मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में बांग्लादेश और सऊदी अरब दूतावासों को भेजा नोटिस भेजकर 4 हफ्ते में जवाब- तलब किया है। दरअसल एक युवक का नाम अहमद अलमक्की है। उसने याचिका में भारतीय पुलिस और प्रशासन पर उसे अवैध रूप से डिटेंशन सेंटर में रखने का आरोप लगाया है। अलमक्की को ग्वालियर के पड़ाव थाना पुलिस ने 21 सितंबर 2014 को गिरफ्तार किया था।
अवैध तरीके से हुई अलमक्की की भारत में एंट्री
22 अगस्त 2015 को अलमक्की को भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करने के लिए तीन साल की सजा सुनाई गई थी। 22 सितंबर 2017 को जब उसकी सजा पूरी हुई तो उसे नौ महीने तक ग्वालियर की सेंट्रल जेल में रखा गया। 12 जून 2018 को वह सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर हैदराबाद भाग गया। पुलिस ने आखिरकार 23 जून 2018 को उसे गिरफ्तार कर लिया।
अस्थायी डिटेंशन सेंटर में रहता है युवक
बताया जा रहा है कि युवक ने रोहिंग्या के तौर पर भारत में प्रवेश किया और वह लगभग 5-6 साल पहले ग्वालियर आया था। शक होने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसकी नागरिकता और दस्तावेजों के बारे में पूछा। उसके पास कोई भी दस्तावेज नहीं था। इसलिए उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
ट्रायल के बाद, उसे तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। सजा काटने के बाद, कोई उसे लेने नहीं आया। चूंकि सजा पूरी हो गई थी, इसलिए उसे जेल में नहीं रखा जा सकता था। इसलिए उसके लिए एक अस्थायी डिटेंशन सेंटर बनाया गया, जो केंद्र सरकार के दिशा- निर्देशों के अनुसार है।'
युवक ने दो बार बदला अपना एड्रेस
जब उसे डिटेंशन सेंटर में रखा गया तो वह वहां से भी भाग गया। उसके बाद फिर केस दर्ज हुआ और कोर्ट में मामला चला। उसे तीन साल की सजा सुनाई गई। उसने अपनी सजा पूरी कर ली। इसके बाद उसके आधार पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई कि उसे डिटेंशन सेंटर में ही रखा जाए, जेल में नहीं।
अलमक्की ने पहले खुद को बांग्लादेशी बताया था लेकिन बाद में उसने कहा कि वह सऊदी अरब का मूल निवासी है। सच्चाई का पता लगाने के लिए कोर्ट ने दोनों देशों के दूतावासों को नोटिस जारी कर उसके मूल स्थान से जुड़ी जानकारी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई अब चार हफ्ते बाद होगी।
सिम खरीदते समय पकड़ा गया
अहमद अलमक्की ने बांग्लादेशी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर सिम कार्ड खरीदने की कोशिश की थी। इस दौरान पुलिस ने उसे पकड़ लिया। उसके पास बांग्लादेशी पासपोर्ट और सऊदी अरब का ड्राइविंग लाइसेंस मिला। इसके बाद पुलिस ने उसके खिलाफ पासपोर्ट एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश किया। एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा, जब केस दर्ज किया गया, तो पुलिस पूछताछ के दौरान उसका पासपोर्ट भी फर्जी मिला, जिसके जरिए वह सऊदी अरब और बांग्लादेश के रास्ते भारत आया था। उसके पास वहां से कोई दस्तावेज नहीं है।
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