भोपाल में लगभग 94 साल बाद महिलाओं को मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है। इस पहल की शुरुआत ईदगाह स्थित नजमुल मस्जिद से हुई है, जहां 30 अगस्त को जुमे की नमाज अदा करने के लिए करीब तीन दर्जन महिलाएं पहुंचीं।
मस्जिद कमेटी ने महिलाओं के लिए खास इंतजाम किए हैं, जिसमें पर्दे की व्यवस्था और वुज़ू की सुविधा शामिल है। नजमुल मस्जिद की यह पहल पूरे हिंदुस्तान के लिए एक संदेश बनकर उभरी है।
पहले से चली आ रही है परंपरा
भोपाल की मस्जिदों में महिलाओं के नमाज पढ़ने की परंपरा 1819 से 1930 के बीच चार बेगमों के शासनकाल में प्रचलित थी। इस परंपरा की शुरुआत नवाब बेगम कुदसिया जहां ने जामा मस्जिद से की थी। हालांकि, 1930 में नवाब सुल्तान जहां बेगम के निधन के बाद सामाजिक बदलावों के चलते यह परंपरा समाप्त हो गई। अब नजमुल मस्जिद में इस परंपरा को पुनर्जीवित किया गया है, जिसमें रमजान के दौरान महिलाओं की तरावीह ( विशेष नमाज ) की भी तैयारी की जा रही है।
दूसरे शहरों में भी होगा लागू
नजमुल मस्जिद के पास स्थित कैंसर और टीबी अस्पतालों में मरीजों की देखभाल करने वाली महिलाओं की परेशानी को ध्यान में रखते हुए मस्जिद कमेटी ने यह व्यवस्था की है। इस पहल को महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और इसे अन्य शहरों में भी लागू करने की जरूरत पर जोर दिया गया है।
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