इंदौर नगर निगम की बकाया जलकर राशि भरने के लिए आई वन टाइम सेटलमेंट स्कीम से ईमानदार करदाता नाराज है। इसी नाराजगी के चलते एक करदाता ने मप्र शासन के साथ ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त शिवम वर्मा को लीगल नोटिस भेज दिया है। इसमें तत्काल यह स्कीम बंद करने की मांग की है, नहीं तो कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
कितना बकाया है निगम में जलकर
द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार शहर में 1.88 लाख कनेक्शन का कुल 556 करोड़ रुपए, जी हां 556 करोड़ रुपए जलकर बीते सालों का वित्तीय साल 2022-23 तक बकाया है। यदि स्कीम सफल होती है तो निगम को 200 करोड़ से ज्यादा मिलने की उम्मीद है। हालांकि दो दिन में सवा करोड़ रुपए ही आया था। आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे नगर निगम को इस स्कीम से उम्मीद है कि बड़ा राजस्व आ सकेगा।
क्या है यह वन टाइम सेटलमेंट स्कीम
महापौर ने यह स्कीम वित्तीय साल 2022-23 तक की बकाया जलकर राशि भरने पर 50 फीसदी में छूट लागू की है। यह स्कीम 5 से 25 अगस्त तक लागू की गई है। महापौर भार्गव ने कहा कि इसके बाद फिर बकायादारों पर सख्त कार्रवाई में एफआईआर तक कराई जाएगी और यह अंतिम मौका है, जिसमें जलकर भरने का मौका दिया जा रहा है। करदाता अपनी कुल बकाया राशि का 50 फीसदी हिस्सा भरकर बैलेंस शून्य कर सकता है।
किसने भेजा नोटिस और क्यों
यह नोटिस करदाता अमित उपाध्याय की ओर से अधिवक्ता प्रत्युष मिश्रा ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग, महापौर भार्गव और निगमायुक्त वर्मा को भेजा है। इन्होंने नोटिस में कहा है कि ईमानदार करदाता लगातार नियमित अपना टैक्स भरता है, लेकिन इस तरह की स्कीम उनके साथ धोखाधड़ी है, यह स्कीम यह संदेश देती है कि आप नियमित टैक्स मत भरिए, इस तरह कोई योजना आएगी और आपका टैक्स माफ कर दिया जाएगा। मप्र शासन में कोई नियम नहीं है कि टैक्स माफ किया जाए। यह अवैधानिक कृत्य है, इसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।
किस नियम से किया है यह निगम ने
निगम द्वारा लिया गया जलकर टैक्स नहीं है, इसलिए इसके माफ करने पर वैधानिक रुप से रोक नहीं है। जानकारों के अनुसार नगर पालिक एक्ट के नियम 187 के तहत बकाया राशि को बट्टा खाते में डालने का प्रावधान है, जो परिषद की मंजूरी से हो सकता है। इस मामले में निगम ने मप्र शासन से पहले ही मार्गदर्शन ले लिया था। इसमें भी यही कहा गया कि निगम अपने स्तर पर परिषद में प्रस्ताव लाकर यह कर सकती है और बकाया राशि को बट्टे खाते में डाल सकती है। इसके बाद परिषद में प्रस्ताव लाकर इस स्कीम को लागू किया गया है। हालांकि इससे ईमानदार करदाता खुश नहीं है और इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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