मध्यप्रदेश में नेता खुद ले रहे पुरानी पेंशन में लाखों रुपए, कर्मचारियों को नई पेंशन के लिए कर रहे मजबूर, कहते हैं पैसा नहीं

author-image
Jitendra Shrivastava
एडिट
New Update
मध्यप्रदेश में नेता खुद ले रहे पुरानी पेंशन में लाखों रुपए, कर्मचारियों को नई पेंशन के लिए कर रहे मजबूर, कहते हैं पैसा नहीं

BHOPAL. एमपी में विधानसभा चुनाव के बाद ही सरकारी कर्मचारियों के बीच पुरानी पेंशन को लेकर एक बार मुद्दा गरमा गया है। इसकी मांग तेज हो गई है। जहां सरकार इनको पेंशन देने के लिए वित्त नहीं होने की बात कहती है वहीं, नेता, मंत्री, विधायकों और सांसदों को लाखों की पेंशन ले रहे हैं।

नई पेंशन स्कीम में सिर्फ ढाई हजार रुपये महीने मिलेंगे

देश के मंत्री, सांसद और विधायक पुरानी पेंशन ले रहे हैं। सरकार खुद कई नेताओं को तो लाखों रुपए पेंशन दे रही है। वहीं, अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को पेंशन नहीं देना चाहती। खुद नेता पुरानी पेंशन लेना चाहते हैं और कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। नई पेंशन स्कीम में सिर्फ ढाई हजार रुपये महीने ही मिलेंगे। जबकि पुरानी पेंशन के अनुसार यह राशि हर महीने 50 हजार रुपए तक होगी। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का यह दर्द उनसे बात करने के दौरान सामने आया। अपने हक के लिए कर्मचारियों ने खुलकर बात रखी।

नेताओं को 5 साल में लाखों की पेंशन

कर्मचारियों ने कहा कि सरकार नेताओं, सांसदों, विधायकों को पुरानी पेंशन का लाभ दे रही है। कर्मचारियों को नई पेंशन देकर छला जा रहा है। कर्मचारी 35 से 40 साल नौकरी करता है, जबकि नेता 5 साल में ही पेंशन का पात्र हो जाता है। नेताओं के लिए खजाना खोल दिया जाता है, कर्मचारियों के लिए तिजोरी बंद कर दी है।

एमपी के नेताओं को मिलती है इतनी पेंशन

मध्य प्रदेश में एक दिन के लिए भी विधायक बन गए तो हर महीने 20 हजार रुपए की पेंशन फिक्स हो जाती है। इस पेंशन में हर साल 800 रुपए इजाफा भी होता है। छत्तीसगढ़ में विधायकों को हर महीने 35,000 रुपए और सबसे ज्यादा मणिपुर के विधायकों को 70,000 रुपए महीने पेंशन मिलती है। मध्य प्रदेश में पूर्व विधायकों को ऐसी ढेरों सुविधाएं करीब निशुल्क मिलती रहती हैं। अगर कोई विधायक बाद में सांसद बन जाए तो उस नेता को दोनों पेंशन यानि विधायक की भी और सांसद की भी राशि, हर महीने डबल पेंशन मिलती हैं।

नेताओं को एक साल में 100 करोड़ पेंशन

मध्य प्रदेश के सूचना के अधिकार कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को 2020-21 में पूर्व सांसदों के पेंशन के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपए (99.22 करोड़) दिए गए हैं। आपको बता दें कि एक दिन के लिए सांसद बनने पर ही हर महीने 25,000 रुपए की पेंशन तय हो जाती है। पूर्व सांसद रेल यात्रा फ्री दी है, जबकि सरकारी कर्मचारी को किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाता है। वहीं, कर्मचारियों की पेंशन पर बजट का 18 हजार 636 करोड़ रुपए यानी 6.17% खर्च होता है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का चुनावी वादा

कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में कई राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने का वादा किया है। यह निर्णय कर्मचारी हित में है। मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए चुनाव में भी कांग्रेस ने यह वादा किया है, लेकिन बीजेपी इससे क्यों दूर भाग रही है, यह बात समझ के परे है। आपको बता दें कि देश में सरकारी कर्मियों, पेंशनरों, उनके परिवारों और रिश्तेदारों की संख्या करीब 10 करोड़ है। अगर ओपीएस लागू नहीं होता है, तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को राजनीतिक नुकसान संभव है।

ये अंतर है एनपीएस और ओपीएस में

एनपीएस को नेशनल पेंशन स्कीम कहा जाता है। जबकि ओपीएस 'ओल्ड पेंशन स्कीम' कही जाती है। जो कर्मचारी वर्ष 2004 के बाद भर्ती हुए उन्हें एनपीएस के दायरे में रखा गया। ओपीएस के प्रावधान के अनुसार रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को 50 हजार रुपए महीने वेतन मिलता है तो उसे पेंशन के रूप में करीब हर महीने 25 हजार रुपये मिलते थे, जबकि एनपीएस के प्रावधान के अनुसार 50 हजार वेतन में रिटायर होने वाले कर्मचारी को करीब 2700 रुपए ही मासिक पेंशन मिलेगी। ओपीएस में हर साल दो बार महंगाई राहत भी जुड़ती है। कर्मचारी की मौत पर पत्नी या पति को भी पेंशन मिलना जारी रहता है, लेकिन एनपीएस में यह प्रावधान भी नहीं हैं।

ऐसे तय होती है एनपीएस

नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है। सरकार अपनी ओर से 14 प्रतिशत राशि एनपीएस में जमा की जाती है। कुल मिलाकर 24 प्रतिशत राशि जमा होती है। सेवानिवृत्ति के समय कुल जितनी भी राशि जमा होती है उसमें से कर्मचारी को एकमुश्त 60 फीसदी राशि दे दी जाती है। शेष 40 फीसदी राशि में से हर महीने पेंशन बनती है।

Madhya Pradesh MP News सरकार कहती है पैसा नहीं कर्मचारियों को नई पेंशन के लिए कर रहे मजबूर नेता खुद ले रहे पुरानी पेंशन में लाखों रुपए government says no money forcing employees to get new pension एमपी न्यूज मध्यप्रदेश leaders themselves are taking lakhs of rupees in old pension