कमलेश सारडा, NEEMUCH. कहते हैं लगन, मेहनत और जुनून एक साथ मिल जाए तो तमाम विपरीत हालात भी सफलता को रोक नहीं पाते। ऐसा ही कुछ खास कर दिखाया है नीमच जिले के मनासा कस्बे के युवक रविकांत ने। जिसने अपने हौसले और जुनून के दम पर आसमान में उड़ान भरने की पहली सीढ़ी सफलतापूर्वक पार कर ली है। माता पिता ने उसके इस सपने को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत से साथ दिया।
बचपन से आसमान नापने का था सपना
मनासा कस्बे की द्वारिकापुरी धर्मशाला के पास देवेंद्र चौधरी पानी पूरी का ठेला बरसों से लगा रहे हैं। परिवार की आजीविका का यही एक साधन था। देवेंद्र का बेटा रविकांत बचपन से ही पानी पूरी के ठेले पर पिता का काम में हाथ तो बटाता था। जमीन पर रहकर सुविधाओं से दूर जीवन जी रहे रविकांत के जहन में सपना आसमान नापने का था। वो पढ़ाई करता गया और अपने सपने को पूरा करने की दिशा में भी बढ़ता गया।
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पहले ही अटेम्प्ट में (AFCAT) किया क्लियर
माता-पिता ने भी रविकांत का सपना पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हर कदम पर साथ दिया। आखिरकार वो दिन आया और रविकांत ने खूब तैयारी करके भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर की परीक्षा में सफलता पा ही ली। उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में एएफसीएटी क्लियर कर लिया। हैदराबाद में अगले प्रशिक्षण के लिए जैसे ही पत्र रविकांत के घर आया तो परिवार ही नहीं पड़ोसियों की भी खुशी का ठिकाना न रहा। अब जनप्रतिनिधि भी उसे बधाई देते थक नहीं रहे हैं। जगह-जगह रविकांत और उसके माता पिता का सम्मान हो रहा है।
पिता के साथ बेचते थे पानीपुरी
रविकांत फ्री समय में या जब भी पिता कहीं जाते थे, तब पानी पुरी के ठेले पर आकर लोगों को पानी पुरी खिलाते थे, वे इस काम में पिता की मदद करते थे, इस प्रकार आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद भी पिता देवेंद्र ने अपने बेटे के लिए हर संभव प्रयास किया, वहीं बेटे ने भी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई कर एयरफोर्स में पायलट बनकर प्रदेश का नाम रोशन कर दिया है। रविकांत ने बताया कि उन्होंने एयरफोर्स में जाने के लिए 10 वीं कक्षा से ही मन बना लिया था, 12 वीं के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षाएं दी, जिसमें उन्हें करीब चार साल मेहनत करने के बाद सफलता हाथ लगी है।
पेरेंट्स के सपोर्ट और बिना कोचिंग के बने पायलट
रविकांत चौधरी ने बताया कि नीमच छावनी है। यहां सीआरपीएफ का बड़ा ट्रेनिंग सेंटर है। उसी को देखते हुए देश सेवा का जज्बा मन में जागा। जब 10th में थे, तब इस फील्ड में आने का सोचा और जानकारी जुटाना शुरू की। इसके बाद मन में कुछ करने की सोच, देश सेवा के लिए सीआरपीएफ और आर्मी को छोड़ वायुसेना को चुना। देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह ने हौसला दिया। माता-पिता का भी सपोर्ट मिला। बिना कोचिंग के घर पर ही इंटरनेट की मदद से पढ़ाई की। चार साल की मेहनत के बाद एयरफोर्स में पहले ही अटेम्प्ट में सिलेक्शन हो गया।