घोषणा में दो मिनट और पूरा करने में लगते हैं दो महीने, क्या शिवराज बना पाएंगे प्रदेश के 57 जिले, या सिर्फ वोट का गणित 

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Jitendra Shrivastava
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घोषणा में दो मिनट और पूरा करने में लगते हैं दो महीने, क्या शिवराज बना पाएंगे प्रदेश के 57 जिले, या सिर्फ वोट का गणित 

अरुण तिवारी, BHOPAL. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव में जिले की सियासत कर रहे हैं। जिला लोगों की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है इसलिए सियासत इन संवेदनाओं की हो रही है। सीएम ने मैहर को जिला बनाने का ऐलान कर इस सियासत को और हवा दे दी है। सीएम एक के बाद एक लगातार पांच नए जिले बनाने की घोषणा कर चुके हैं। इनमें से एक जिला मउगंज तो बन गया है, लेकिन ये चार जिले प्रदेश की नई सरकार के बाद ही बन पाएंगे। यानी अभी तो सीएम लोगों को सिर्फ घोषणा की घुट्टी ही पिला रहे हैं। 



चुनाव से पहले नहीं बन पाएंगे नए जिले



मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मैहर को जिला बनाने का ऐलान कर वहां के लोगों की पल्स पर हाथ रख दिया। लोग लंबे समय से ये मांग कर रहे हैं और इस घोषणा से उनके लिए मन की मुराद पूरी होने जैसी बात हो गई। जाहिर है पार्टी को ये उम्मीद है कि इस तरह से भी वोट पाए जा सकते हैं। इससे पहले सीएम महाकौशल का पांढुर्ना, मालवा का नागदा और ग्वालियर-चंबल के पिछोर को जिला बनाने का ऐलान कर चुके हैं। लेकिन नया जिला बनने में दो महीने से ज्यादा का वक्त लगता है और एक महीने में प्रदेश में आचार संहिता लग जाएगी। और चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसलिए नए जिले बनने की प्रक्रिया नई सरकार के कार्यकाल में ही पूरी हो पाएगी। सीएम ये जानते हैं कि लोगों की मन्नतें जब भी पूरी हों, लेकिन चुनाव के पहले उनका वादा तो किया ही जा सकता है। 



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इस प्रक्रिया से बनता है नया जिला



प्रदेश में अभी 53 जिले हैं। नया जिला मउगंज प्रदेश का 53वां जिला बना है। मउगंज तो जिला बन गया. लेकिन नागदा, पांढुर्ना और पिछोर को जिला बनाने के पहले पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा। सबसे पहले इन जिलों का गजट नोटिफिकेशन कर लोगों के दावे और आपत्तियां बुलाई जाएंगी जिनका समय एक माह का रहेगा। इसके बाद 15 दिनों तक उन आपत्तियों का निपटारा करना होगा। आपत्तियों के निपटारे के बाद एपीसी यानी एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कमिश्नर की बैठक होगी जिसमें जिले की सीमाओं का निर्धारण होगा। इसके बाद ये प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट की बैठक में जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही नए जिले का गजट नोटिफिकेशन होगा और तब ये नया जिला बन पाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में दो माह से ज्यादा का वक्त लग जाएगा। हाल ही में नागदा की आपत्तियों की प्रक्रिया पूरी हुई है। सरकार को दो हजार से ज्यादा आपत्तियां मिली हैं। अब इन एक-एक आपत्तियों का निपटान किया जाएगा। राजस्व विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जल्द ही नागदा को जिले का दर्जा दे दिया जाएगा। इसमें नागदा-खाचरोद और आलोट तहसील शामिल की जाएंगी। लेकिन मैहर, पिछोर और पांढुर्ना नई सरकार के पहले नहीं बन पाएंगे। कमलनाथ कहते हैं कि पहले भी इस तरह की घोषणाएं की जा चुकी हैं, लेकिन हुआ कुछ नहीं। 



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कमलनाथ कर चुके हैं मैहर को जिला बनाने की घोषणा



कांग्रेस सीएम की इस घोषणा को पूरी तरह सिर्फ चुनाव में फायदा उठाने की योजना बता रही है। मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा कहते हैं कि मैहर को जिला बनाने की घोषणा सीएम रहते कमलनाथ ने ही की थी, लेकिन ये घोषणा पूरी होती उससे पहले सरकार गिर गई। अब सीएम उनकी नकल कर रहे हैं। अकेले मैहर ही नहीं एक के बाद एक नए जिलों की घोषणा सिर्फ चुनावी शिगूफा है।


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