मध्यप्रदेश के राज परिवारों में जमीन की जंग छिड़ी हुई है। चाहे देवास का पूर्व राज परिवार हो या धार की पूर्व महारानी...। चाहे विंध्य का पन्ना घराना हो या फिर ग्वालियर के रजवाड़े। सभी जगह कुछ न कुछ चल रहा है। महलों के विवाद थाने और कचहरी तक पहुंच रहे हैं।
पढ़िए द सूत्र की यह खास रिपोर्ट...
देवास: ननद-भाभी में जमीन को लेकर ठनी
ताजा मामला देवास के पूर्व राज परिवार से जुड़ा हुआ है। देवास विधायक व स्वर्गीय महाराज तुकोजीराव पवार की पत्नी गायत्री राजे पवार और उनकी ननद यानी महाराज की बहन शैलजा राजे पवार के बीच जमीन विवाद गहराता जा रहा है।
पूरा मामला 1 एक हजार 200 करोड़ रुपए की संपत्ति के बंटवारे का है। इस विवाद के बीच इंदौर में रीगल रॉयल्स स्केप्स और अपोलो क्रिएशंस ग्रुप ने इनकी संपत्तियों पर कॉलोनी और मल्टी बनाने का करार किया है। शैलजा पवार ने इस सौदे को अवैध करार देते हुए सार्वजनिक सूचना जारी की है। उन्होंने कहा कि संपत्ति को लेकर जिला कोर्ट देवास में केस दर्ज है। वहीं उनकी ओर से एक याचिका हाईकोर्ट में भी दायर की गई है। शैलजा पवार ने यह रिट मध्यप्रदेश सरकार, टीएंडसीपी, गायत्री पवार, विक्रम पवार, कनिका राजे पवार, रीगल रॉयल स्केप्स के सभी कर्ताधर्तांओं के खिलाफ लगाई है।
आपको बता दें कि पवार परिवार की देशभर में फैली 1239 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर यह पूरा विवाद है। तत्कालीन महाराज कृष्णजीराव पावर के पुत्र यानी तुकोजीराव और उनकी बेटी शैलजा के साथ ही दो और बहन हैं। संपत्तियों को लेकर मुख्य दावा शैलजा ने लगाया है। तुकोजीराव के निधन के बाद गायत्री राजे और उनके पुत्र विक्रम इसकी देखभाल करते हैं। इस राजघराने की इंदौर, आलोट, जयपुर, पुणे सहित कई शहरों में जमीनें हैं।
पन्ना राजघराना: पूर्व महारानी पर पन्ना-दिल्ली में 13 केस दर्ज
पन्ना का पूर्व राजघराना भी संपत्ति विवाद को लेकर आए दिन चर्चा में रहता है। यहां कभी पूर्व महारानी जितेश्वरी देवी अपनी ननद कृष्णा की शिकायत करती हैं तो कभी ननद अपनी भाभी को कठघरे में खड़ा करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलिस के रिकॉर्ड में पन्ना राजघराने की पूर्व महारानी जितेश्वरी के खिलाफ पन्ना और दिल्ली में करीब 13 केस दर्ज हैं। उन्हें पिछले दिनों पुलिस ने हिरासत में भी लिया था।
दरअसल, वर्ष 1998 में पन्ना के महाराज मानवेंद्र के बेटे राघवेंद्र सिंह की शादी राजस्थान के जयपुर स्टेट की राजकुमारी जितेश्वरी से हुई। राघवेंद्र 2005 में महाराज बने। यहीं से पूरा झगड़ा शुरू हुआ। राघवेंद्र की मां दिलहर देवी बेटी कृष्णा को संपत्ति में बड़ा हिस्सा देना चाहती थीं। इसके बाद मां-बेटे और बहू-ननद में झगड़े शुरू हो गए। आखिर जनवरी 2023 में किडनी की बीमारी से राघवेंद्र की मौत हो गई। इसके बाद सास और बहू में झगड़ा चला। फिर ननद की एंट्री हो गई। हालांकि दिलहर देवी का भी नवंबर 2023 में निधन हो चुका है। अब भाभी यानी जितेश्वरी देवी और कृष्णा में संपत्ति को लेकर विवाद जारी है। गौरतलब है कि मुंबई, दिल्ली, गुरुग्राम, लखनऊ और भोपाल में पन्ना राज परिवार की संपत्ति है।
धार राज परिवार: कोई वारिस नहीं, अब संपत्ति कब्जे में लेगा प्रशासन
