मप्र में संगठन कार्यकर्ता माधुरी बेन एक साल के लिए जिलाबदर; वन कटाई और अत्याचार के खिलाफ खड़े आदिवासियों पर हमला

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Jitendra Shrivastava
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मप्र में संगठन कार्यकर्ता माधुरी बेन एक साल के लिए जिलाबदर; वन कटाई और अत्याचार के खिलाफ खड़े आदिवासियों पर हमला

BURHANPUR. जागृत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी बेन को एक साल के लिए जिलाबदर कर दिया गया है। तीन दिन पहले माधुरी बेन ने कलेक्टर न्यायालय में चल रहे प्रकरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। मामले में सुनवाई बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बाद शुक्रवार को कलेक्टर भव्या मित्तल ने आदेश जारी कर माधुरी बेन को जिलाबदर कर दिया। माधुरी बेन पिछले तीन साल से संगठन के साथ जिले में सक्रिय हैं। उन पर कई बार अतिक्रमण कराने के आरोप लगे और कई केस भी दर्ज हुए।



माधुरी बेन की गतिविधियों को प्रशासन ने संदिग्ध बताया था



जिले के जंगलों में पिछले कई साल से अतिक्रमणकारी सक्रिय हैं। साल 2018 से जंगलों की अवैध कटाई में तेजी आई। साल 2020 के आखिरी में दलित आदिवासी जागृत संगठन जिले में सक्रिय हुआ और अवैध कटाई को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगा। घाघरला और आसपास के क्षेत्र में दो साल पहले प्रशासन की कार्रवाई के दौरान भी संगठन के सक्रिय होने की बात सामने आई थी। इस दौरान भी माधुरी बेन का नाम खुलकर सामने आया था। पिछले एक साल में लगातार जंगलों में अतिक्रमण और प्रशासन से संघर्ष के बीच माधुरी बेन की गतिविधियों को प्रशासन ने संदिग्ध बताया था। इसको लेकर वन विभाग ने प्रतिवेदन प्रस्तुत कर उनके खिलाफ जिलाबदर कार्रवाई करने की बात कही थी। 



माधुरी बेन को बुरहानपुर जिले की सीमा से निष्कासित किया



इसी मामले में कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण चल रहा था। 15 मई के वन विभाग के प्रतिवेदन के बाद 30 जून और 4 जुलाई को माधुरी बेन ने तर्क रखने के लिए समय मांगा। इसी बीच माधुरी बेन ने हाईकोर्ट में 4 जुलाई को याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 6 जुलाई को आदेश पारित कर याचिका को निरस्त कर दिया। हाईकोर्ट के आदेशानुसार यह स्पष्ट कहा है कि कार्रवाई राज्य के हित में की जा रही है। इसके बाद कलेक्टर भव्या मित्तल ने माधुरी बेन को एक वर्ष के लिए 7 जुलाई 2024 तक बुरहानपुर जिले की सीमा से निष्कासित किया है।



माधुरी बेन को पहले से ही पता था कि हिंसा होने वाली है



72 पेज का निष्कासन आदेश हुआ जारी माधुरी बेन के जिलाबदर का मामला 15 मई को वन मंडलाधिकारी के प्रतिवेदन प्रस्तुत होने के बाद शुरू हुआ। इसके बाद कलेक्टर न्यायालय में 12 पेशियां हुईं। 21 घंटे तक साक्ष्य परीक्षण चला। 6 घंटे तक माधुरी बेन का प्रतिपरीक्षण हुआ। प्रकरण में 6 सरकारी और 6 गैरसरकारी गवाह प्रस्तुत हुए। इसमें गैर सरकारी गवाह किसान और मजदूर की गवाही अहम रही। गवाहों के बयान के आधार पर यह बात सामने आई कि माधुरी बेन को आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मकोड़िया गाड़ा घाट और गोलखेड़ा में अलग-अलग समय पर एक ही तरह का भाषण देते हुए देखा गया। माधुरी बेन ने वनमंडलाधिकारी को 24 नवंबर 2022 को वाट्सएप पर लिखा था रोकना, एकमात्र विकल्प। जंगल कटने के बाद आप कुछ नहीं कर पाएंगे। उसके बाद हिंसा और प्रतिहिंसा बहुत महंगा पड़ेगा। इससे स्पष्ट होता है कि माधुरी बेन को पहले से ही पता था कि हिंसा होने वाली है। इन सभी साक्ष्य के आधार पर 72 पेज का निष्कासन आदेश जारी हुआ है।



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अतिक्रमण और हिंसा के मामलों में शामिल होने की बात भी कही



सैकड़ों लोगों के साथ कलेक्टर कार्यालय घेरा, रात में भी यहीं जमे रहे जंगल कटाई के विरोध और वनाधिकार पट्‌टा दिलाने को लेकर माधुरी बेन ने पिछले कुछ वर्षों में लोगों के साथ कलेक्टर कार्यालय को कई बार घेरा। यहां तक कि सभी ने रात भी यहीं गुजारी। ऐसे आंदोलन को लेकर पुलिस-प्रशासन से उनकी कई बार बहस भी हुई। बिना अनुमति धरना देने पर पुलिस ने केस भी दर्ज किया। अतिक्रमण और हिंसा के कई मामलों में वन विभाग ने माधुरी बेन के शामिल होने की बात भी कही।


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