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जिला न्यायालय के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने शनिवार 5 अक्टूबर को बड़ा फैसला सुनाया है। देवास जिले के बरोठा क्षेत्र स्थित वेयरहाउस से करीब 80 किसानों की फसल गायब करने के मामले में वेयर हाउस संचालक को दोषी मानते हुए चार साल कैद की सजा सुनाई है। वहीं 6.21 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया। राशि जमा नहीं करने की स्थिति में संचालक को 80 बार में 6-6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। जिला न्यायालय के अनुसार ये सजा 48 साल की होगी। मूल सजा के चार साल अलग भुगतने होंगे।
अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक अशोक चावला का कहना है कि मामला फरवरी 2011 से फरवरी 2013 के बीच का है। गोपी वेयरहाउस के संचालक महेंद्र चौधरी पुत्र बद्रीलाल चौधरी ने सदाशिवपुरा स्थित अपने वेयर हाउस में 80 से अधिक किसानों की सोयाबीन, चना आदि फसल का भंडारण कर रखा था।
फसल सुरक्षित रखने का भरोसा देकर किसानों को वेयरहाउस से रसीद मिलने पर लोन मिलने का भरोसा दिलाया गया और फसल बीमा की बात भी कही गई। किसानों से ऋण पुस्तिका आदि दस्तावेज लिए गए। इसके बाद किसानों को इलाहाबाद बैंक की देवास शाखा में खाता खुलवाने को कहा गया। लोन पास होने के बाद किसानों से सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए और लोन की राशि खुद ही निकाल ली।
किसानों को जब कर्ज वसूली के नोटिस मिले तो वे वेयर हाउस पहुंचे। वहां किसानों को उपज नहीं मिली। बरोठा थाने में साल 2013 में मामला दर्ज हुआ। मामला कोर्ट में पहुंचा तो सभी 80 किसानों की ओर से आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की गुहार लगाई गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद 5 अक्टूबर को सजा सुनाई गई। चावला के मुताबिक देवास कोर्ट में अपनी तरह का यह पहला फैसला है। इससे पहले एक बार फैसला टल गया था। हमारी ओर से धारा 216 के तहत आवेदन देकर आग्रह किया गया कि 80 किसानों के साथ धोखाधड़ी की गई है, इसलिए सभी की ओर से आरोप तय किए जाएं। इस पर कोर्ट ने सभी किसानों की ओर से आरोप तय किए और सभी की राशि जोड़कर जुर्माना सुनाया।