धार के पूर्व राज परिवार का अलग ही मामला है। यहां कोई वारिस नहीं है। लिहाजा संपत्ति को लेकर चार राज्यों के चार परिवारों ने इंदौर कमिश्नर के समक्ष अपील की थी, लेकिन प्रशासन ने धार के पूर्व महाराज आनंदराव पवार और महारानी मृणालिनी देवी की जमीन को शून्य घोषित कर दिया है। पहले धार जिले के मगजपुरा की 4.426 हेक्टेयर जमीन के नामांतरण के लिए 2022-23 में आवेदन किया गया था, जिसे तहसीलदार ने खारिज कर दिया था। अपील में संभागायुक्त तक मामला आया और उन्होंने भी खारिज कर दिया।
दरअसल, मृणालिनी देवी की इंदौर संभाग में दो हजार बीघा (223 हेक्टेयर) जमीन है, पर सिर्फ एक जमीन के लिए आवेदन आया। वह भी महारानी के निधन के आठ साल बाद। संभागायुक्त दीपक सिंह ने इंदौर और धार कलेक्टर को भी आदेश दिए हैं कि वे इन जमीनों पर तत्काल कब्जा लें। नामांतरण के लिए अपील आलोकिका राजे, एस.खाचर राजकोट (गुजरात), कार्तिक घोरपड़े चेहलंका बेंगलुरु (कर्नाटक), शिवप्रिया राजे भोगले मुंबई (महाराष्ट्र) और गायत्री देवी चौगुले, साउथ (गोवा) ने की थी। संभागायुक्त ने कलेक्टर को कहा है कि राजस्व संहिता की धारा 177 के तहत तहसीलदार केस बनाकर एक-एक साल के लिए तीन साल तक इन जमीन के पट्टे दें। इसके बाद भी कोई वारिस नहीं मिले तो फिर इन जमीनों को लावारिस घोषित कर शासन के पक्ष में शामिल कराएं।
अब जान लीजिए कि मृणालिनी देवी कौन हैं। तो ये वडोदरा रियासत की राजकुमारी थीं। धार के राजा आनंदराव पवार से उनकी शादी 1949 में हुई। शादी के एक साल बाद 1950 में वे वडोदरा चली गईं। उनकी कोई संतान नहीं थी। वे वडोदरा की एमएस यूनिवर्सिटी की चांसलर थीं। 2015 में उनका देहांत हो गया। धार राजपरिवार की कई जगह संपत्तियां हैं।
ग्वालियर घराना: संपत्ति का आकलन करना ही मुश्किल
संपत्ति को लेकर ग्वालियर राजघराना भी चर्चाओं में रहता है। सिंधिया परिवार के पास कितनी संपत्ति है, इसका वास्तविक आकलन करना मुश्किल है। हालांकि लोकसभा चुनाव लड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने हलफनामे में करीब 424 करोड़ की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। ये उनकी स्वयं की संपत्ति है। 2020 के राज्यसभा चुनाव में दाखिल किए गए ब्यौरे में उन्होंने कुल संपत्ति 379 करोड़ बताई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ग्वालियर राजघराने की कुछ संपत्तियों पर विवाद है। माना जाता है कि मामला अदालत में हैं। एनबीटी की एक रिपोर्ट में किताब 'द हाउस ऑफ सिंधियाज' के हवाले से कुछ जानकारी प्रकाशित की गई है। इसमें कहा गया है कि ज्योतिरादित्य और उनकी तीनों बुआ- उषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे विवाद का आउट ऑफ कोर्ट सेट्लमेंट करने के पक्ष में हैं। ज्योतिरादित्य और उनकी बुआ के वकीलों ने कोर्ट में इसके लिए आवेदन भी दिया था। हालांकि, जून 2019 में उनकी बुआओं ने यह आवेदन वापस ले लिया। अब इस मामले में ताजा अपडेट क्या है, इसे लेकर कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। किताब में कहा गया है कि सिंधिया की सबसे बड़ी बुआ उषा राजे संपत्ति में खासी रुचि नहीं लेतीं हैं। उनका विवाद नेपाल राजघराने में हुआ है और उनके परिवार के पास अथाह संपत्ति है। उषा राजे नेपाल में ही बस चुकी हैं। यह भी माना जाता है कि सिंधिया परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समय से शुरू हो गया था। मामला राजमाता की दो वसीयतों में अटका है।
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