BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है। भोजपुर विधायक सुरेंद्र पटवा का नामांकन फॉर्म होल्ड कर लिया गया है। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए उन्होंने जो नामांकन फॉर्म दाखिल किया है, उसमें अलग-अलग जानकारी दी गई है। चुनाव आयोग जांच के बाद बुधवार, 1 नवंबर को इस पर अपना फैसला देगा।
सुरेंद्र पटवा ने दोनों शपथ पत्रों में अलग-अलग जानकारी दी
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे सुरेंद्र पटवा भोजपुर विधानसभा से विधायक हैं। भाजपा ने सुरेंद्र पटवा पर फिर भरोसा जताते हुए उन्हें रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया है। सुरेंद्र पटवा के बेटे तन्मय पटवा का नामांकन फॉर्म भी निरस्त हो गया है। सुरेंद्र पटवा ने दोनों शपथ पत्रों में अलग-अलग जानकारी दी थी। इस वजह से उनके फॉर्म को होल्ड कर दिया गया है। सुरेंद्र पटवा के फॉर्म पर अब बुधवार को ही फैसला होगा। बुधवार को 11 बजे चुनाव आयोग के विशेषज्ञों की टीम की राय ली जाएगी। उसके बाद फैसला लिया जाएगा।
सुरेंद्र पटवा पर आपराधिक जानकारी छिपाने के आरोप
रायसेन जिले के भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक और प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा के नामांकन पर भाजपा के ही बागी गणेश मालवीय ने आपत्ति दर्ज कराई है। रिटर्निंग ऑफिसर चंद्रशेखर श्रीवास्तव के सामने 19 आपत्तियां दर्ज की गई थी। इनमें से तीन को स्वीकार कर लिया गया है। निर्वाचन आयोग के प्रोफार्मा में छेड़छाड़ के साथ ही आपराधिक जानकारी छिपाने के आरोप लगे हैं। भोपाल और दिल्ली से आए वकीलों की बहस को सुनने के बाद भोजपुर के रिटर्निंग ऑफिसर ने बुधवार को 11 बजे तक सुनवाई का मौका दिया है। तब तक के लिए पटवा का नामांकन होल्ड किया गया है। भोजपुर के रिटर्निंग ऑफिसर का कहना है कि भोजपुर विधानसभा में 19 अभ्यार्थियो के 22 नामांकन जमा हुए थे। इनमें से चार नामांकन अलग-अलग कारण से निरस्त किए गए। 14 नामांकन वैध पाए गए हैं। भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा को अपना पक्ष रखने के लिए एक नवंबर की सुबह 11 बजे तक का समय दिया गया है।
यह आपत्तियां आई हैं पटवा के नामांकन पर...
- भोपाल और इंदौर की अदालतों में लंबित केसों का ब्यौरा नहीं दिया है।
- 501 आपराधिक केस विचाराधीन है। उन्होंने इन प्रकरणों की जानकारी तथ्यात्मक और केस संख्या आधार पर नहीं दी है।
- शपथ पत्र में पांच साल की सालाना आय, चल-अचल संपत्ति दर्शानी थी। पटवा ने सिर्फ एक साल का ब्योरा दिया है।
- कुल 167 केस में शपथ पत्र में सिर्फ केस नंबर बताए हैं। यह नहीं बताया कि केस किस शहर की किस अदालत में किस कारण से हैं।
- सुरेंद्र पटवा ने उन 28 केस की जानकारी नहीं दी, जिनमें उन्हें सजा/जुर्माना हुआ है।
- जिन आपराधिक केस नंबर का उल्लेख है, वह प्रत्याशी के न होकर अन्य व्यक्तियों पर दर्ज है। उदाहरण के लिए केस नंबर 7/22 कांग्रेस के छह नेताओं के नाम पर दर्ज है। इनका पटवा से कोई संबंध नहीं है।