SOOTRADHAR: मप्र के 40 लाख किसानों को रबी सीजन के लिए नहीं मिलेगा बीज

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 खेती को लाभ का धंधा बनाने के सरकार के बहुत बड़े दावे है मगर कैसे... खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है.. इस पर करोड़ों रु. फूंक दिए गए.. अभी तक कोई ठोस नतीजा निकला नहीं है.. खेती तभी लाभ का धंधा बन सकती है जब लागत से ज्यादा मुनाफा हो.. ये अर्थशास्त्र का बेहद सरल नियम है। जितनी लागत है उससे ज्यादा फसल के दाम मिले.. लेकिन इसबार रबी सीजन में तो लागत की कॉस्ट भी बढ़ने वाली है.. और खेती भी अच्छी होगी इसपर भी संदेह के बादल नजर आ रहे है.. क्योंकि मप्र बीज निगम जो किसानों को बीज देता है उसने किसानों को बीज बेचने में अपने हाथ पीछे खींच लिए है।