भारतीय समाज संसार के सबसे संतुलित समाजों में से एक है। यहां की बहुसंख्यक आबादी के परिवारों का ताना-बाना पितृ सत्तात्मक है, लेकिन हम अपनी जन्मभूमि को पितृभूमि नहीं, मातृभूमि कहते हैं। हमारे यहां माता और पिता दोनों को एक साथ प्रणाम करने की परंपरा है। इस सबके साथ ही हम सभी संस्कृतियों को अपने में समाविष्ट करने वाले लोग भी हैं। इसी प्रक्रिया में हमारी परंपरा में मदर्स डे और फादर्स डे भी जुड़ गए हैं। अगर पुरानी परंपरा से मनाया जाता तो यह दोनों दिवस पर एक साथ ही होते लेकिन नए चलन में मातृ दिवस और पितृ दिवस अलग-अलग तारीखों पर आते हैं।
भारतीय परंपरा से ही बात करें तो हमारे यहां हर मनुष्य के ऊपर तीन तरह के ऋण होते हैं। देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। इस तरह से देखें तो फादर्स डे हमें पितृ ऋण चुकाने का मौका देता है। फादर्स डे की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिताधर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये मातृ-दिवस के पूरक उत्सव के रूप में हुई। यह हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता है। फादर्स डे को विश्व में विभिन तारीखों पर मनाते है- जिसमें उपहार देना, पिता के लिए विशेष भोज एवं पारिवारिक गतिविधियां शामिल हैं। आम धारणा के विपरीत, वास्तव में फादर्स डे सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 19 जून 1910 को मनाया गया था। कई महीने पहले 6 दिसम्बर 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मारे गए 210 पिताओं के सम्मान में इस विशेष दिवस का आयोजन एक महिला ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने किया था। प्रथम फादर्स डे चर्च आज भी सेन्ट्रल यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के नाम से फेयरमोंट में मौजूद है।
परिवार के सुख की खातिर पिता नहीं देखते पूंजी
पिता अपने परिवार के लिए प्रतिदिन कार्य करते हैं और उससे जो भी पूंजी प्राप्त होती है, वह परिवार के सुख के लिए लगा देते हैं। यदि आसान शब्दों में कहे तो पिता हमारे परिवार का एक महत्वपूर्ण आधार होता है, जो किसी भी तरह की समस्याओं से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं। पिता के बारे में जितना कहे उतना कम है। पिता परिवार के महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक होते हैं। वह अपनी खुशियों का बलिदान देकर अपने बच्चों और परिवार की खुशियों का ध्यान रखते हैं। वह अपने बच्चों से प्यार भी करते हैं और बच्चे गलत कार्य करते हैं तो उन्हें डांटते भी है। अपने बच्चों के बेहतर भविष्य और ख़ुशी के खातिर वे मेहनत करने से कभी नहीं कतराते हैं। इसलिए हर साल पिता के सम्मान के लिए फादर डे मनाया जाता है।
हर बेटी चाहती है अपने पिता जैसा पति
माँ के बाद अगर कोई हमारे दिल के अत्यधिक करीब होता है, वो है हमारे पिता, पिता का प्यार माँ की तरह दिखता नहीं है, लेकिन पिता ही है जो हमें अंदर से मजबूत बनाते है। दुनिया में अच्छे बुरे की परख हमें पिता ही देते है। कहते हैं बेटियां अपने पिता के बहुत करीब होती है. बेटी हमेशा अपने पिता जैसा जीवन साथी चाहती हैं। पिता के लिए उसकी बेटी हमेशा एक राजकुमारी होती है। बेटे भी अपने पिता को देख कर बड़े होते है, जैसी उनकी आदतें होती है, वही अपनाते है। पिता अपनी ख़ुशी छोड़ अपने बच्चों के लिए मेहनत करते हैं, त्याग, सदभावना की भावना उनके अंदर होती है। जिस तरह हम माँ के सम्मान के लिए मदर्स डे मनाते हैं, उसी तरह पिता के प्यार को सम्मान देने के लिए फादर्स डे मनाया जाता है।
पिता हैं हर समस्या का समाधान
जीवन में पिता का होना बहुत जरूरी होता है, पिता से ही बच्चों की पहचान है। उनका प्रेम अनमोल होता है, माता पिता के आशीर्वाद से दुनिया की बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। कोई भी समस्या हो उसका समाधान पिता के पास होता है, बच्चों को पिता की महत्ता का पता तब चलता है, जब वे खुद माता-पिता बनते हैं, तो और अधिक होता है। इसलिए इस फादर्स डे पर अपने पिता के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करें। हम उनका आदर और सम्मान तो करते ही हैं लेकिन कई बार व्यस्तताओं के चलते उन्हें उसका एहसास नहीं करा पाते। बेहतर होगा समारोह पूर्वक एक जश्न की शक्ल में फादर्स डे मनाएं और अपने जीवनदाता को खुशी की संजीवनी दें।