चीन से पांच दिन के दौरे से लौटकर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने दिखाए अपने तेवर, प्रेसिडेंट प्रवक्ता ने कहा- यही सरकार की नीति

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Jitendra Shrivastava
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चीन से पांच दिन के दौरे से लौटकर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने दिखाए अपने तेवर, प्रेसिडेंट प्रवक्ता ने कहा- यही सरकार की नीति

इंटरनेशनल डेस्क. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन से लौटते ही कह दिया कि भारत 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटा लें। मीडिया रिपोर्ट्स में मालदीव के प्रेसिडेंट ऑफिस के प्रवक्ता अब्दुल्ला नजीम इब्राहिम ने कहा कि भारतीय सैनिक मालदीव में नहीं रह सकते। राष्ट्रपति मुइज्जू और उनकी सरकार की यही नीति है। इससे पहले उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है। समुद्री सुरक्षा और आपदा राहत कार्यों में मदद के लिए मालदीव में फिलहाल 88 भारतीय सैनिक मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच सैनिकों को हटाए जाने से जुड़ी बातचीत के लिए हाई-लेवल कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी से रविवार को मालदीव के विदेश मंत्रालय के साथ पहली बैठक की। इस मीटिंग में भारत के हाई कमिश्नर मुनू महावर भी मौजूद रहे।

मुइज्जू ने चीन दौरे पर शी जिनपिंग से मुलाकात की

मुइज्जू शनिवार को चीन की पांच दिवसीय यात्रा से स्वदेश लौटे थे। उन्होंने मालदीव पहुंचते ही कह दिया था कि हमारा देश भले ही छोटा है, लेकिन हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है। हालांकि, मुइज्जू ने प्रत्यक्ष तौर पर किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना भारत की तरफ है। चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने पांच दिन के अपने चीन दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। उनका ये दौरा ऐसे समय पर हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को सस्पेंड किया गया। इस मामले को लेकर भारत और मालदीव दोनों देशों में राजनयिक विवाद बढ़ा हुआ है।

हाई लेवल कमेटी गठित करने पर सहमति बनी

अभी तक विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने COP28 में कहा था कि भारत सरकार ने मालदीव में मौजूद अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है। राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था- भारत सरकार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत हुई है। भारत ने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमति जताई है। डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए भी एक हाई लेवल कमेटी गठित करने पर भी सहमति बनी है।

विपक्षी दलों ने 'इंडिया आउट' अभियान शुरू किया

भारत ने 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और 2020 में मालदीव को एक छोटा विमान तोहफे के तौर पर दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर 'इंडिया फर्स्ट' नीति अपनाने का आरोप लगाया था। भारत का कहना है कि उपहार में दिए गए विमान का इस्तेमाल खोज-बचाव अभियानों और मरीजों को लाने के लिए किया जाना था। मालदीव की सेना ने 2021 में बताया था कि इस विमान के संचालन और उसकी मरम्मत के लिए भारतीय सेना के 70 से ज्यादा जवान देश में मौजूद हैं। इसके बाद मालदीव के विपक्षी दलों ने 'इंडिया आउट' अभियान शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि भारतीय सुरक्षा बल के जवान मालदीव छोड़ें। जनवरी की शुरुआत में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू राष्ट्रपति मुइज्जू से भारत की सैन्य मौजूदगी के मुद्दे पर सवाल पूछा गया था। सवाल था कि भारत अपने सैनिकों को बाहर निकालने की आपकी जिद से चिंतित है। यदि वे जाते हैं, तो नौसेना के हेलिकॉप्टरों और विमानों जैसी भारतीय संपत्तियों या प्लेटफॉर्म्स का क्या होगा। इसने स्थानीय लोगों की जान बचाने और अन्य HADR गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?

भारत मालदीव के लोगों की इच्छा का सम्मान करेगा

इस साल के राष्ट्रपति चुनावों में मालदीव के लोगों ने यह साफ कर दिया था कि वो देश में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी नहीं चाहते हैं। फिलहाल, भारत ही ऐसा देश है, जिसके सैनिक यहां मौजूद हैं। मालदीव के नागरिकों की इच्छा को देखते हुए ही मैंने भारत से अपने सैनिकों को हटाने के लिए कहा है। मुझे पूरा भरोसा है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत मालदीव के लोगों की इच्छा का सम्मान करेगा। मेरा मानना है कि हमारे द्विपक्षीय रिश्ते इतने मजबूत हैं कि दोनों देश बातचीत के जरिए इस मसले का हल निकाल सकें। साथ ही बगैर सैन्य उपस्थिति के अपने रिश्तों को और मजबूत कर सकें। मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि भारत या कोई भी अन्य देश जिसके हित हिंद महासागर से जुड़े हैं, वो हमारे नागरिकों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगा।

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