इंदौर में केरला स्टोरी के डायरेक्टर बोले- मेरी फिल्म ने 300 करोड़ कमाए, लेकिन शर्ट आज भी 300 रुपए की ही पहनता हूं

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में केरला स्टोरी के डायरेक्टर बोले- मेरी फिल्म ने 300 करोड़ कमाए, लेकिन शर्ट आज भी 300 रुपए की ही पहनता हूं

संजय गुप्ता, INDORE. डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के द्वारा हो रहे दो दिवसीय चिंतन यज्ञ के तहत डेली कॉलेज में हुई व्याख्यानमाला के पहले दिन शनिवार एक जुलाई को केरला स्टोरी के डायरेक्टर सुदीप्तो सेन का व्याख्यान हुआ। उनका विषय था सिने जगत की समाज परिवर्तन में भूमिका। सेन ने कहा कि जब मैने अपनी पहली फिल्म द लास्ट मांक बनाई तब मुझे कोई नहीं जानता था, पर कान फिल्म फेस्टिवल में इसके सम्मिलित होने के बाद मुझे लगा कि भारत के 140 करोड़ में से प्रत्येक का सामर्थ्य है कि वो भी असंभव को संभव कर सकता है। 



फिल्म बनाने के बाद अनेक कानूनी और आर्थिक समस्याएं आईं



केरला स्टोरी के बाद मुझे समझ में आया कि फिल्में वास्तव में समाज परिवर्तन का प्रभावी माध्यम हैं। यह फिल्म बनाने के बाद जब अनेक कानूनी और आर्थिक समस्याएं सामने आईं तो भय था कि फिल्म रिलीज भी हो पाएगी या नहीं। पर इसके रिलीज होने के दो माह में ही जैसा प्रतिसाद समाज की ओर से आया तो विश्वास हो गया कि देश में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। मैंने इस फिल्म से 300 करोड़ अवश्य कमाए है, पर आज भी मैं 300 रुपए की शर्ट पहनता हूँ, क्योंकि मेरा उद्देश्य देश के लोगों को सच बताकर जगाना है।



फिल्म निर्माण में वामपंथी विचारधारा का बोलबाला



देश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से एक वामपंथी विचारधारा कार्य करती है जो यह समझती है कि आम जनता को वो जैसा परोसेंगे वही मान्य हो जाएगा। भारतीय सिनेमा को संभवतः इसीलिए बॉलीवुड के नाम से चलाया जाता है। हालांकि, अब जैसे-जैसे आम व्यक्ति जागरूक हो रहा है, यथार्थ का यथोचित चित्रण करने वाली फिल्में बन रही हैं। अगर राजनीति के रसूखदार, कश्मीर फाइल्स व केरल स्टोरी जैसी फिल्मों से विचलित हो रहे हैं तो इसका मतलब है हमारी इन फिल्मों का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।



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दुष्प्रचार को लोगों ने खारिज किया



इस फिल्म को कुछ लोगों ने प्रोपोगेण्डा कहकर दुष्प्रचारित किया, उसे जनता ने खारिज कर दिया। असल में यह फिल्म केरल में हाउसफुल चल रही है। हैदराबाद में इसने 23 करोड़ की कमाई की है और बिहार में लोगों ने इसे बेहद पसंद किया है। आज इस विषय पर समाज में खुलकर चर्चा होने लगी है । जिन 3.5 करोड़ लोगों ने यह फिल्म देखी है, वे ही इस विमर्श को बाकी समाज तक लेकर जा रहे हैं। सुदीप्तो सेन ने कहा कि अब एक वर्ग विशेष कंटेंट पर कन्ट्रोल नहीं रख पाएगा। समाज अपना एजेंडा खुद तय करेगा।देश में आगे जो फिल्में बनेंगी, उन पर समाज की सोच दृष्टिगत होगी। कोई भी एक विशेष  विचारधारा अब काम नहीं करेगी विनय पिंगले ने कहा आज समाज के महत्वपूर्ण मुद्दे नई फिल्मों के माध्यम से सार्थक हो रहे है और समाज को सही दिशा दिखा रहे हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में शहर के  फिल्म निर्माता देवेन्द्र मालवीय ने कहा कि मैं सुदीप्तो सेन को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने अफगानिस्तान और सीरिया के मरुस्थल में दफन भारत की बेटियों की व्यथा समाज के सम्मुख प्रस्तुत की।  कार्यक्रम में  विशेष अतिथि के रूप में डेली कालेज प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष विक्रम सिंह पंवार मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अभिराम भिसे ने किया।


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