दिल्ली के साइबर ठग : बीते दिनों भोपाल की क्राइम ब्रांच पुलिस के पास क्रेडिट कार्ड के नाम पर धोखाधड़ी करने की शिकायतें प्राप्त हुई थी। इसके बाद भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने दिल्ली से तीन युवकों को गिरफ्तार किया था। आज आरोपियों के द्वारा जस्टिस विवेक अग्रवाल की वेकेशन बेंच में जमानत आवेदन दायर किया गया था। जिस पर उन्हें राहत नहीं मिली।
व्हाइट कॉलर साइबर ठग हैं ऐसे अपराधी
आरोपियों की ओर से अधिवक्ता रविन्द्र चतुर्वेदी ने यह दलील दी कि आरोपी 19-20 साल के युवक हैं जो पढ़ाई कर रहे हैं। इस मामले में आरोपियों द्वारा पीड़ित को ठगी गई रकम भी लौटा दी गई हैं एवं इस मामले में समझौता भी किया जा चुका है । इस आधार पर जमानत के निवेदन पर हाईकोर्ट की जबलपुर बैंच ने सख्त रुख अपनाया और कहा कि इस तरह के अपराध समाज के विरोध में है और इन आरोपियों को व्हाइट कलर साइबर ठग बताते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि यदि हमने इन्हें जमानत पर रिहा कर दिया तो कल को यह हमें लूटेंगे।
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कोर्ट ने खारिज किया जमानत आवेदन
आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अपनी बहस से कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सके।इसके बाद उन्होंने इस आवेदक को वापस ले लिया और जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने इस आवेदन को खारिज कर दिया है।
क्रेडिट कार्ड के नाम पर फर्जी लिंक भेज कर करते थे ठगी
भोपाल के आइसीआइसीआइ बैंक का क्रेडिट कार्ड बनाने का लालच देकर लोगों को ठगने वाले इस गिरोह का भंडाफोड़ भोपाल क्राइम ब्रांच ने में माह में किया था। साइबर क्राइम ब्रांच को एक आवेदक से शिकायत मिली थी कि उसे आइसीआइसीआइ बैंक का क्रेडिट कार्ड बना कर देने के बहाने फर्जी लिंक भेज कर बैंक खाते से कुल राशि 60180 रुपए निकाल कर उसके साथ धोखाधड़ी की गई है। जी शिकायत पर पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 419 और 420 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई थी। भोपाल की साइबर क्राइम टीम के द्वारा जब इस मामले में पड़ताल की गई तो दिल्ली निवासी युवकों के नाम सामने आए जिसके बाद दिल्ली के सुल्तानपुरी निवासी रजित शर्मा, दिल्ली के ही मोहम्मदपुर माजरी निवासी देव माथुरिया और रजत वर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर इनके कब्जे से साइबर फ्रॉड में इस्तेमाल किये गए मोबाइल फोन , सिम कार्ड और बैंक पासबुक जब्त कर इन्हें जेल भेजा था।