उज्जैन में महाकाल को बांधी गलंतिका, भगवान के शीश पर जल धारा होगी प्रवाहित, जानिए क्या है परंपरा, कैसे हुए शुरू

author-image
The Sootr
एडिट
New Update
उज्जैन में महाकाल को बांधी गलंतिका, भगवान के शीश पर जल धारा होगी प्रवाहित, जानिए क्या है परंपरा, कैसे हुए शुरू

UJJAIN. पंचांगीय गणना के अनुसार 7 अप्रैल, शुक्रवार से वैशाख मास का आरंभ हो गया। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गलंतिका बांधी गई। वैशाख मास में शिप्रा स्नान का विशेष महत्व है। श्रद्धालु वैशाख प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक माह शिप्रा स्नान करेंगे। वैशाख में कल्पवास का विशेष महत्व है। अनेक साधु-संत उज्जैन में शिप्रा तट पर कल्पवास करने के लिए उज्जैन पहुंच गए हैं। चैत्र पूर्णिमा से उन्होंने अग्नि स्नान अर्थात धूना तापना भी शुरू कर दिया है।



सुबह 6 से शाम 4 बजे तक होगा भगवान का जलाभिषेक



उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 6 बजे से भगवान को शीतलता के लिए 11 मिट्टी के कलश बांधकर सतत् जलधारा प्रवाहित करने के लिए गलंतिका बांधी गई। दो महीने तक सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक भगवान के शीश पर ठंडे पानी से अभिषेक होगा। वैशाख महीना शुरू होने के साथ ही मोक्षदायिनी शिप्रा नदी पर भी स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं।



ये भी पढ़ें...






वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से मानी जाती है गर्मी की शुरुआत 



श्री महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। कहा जाता है कि वैशाख व ज्येष्ठ दो माह अत्यधिक गर्मी वाले होते हैं। 



वैशाख मास में शिप्रा स्नान का विशेष महत्व 



वैशाख मास में शिप्रा स्नान का विशेष महत्व है। देश भर के श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने पहुंचते हैं। इस दौरान वैशाख प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक माह शिप्रा स्नान करने भी जाते हैं। वैशाख में कल्पवास के साथ ही दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।



पौराणिक कथा: विष की उष्णता कम करने होता है जलाभिषेक



पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने विष पान किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार गरल अग्निशमन के लिए ही भगवान का जलाभिषेक किया जाता है। गर्मी के दिनों में विष की उष्णता और बढ़ जाती है, इसलिए मिट्टी के कलशों से शीतल जलधारा प्रवाहित की जाती है। 



शिप्रा में स्थान के स्वास्थ्य और अध्यामिक फायदें



वैशाख में उत्तर वाहिनी शिप्रा में स्नान करने से ज्वर रोग का शमन होता है। स्कंद पुराण के अवंतिखंड में इसका उल्लेख है। जो श्रद्धालु मासपर्यंत स्नान नहीं कर सकते हैं, वे वैशाख के आखिरी पांच दिन भी शिप्रा स्नान कर लें तो पूरे माह स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है।


जल धारा होगी प्रवाहित महाकाल को बांधी गलंतिका ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर MP News Shipra bath water stream will flow Mahakal to band Galantika Jyotirlinga Mahakal Temple एमपी न्यूज शिप्रा स्नान