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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर मालवा मिल और कल्याण मिल की जमीन बेचकर करीब 800 करोड़ रुपए जुटाने की दिशा में शासन और जिला प्रशासन एक कदम और आगे बढ़ गया है। लंबे समय से चल रही कवायद के बाद आखिरकार जिला प्रशासन ने नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन (एनटीसी) को झटका देते हुए मालवा मिल और कल्याण मिल की जमीन की लीज निरस्त कर मप्र शासन के नाम करने का आदेश जारी कर दिया। मालवा मिल की कुल जमीन 41 एकड़ और कल्याण मिली की 33 एकड़ है। कल्याण मिल की जमीन तो खाली पड़ी हुई है वहीं मालवा मिल की जमीन में से प्रशासन ने सालों पहले 25 एकड़ जमीन कन्वेंशन सेंटर बनाने के लिए आईडीए को दी थी और वहीं एनटीसी ने 7.67 एकड़ जमीन मप्र परिवहन विभाग को दी थी। यह जमीन छोड़कर शेष 45 एकड़ जमीन मप्र शासन के पास आ जाएगी।
एक साल से चल रही थी प्रक्रिया, अब हुए आदेश
तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा इन जमीनों को लेकर रिपोर्ट बनवाई थी, जिसमें अपर कलेक्टर अजय देव शर्मा की टीम द्वारा जांच कराई गई थी। स्वदेशी मिल की जमीन तो पहले ही एनटीसी बेच चुकी है, इसके बाद मालवा मिल और कल्याण मिल की जमीन एनटीसी के पास थी। शासन ने एनटीसी को साल 2003 और फिर 2007 में जमीन बेजने की मंजूरी दी थी, लेकिन वह इन्हें नहीं बेच सकी और न ही प्लांट का आधुनिकीकरण कर फिर से चालू कर सकी। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर शासन के पास भेजी। इस पर दिसंबर 2022 में शासन ने लीज निरस्त कर जमीन शासन के नाम करने के आदेश दिए। इसके बाद कलेक्टर के आदेश पर अपर कलेक्टर द्वारा सभी पक्षों की सुनवाई कर यह आदेश जारी किया।
जमीनों का औद्योगिक लैंड यूज सबसे बड़ा संकट
इन सभी जमीनों का औद्योगिक लैंडयूज है, इसके चलते इनके बिकने में समस्या आती है। कुछ साल पहले मालवा मिल की 17 एकड़ जमीन का वैल्यूशन कराया गया था तब यह 107 करोड़ रुपए निकला था। वहीं हाल ही में जब हुकुमचंद मिल की 42 एकड़ जमीन का वैल्यूशन कराया गया था यह करीब 550 करोड़ रुपए आया। माना जा रहा है कि यदि लैंडयूज करके इसे लोक परसंपत्ति एक्ट के तहत बेचा जाता है तो मालवा मिल और कल्याण मिल की जमीन से शासन को करीब 800 करोड़ रुपए तक की आय हो सकती है।
जब जांच हुई तो आईडीए को तो पता ही नहीं था उसकी जमीन है
इस मामले में जब एक साल पहले प्रशासन ने जांच कराई थी, तब पता चला था कि आईडीए को कन्वेंशन सेंटर के लिए यहां 25 एकड़ जमीन लीज पर दी हुई है, उधर आईडीए बेवजह ही कन्वेंशन सेंटर के लिए यहां-वहां जमीन देख रहा था, उसने कभी अपनी जमीन ढूंढी ही नहीं। प्रशासन की जांच के बाद आईडीए को पता चला कि उसके पास शहर में ही इतनी लंबी जमीन मौजूद है।
एनटीसी के पास प्रदेश की यह मिलें
एनटीसी की पास इंदौर में मालवा, कल्याण और स्वदेशी मिल थी जिसमें स्वदेशी बिक चुकी है। वहीं भोपाल में भोपाल टेक्सटाइल है, उज्जैन में भी मिल है। यह सभी एनटीसी के पास है और मौके की जमीन है। भोपाल मिल की भी कुछ साल पहले 134 करोड़ का वैल्यूशन हुआ था। मध्यप्रदेश शासन पर सवा तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्जा है और हाल ही में जिस तरह से लाडली बहना की योजना के लिए फंड की जरूरत है और अन्य योजनाओं के लिए भी मध्यप्रदेश शासन ने राशि की बढ़ोतरी की है किसान सम्मान निधि हो या अन्य योजनाएं इन सबको देखते हुए आर्थिक बोझ आना तय है। इन्हीं को देखते हुए आगे जाकर शासन को फंड जुटाने की जरूरत होगी।