लक्ष्मीबाई की समाधि का शुद्धिकरण: सिंधिया ने टेका था माथा, कांग्रेस गंगाजल लेकर पहुंचीं

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लक्ष्मीबाई की समाधि का शुद्धिकरण: सिंधिया ने टेका था माथा, कांग्रेस गंगाजल लेकर पहुंचीं

ग्वालियर. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की समाधि (Queen Laxmibai's Samadhi Controversy) पर माथा टेका था। इसके बाद सियासी घमासान शुरू हो गया है। सिंधिया पर गद्दारी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता गंगाजल लेकर समाधि स्थल पर पहुंचे। कांग्रेस गंगाजल से समाधि स्थल को धो पाते इससे पहले ही पुलिस प्रशासन ने गेट बंद कर दिया। हालांकि, कांग्रेस से पहले ही आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ता गंगाजल लेकर समाधि स्थल पर पहुंच गए थे। उन्होंने गंगाजल से समाधि स्थल का शुद्धिकरण किया।

वीरांगना की आत्मा को दुख पहुंचा- रूचि गुप्ता

कांग्रेस की टीम दोपहर 2 बजे रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पर पहुंचीं। महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष रुचि गुप्ता की अगुआई में महिला कांग्रेस समाधि स्थल का गंगाजल से शुद्धिकरण करना चाहती थी। लेकिन वहां पहले से मौजूद टीम ने रोक दिया। रुचि गुप्ता ने कहा कि वीरांगना की आत्मा को दुख पहुंचा है। समाधि स्थल को कुदरत बारिश के जरिए खुद शुद्ध कर देगी। उन्होंने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई को तकलीफ कितनी हुई होगी, जब उनकी समाधि पर (सिंधिया) ने पैर रखा होगा। 1857 में सिंधिया घराने ने रानी से गद्दारी की थी। इसी घराने के मुखिया अब लक्ष्मीबाई की समाधि पर गए हैं।

समाधि स्थल पर टेका था माथा

26 दिसंबर को सिंधिया ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचे। ऐसा करने वाले सिंधिया घराने के किसी ‘महाराज’ ने नहीं किया। सिंधिया ने जो किया, उसे परिवार की छवि बदलने की कवायद समझा जा रहा है। सिंधिया के साथ मध्य प्रदेश में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी थे।

इतिहास में क्या लिखा?

इतिहास में लिखा है कि सिंधिया परिवार ने अंग्रेजों का साथ दिया था। एक जून 1858 को जयाजीराव सिंधिया (1843-1886 तक राजा रहे) ने मोरार के युद्ध में तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई और राव साहब के खिलाफ अपनी सेना भेजी थी। तात्या और रानी की सेना में 7 हजार इन्फैंट्री, 4 हजार घुड़सवार और 12 बंदूकें थीं, जबकि जयाजीराव के पास केवल 15 हजार घुड़सवार, 600 बॉडीगार्ड और 8 बंदूकें थीं। जयाजीराव दूसरी तरफ से हमले का इंतजार कर रहे थे, जो सुबह 7 बजे हुआ। लक्ष्मीबाई और तात्या ने जयाजीराव के बॉडीगार्ड्स को छोड़कर बाकी सब पर कब्जा कर लिया। जयाजीराव अपने लोगों को लेकर चले गए। लक्ष्मीबाई, तात्या, राव साहब लश्कर के साथ आगरा चले गए थे।

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