंसी चिकित्सा सेवा के लिए 1 मई से 15 मई तक डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई थी, पर डॉक्टरों ने ड्यूटी नहीं की और जब उन्हें फोन लगाया तो कोई जवाब नहीं दिया। वर्तमान में अभी 28 डॉक्टर अस्पताल में स्वीकृत हैं उसमें से सिर्फ 4 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था को बनाए रखना संभव नहीं है। इसके अलावा बजरंग दल एवं कांग्रेस की मुठभेड़ में कानून व्यवस्था की स्थिति भी बनी हुई है, जिला अस्पताल में चिकित्सकों के नहीं आने से अशांति का माहौल उत्पन्न हो सकता है अगर समय पर स्थिति को संभाला नहीं गया तो अस्पताल की विकट स्थिति बन सकती है, यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भी दूरभाष पर दी गई है। अतः आपसे आग्रह है कि चुनाव का समय नजदीक होने से इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो इसलिए कठोर निर्णय लिया जाना चाहिए।
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10 डॉक्टरों की गंभीर शिकायत की
सिविल सर्जन ने कलेक्टर को लिखे खत में जिला अस्पताल में तैनात 10 डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की है। उन्होंने यह उल्लेख किया है कि बिना कारण बताए ड्यूटी से गायब रहने वाले 10 डॉक्टरों को नोटिस जारी किया है। इन डॉक्टरों में डॉ. पल्लवी ठाकुर, डॉ. राजेश अहिरवार, डॉ. साक्षी निगम, डॉ. नितिन यादव, डॉ. विशाखा सिंह, डॉ.लुकमान खान, डॉ. शुभी दुबे, डॉ. मोहम्मद विलाल फारूखी, डॉ. मुकेश कुमार सोनी, डॉ. संदीप शुक्ला शामिल हैं, वहीं डॉ. विनीता लोनावत और डॉ. देवेंद्र कुमार लोधी ने आगामी ड्यूटी करने से मना कर दिया है।
सेवा समाप्ति का भी है नियम
सिविल सर्जन डॉ मनीष मिश्रा ने अभी ऐसे लापरवाह डॉक्टरों को पहला नोटिस दिया है। नियम है कि 3 नोटिस दिए जाने के बाद भी यदि डॉक्टर ड्यूटी पर हाजिर नहीं होते तो उनकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं। हालांकि सिविल सर्जन का यह कदम अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से लिखा जाना प्रतीत हो रहा है। कलेक्टर को लिखे खत में उन्होंने छोटी-मोटी सजा दिए जाने के बजाए अनुरणीय दंड दिए जाने की सिफारिश की है। अब देखना यह होगा कि इस चिट्ठी बम का धमाका कितने दिनों बाद सुनाई देता है और लापरवाह डॉक्टरों पर कार्रवाई का कौन सा कोड़ा चलता है।