मध्यप्रदेश बीजेपी में फिर घूमा सियासत का पहिया, मोदी की पाती में शिवराज की एंट्री, राजनीति के केंद्र में आए मुख्यमंत्री चौहान

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश बीजेपी में फिर घूमा सियासत का पहिया, मोदी की पाती में शिवराज की एंट्री, राजनीति के केंद्र में आए मुख्यमंत्री चौहान

अरुण तिवारी, BHOPAL. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे प्रदेश के राजनीतिक हालत भी तेजी से बदल रहे हैं। बीजेपी में सियासत का पहिया तेजी से घूमा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक चिट्ठी ने पूरा सियासी माजरा बदल दिया है। इस चिट्ठी में कुछ ऐसा लिखा है जिसने हाशिए पर जा चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फिर चुनाव के केंद्र में ला दिया है। यानी चौहान अभी चुके हुए नेता नहीं हैं। मोदी की पाती से सियासी गलियारों का पारा एकदम से चढ़ गया है। मोदी की ये चिट्ठी किसी एक नेता के नाम नहीं बल्कि प्रदेश के साढ़े पांच करोड़ वोटर के नाम है। बीजेपी के पांच रथ इस पूरे प्रदेश में इस चिट्ठी को पढ़कर सुनाएंगे। आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्या लिखा है इस चिट्ठी में।

क्या कहती है मोदी की पाती

चुनाव के ऐन पहले मोदी ने प्रदेशवासियों को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में शिवराज के नाम और उनकी योजनाओं से परहेज बरतने वाले मोदी ने उनकी खूब तारीफ की है। न सिर्फ उनकी बल्कि, उनकी योजनाओं की तारीफ करने से भी नहीं चूके। मोदी ने अपनी पाती में लिखा है कि मेरे मध्यप्रदेश वासियों, मां नर्मदा की इस धरा को प्रणाम। मोदी ने कहा कि पिछले बीस साल में मध्यप्रदेश बीमारू राज्य से बाहर आया। ये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी सरकार के अथक परिश्रम का परिणाम है। इसके अलावा पत्र में मोदी ने वो सब कहा जो सीएम मंच से अपने भाषण में कहते हैं। पांच लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण,16 फीसदी से ज्यादा आर्थिक विकास दर, 65 लाख से अधिक घरों में नल से जल और 28 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन का खुले तौर पर जिक्र किया। मोदी ने लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना का जिक्र करते हुए मध्यप्रदेश को विकास,गरीब कल्याण और महिला उत्थान का मॉडल बताया।

मोदी की पाती के मायने

राजनीति के जानकार कहते हैं कि मोदी पाती के बड़े सियासी मायने हैं। मोदी की पाती में शिवराज की तारीफ एक संदेश देने की कोशिश कही जा सकती है। प्रदेश में इस बार का चुनाव जिस तरह से कशमकश भरा और फंसा हुआ माना जा रहा है उसमें शिवराज सिंह चौहान की अहमियत बहुत बढ़ गई है। लाड़ली बना जैसी योजनाएं बनाकर उन्होंने फिर से अपनी भाई और मामा की छवि मजबूत की है, इससे उनकी लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में शिवराज की अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ सकती है। शिवराज के नाम से परहेज बरतने वाले मोदी ने प्रदेश की सियासी फिजा को भांपकर ही यह दांव चला है। मोदी ने बता दिया है कि शिवराज अभी चुके नहीं हैं। मोदी की इस पाती से शिवराज के विरोधी खेमे में जरुर बेचैनी बढ़ सकती है।

मोदी बरत रहे थे शिवराज से परहेज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सियासी मंच पर शिवराज सिंह चौहान और उनकी योजनाओं से परहेज बरत रहे थे। प्रदेश में चुनावी माहौल बनाने वाले बीजेपी के सबसे बड़े आयोजन कार्यकर्ता महाकुंभ में भी मोदी ने शिवराज का नाम नहीं लिया। इतना ही नहीं उनकी लाड़ली बहना योजना का जिक्र तक नहीं किया। मोदी ने सिर्फ उनकी गरीब कल्याण की योजनाओं का जिक्र किया। चुनावी थीम का जो गाना है उसमें भी मोदी के मन में बसे एमपी, एमपी के मन में मोदी है। इसमें शिवराज का जिक्र नहीं है। चुनावी तस्वीरों में भी शिवराज की अनदेखी की गई है। बीजेपी मुख्यालय के बाहर तीन आदमकद कटआउट लगे हैं जो मोदी,शाह और नड्डा के हैं। मोदी,शाह और प्रदेश के नेताओं ने अपना चेहरा चुनाव चिन्ह कमल को बताया है। पिछले बीस साल में बीजेपी बिना चेहरे के चुनाव लड़ रही है जबकि पिछले तीन चुनावों में शिवराज ही बीजेपी के चेहरे रहे हैं। इन सब बातों से ये साफ जाहिर हो रहा था कि शिवराज सिंह अब चुके हुए और हाशिए पर पहुंचे नेता हो गए हैं। लेकिन मोदी की एक पाती ने पूरा मामला ही बदल दिया है।

क्या सीएम की रेस में शामिल हुए शिवराज

बीजेपी में शिवराज को सीएम की रेस से बाहर बताने की चर्चाएं आम हो चली थी। यहां तक जब कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल,नरेंद्र सिंह तोमर और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम उम्मीदवारों में शामिल हुआ तो यह कहा जाने लगा कि बीजेपी ने चार सीएम को मैदान में उतारा है। यहां तक कि अपने-अपने अंचल में लोगों को ये बताया भी जाने लगा कि वे विधायक नहीं सीएम चुन रहे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है। यदि बीजेपी की सरकार बनती है तो इसमें शिवराज को भी श्रेय जाएगा। सवाल ये है कि क्या से पाती यह तो नहीं कह रही कि बीजेपी की सरकार बनी तो सारे विवादों से बचने के लिए एक बार फिर शिवराज की लॉटरी लग सकती है।

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