तो देश में 2024 में ''चाय वाले'' के सामने होगा ''कॉमन मैन'', क्या इसलिए राहुल गांधी गढ़ रहे हैं अपनी नई इमेज ?

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Sunil Shukla
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तो देश में 2024 में ''चाय वाले'' के सामने होगा ''कॉमन मैन'', क्या इसलिए राहुल गांधी गढ़ रहे हैं अपनी नई इमेज ?

NEW DELHI. अमेरिका में एक ट्रक के कैबिन में बैठकर ड्राइवर से बातचीत के वीडियो के बाद अब कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी का दिल्ली में एक मोटरसाइकिल मैकेनिक के साथ पेचकस थामे फोटो देश में चर्चा का विषय बना है। कांग्रेस ने दिल्ली के करोल बाग में एक गैरेज पर बाइक मैकेनिक के साथ बैठे राहुल गांधी के फोटो ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा- 'यही हाथ हिंदुस्तान बनाते हैं। इन कपड़ों पर लगी कालिख। हमारी खुद्दारी और शान है। ऐसे हाथों को हौसला देने का काम, एक जननायक ही करता है।' ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर राहुल गांधी ट्रक ड्राइवर और मैकेनिक से क्यों मिल रहे हैं। बेशक ये कांग्रेस के लिए राहुल गांधी की इमेज बिल्डिंग से जुड़ा मामला है लेकिन यदि इसे देश में पास आते लोकसभा चुनाव-2024 के नजरिए से देखा जाए तो इसके और भी ज्यादा मायने हैं। आप सोचेंगे कैसे.. आइए समझाते हैं।





इसलिए नई इमेज गढ़ रहे हैं राहुल गांधी







— TheSootr (@TheSootr) June 28, 2023





देश की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले पॉलिटिकल एक्सपर्ट के मुताबिक सड़कों पर आम जनता विशेषकर युवा, बेरोजगार, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ नजर आना और संवाद करना राहुल गांधी की इमेज बिल्डिंग की कवायद का हिस्सा है। ऐसा कर वे विरोधियों द्वारा अपने बारे में सोशल मीडिया में फैलाई गई एक अपरिपक्व-नासमझ नेता की पुरानी इमेज को तोड़कर एक संवेदनशील कॉमन मैन के रूप में अपनी नई इमेज गढ़ रहे हैं। सड़क पर समाज के पिछड़े और कमजोर तबके के लोगों के साथ बातचीत कर दिखाई देकर वे अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के उस नारे को भी बुलंद कर रहे हैं कि मोदी सरकार देश के अमीरों के साथ है और उनकी पार्टी शोषित और पिछड़ों के साथ। साथ ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चाय वाला की छवि के मुकाबले अपनी इमेज देश के कॉमन मैन के रूप में गढ़ते नजर आ रहे हैं। पिछले साल भारत जोड़ो यात्रा से शुरू हुई जनता के साथ सीधे कनेक्ट की उनकी ये कवायद निरंतर जारी है। अमेरिका में ट्रक में बैठकर ड्राइवर से बातचीत और दिल्ली के बाइक गैरेज में मैकेनिक के साथ पेचकस थामे फोटो इसी रणनीति का हिस्सा है। इससे राहुल गांधी की इमेज थोड़ी बदली और सुधरी भी है। हालांकि लोकसभा चुनाव-2024 में कांग्रेस को इसका कितना फायदा होगा, उसकी कितनी सीटों में इजाफा होगा, ये दावे के साथ कोई नहीं कह सकता है।







— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 13, 2023





ट्रक ड्राइवर, मैकेनिक के साथ वीडियो-फोटो के मायने







— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 30, 2023





क्या ट्रक में बैठकर ड्राइवरों की चुनौतियों और समस्याओं के बारे में चर्चा और गैराज में बाइक सुधारते मैकेनिक के साथ पेचकस थामे राहुल गांधी के वीडियो और फोटो उनकी कॉमन मैन की इमेज के प्रतीक मात्र हैं या फिर इसके कुछ सियासी मायने भी हैं? इस सवाल का जवाब भारत में ट्रक ड्राइवर और मोटर मैकेनिक की संख्या से जुड़ा है। इसकी संख्या से आप समझ सकते हैं कि देश में असंगठित क्षेत्र से जुड़े इस वर्ग का आम वोटर के रूप में कितना बड़ा हिस्सा है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के महासचिव एन के गुप्ता के मुताबिक देश में माल ढोने में इस्तेमाल होने वाले ट्रकों की संख्या करीब 75 लाख हैं। इस हिसाब से यदि एक ट्रक पर एक ड्राइवर भी माना जाए तो देश में करीब 75 लाख ट्रक ड्राइवर हैं। इसके अलावा इनकी सर्विसिंग या सुधारने वाले मैकेनिक की संख्या करीब 1 करोड़ है। इनमें से महज 2 फीसदी लोग ही संगठित क्षेत्र में रोजगार मिला है। बाकी संख्या असंगठित क्षेत्र में ड्राइवर, क्लीनर, हेल्पर और मैकेनिक के रूप में काम करती हैं। राहुल गांधी लेबर क्लास में गिने जाने वाले समाज के इस बड़े वर्ग से अपने आपको भावनात्मक रूप से जुड़ा दिखाना चाहते हैं।




राहुल के वीडियो के बाद ट्रक ड्राइवरों के लिए गडकरी ऐलान






अब इसे ट्रक ड्राइवरों की समस्याओं के बारे में राहुल गांधी के वीडियो का असर कहा जाए या महज संयोग इसके कुछ दिन बाद ही भारत में 20 जून को सड़क परिहन मंत्री नितिन गडकरी भी ये ऐलान करते नजर आते हैं कि भारत में भी ड्राइवरों की सहूलियत के लिए 2025 से सभी ट्रकों के कैबिन एयर कंडीशंड होंगे।





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ट्रक ड्राइवरों के लिए अच्छी खबर





ट्रक ड्राइवरों के लिए अच्छी खबर है। 2025 से सभी ट्रक केबिन AC यानी एयर कंडीशंड होंगे। एक कार्यक्रम में गडकरी ने बताया कि 'हमारे देश में ट्रक ड्राइवर 12 या 14 घंटे गाड़ी चलाते हैं जबकि दूसरे देशों में बस और ट्रक ड्राइवरों की ड्यूटी का समय निर्धारित है। हमारे ड्राइवर 43 से 47 डिग्री तापमान में गाड़ी चलाते हैं, ऐसे में हम ड्राइवरों की शारीरिक-मानसिक हालत का अंदाजा लगा सकते हैं। मैं जब मंत्री बना उसी समय एसी केबिन शुरू करने का इच्छुक था, लेकिन कुछ लोगों ने यह कहकर विरोध किया कि इससे खर्चा बढ़ेगा। लेकिन अब (19 जून 2023) को मैंने इसे सभी ट्रक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए अनिवार्य करने की फाइल पर साइन कर दिए हैं।'



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