संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर से भोपाल के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन फेल होगी यह पहले से पता था। यह केवल राजनीतिक दबाव के चलते शुरू हुई। यह बात किसी और ने नहीं बल्कि, वंदे भारत ट्रेन के जनक कहे जाने वाले सुधांशु मणि ने कही। वह शुक्रवार को सीआईआई कॉनक्लेव में शामिल में होने के लिए इंदौर आए थे। उन्होंने कहा कि ट्रेन किस रूट पर चलाई जाना चाहिए इसके लिए पहले कई बड़े सर्वे होते हैं और उनमें सकारात्मक रिजल्ट आने पर ही ट्रेन शुरू की जाती है, जबकि यहां पर ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, वंदे भारत ट्रेन नागपुर तक चलने के कारण सफल हुई है। अब इस ट्रेन में लगातार वेटिंग रहती है। अब यह इंदौर से नागपुर तक जाती है। इंदौर-भोपाल के लिए 70 फीसदी सीट खाली जा रही है।
महंगी ट्रेन में क्यों यात्री जाएगा, सब सस्ते साधन है
उन्होंने कहा कि यदि इंदौर से भोपाल तक का सफर एक बस आपको आधे दाम में और लगभग उतने ही समय में देती है तो आप उसे छोड़कर महंगी ट्रेन में क्यों जाएंगे। कभी-कभी शौक के तौर पर सफर कर लेना अलग बात है। सुधांशु ने कहा कि यदि अब इंदौर भोपाल वंदे भारत के टिकट के दाम कम कर दिए जाते हैं तो यह और भी गलत होगा। इससे सरकार बड़ा नुकसान उठाएगी।
राजधानी ट्रेन बंद होंगी, वंदे भारत का स्लीपर वर्जन आएगा
सुधांशु ने यह भी बताया कि देश में अगले पांच साल में 500 वंदे भारत चलाने की तैयारी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इन्हें प्लान किया गया है। यह तकनीक में उन्नत है और कई आधुनिक सुविधाओं से लैस है। उन्होंने कहा कि इसे उन्हीं रूट पर चलाया जाना चाहिए जहां पर इसे यात्री मिल सकें। देश की सभी राजधानी ट्रेनें बंद की जाएंगी। यह धीरे-धीरे होगा और हर राजधानी की जगह वंदे भारत स्लीपर ट्रेन लेगी। इसके साथ रेलवे स्टेशनों को बेहतर करने का काम भी तेजी से किया जाएगा।
पांच रूट पर वंदे भारत ट्रेन की हालत ठीक नहीं
इंदौर से भोपाल और भोपाल से जबलपुर तक चलाई गई वंदे भारत ट्रेन यात्रियों की कमी से लगातार जूझ रही है। देश भर में चलाई गई 35 से ज्यादा वंदे भारत ट्रेनों में से पांच रूट पर चलने वाली ट्रेनों के यही हाल हैं। बाकी 30 में से भी 20 रूट पर वंदे भारत को अच्छा ऑक्युपेशन (यात्री) मिल रहा है। जबकि 10 में किराए को लेकर मामूली इश्यू है। मणि ने कहा कि इंदौर-भोपाल और भोपाल-जबलपुर में ट्रैवल के दौरान पब्लिक को वह वैल्यू सर्विस नहीं मिल रही है, जो अन्य स्थानों पर मिल रही है। अभी सबसे ज्यादा ऑक्युपेंसी दिल्ली, बनारस व केरल में है।