वेंकटेश कोरी, JABALPUR. जबलपुर में मटर की बंपर पैदावार के बाद भी जब अन्नदाता को सही दाम नहीं मिले तो किसान सड़कों पर उतर आए। हालात यह बने की जबलपुर में चार दिनों तक मटर के किसानों का हल्ला बोल दिया। बढ़ते आंदोलन को देखते हुए कृषि उपज मंडी प्रशासन ने किसानों से चर्चा की और मटर के किसानों को नुकसान की भरपाई का भरोसा दिलाया। कई दौर की चर्चा भी जब बेनतीजा साबित हुई तब मंडी कृषि उपज मंडी के सचिव राजेश सैयाम ने मटर के किसानों को 700 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की न केवल घोषणा की बल्कि मुआवजे की पर्चियां भी थमा थी थी यही पर्चियां अब मंडी सचिव के गले की फांस बन गई है।
सचिव ने की थी मुआवजा देने की घोषणा
जिले भर के मटर के किसानों के बढ़ते आक्रोश और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के जाम होने से लेकर कृषि उपज मंडी में किसानों के हल्ला बोल ने प्रशासन को सकते में ला दिया था, कृषि उपज मंडी से लेकर ग्रामीण इलाकों से मटर लाद कर निकले किसानों ने कई रास्ते जाम लगा दिया था। एक तरफ प्रशासन के आला अधिकारी किसानों से चर्चा करते रहे तो दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन हालात को काबू में करने की कवायद में जुटा रहा। इस बीच कृषि उपज मंडी के सचिव राजेश सैयाम ने किसानों के नुकसान की भरपाई करने के लिए 700 रुपये प्रति क्विंटल मटर के नुकसान के तौर पर मुआवजा देने की घोषणा कर दी। अब मंडी सचिव के इस रवैये से शासन तमतमाया हुआ है। मंडी सचिव के इस फैसले को लेकर शासन ने इसलिए भी नाराज है कि जहां उनको इसकी जानकारी नहीं दी गई वहीं यह फैसला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है। इसको लेकर सरकार ने मंडी सचिव को नोटिस थमाया है।
मुआवजा पर्ची को शासन ने माना नियम विरुद्ध
मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध संचालक सह आयुक्त श्रीमन शुक्ला ने मंडी सचिव के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए उन्हें नोटिस थमाया है और उनके इस फैसले को राज्य मंडी बोर्ड सेवा 1998 के विनियम 50 (1), 50 (20) एवं 67 का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया है। मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने मंडी सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा है। संतोषजनक जवाब न देने की स्थिति में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
एक जिला एक उत्पाद के बावजूद "हरे मटर" की दुर्दशा
जबलपुर से लगे ग्रामीण इलाकों में हरे मटर की बंपर पैदावार होती है, यही वजह है कि किसान बड़ी तादाद में हरे मटर का उत्पादन तो करते ही है साथ ही इन्हें जबलपुर के कृषि उपज मंडी से लेकर अन्य उप मंडियों और जिले के बाहर भी भेजते हैं। जिससे उन्हें अच्छी खासी आय होती है, लेकिन इस बार हरे मटर की ज्यादा आवक होने से उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे नाराज होकर किसानों ने हंगामा खड़ा कर दिया था। जबलपुर के हरे मटर को एक जिला एक उत्पाद की श्रेणी में रखा गया है बावजूद इसके जन प्रतिनिधियों और प्रशासन की उदासीनता के चलते हरे मटर की ग्लोबल ब्रांडिंग नहीं हो पा रही है और बंपर पैदावार करने के बावजूद भी मटर के किसानों को वाजिब दामों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।