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अजय छाबरिया, BHOPAL. कोई मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं। हारा वहीं जो लड़ा नहीं... ये कविता की पंक्तिया कुंवर नारायण की हैं, जो भोपाल के शाश्वत पांडेय पर बिल्कुल सही साबित होती है। शाश्वत अभी महज 21 साल के है और उन्होंने भोपाल से संगीत की शुरुआत की। उन्होंने 'जानू न जानू जा दिल में है तूं...' गीत के बोल लिखकर स्वयं गाए भी हैं, जो लोगों को काफी पसंद आ रहा है। गीत को लॉन्च करने में उनके अलावा उनके दो दोस्तों की टीम ने भी साथ दिया। यश भोजवानी पियानो और युवराज गिटार बजाते हैं।
स्कूल में जीता था कॉम्पटीशन
शाश्वत ने बताया कि घर पर पता नहीं था कि मैं गाना गा सकता हूं। स्कूल की पढ़ाई के समय संगीत कॉम्पटीशन हुआ था, जिसमें मैंने भी भाग लिया था। इसकी तैयारी घर पर ही की। जब कॉम्पटीशन हुआ तो मैं जीत गया।
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भोपाल से की थी शुरुआत
भोपाल में शुरुआती दौर में मेरे सबसे पहले गुरु शैलेन्द्र नारायण थे, जिनसे मैंने पहली बार कुछ सीखा था। संगीत के लिए जब मैं भोपाल से बैंगलोर आया तो यहां बहुत कुछ सीखा। कैसे आवाज को मधुर बनते है और कैसे आवाज में भाव भरते है ये सब कुछ मैंने अपने गुरु उत्कर्ष साठे से सीखा। इनकी वजह से मेरी आवाज में काफी सुधार आया।
मेरे लिए अभी और बहुत कुछ सीखना है
शाश्वत ने बताया मेरे लिए अभी और बहुत कुछ सीखना है। किसी भी मुकाम को पाने के लिए सबसे पहले अनुशासित होना बहुत जरूरी है। कई लोग नौकरी करते हैं और संगीत की प्रैक्टिस भी। उनके पास बहुत कम समय रहता है। मैं लकी हूं कि स्कूल के समय से संगीत सीख रहा हूं। मैंने मनोरंजन के साधनों और दोस्तों के साथ बहुत कम टाइम स्पेंड किया।
तीनों दोस्तों की भोपाल में हुई थी मुलाकात
हम तीनों दोस्तों की मुलाकात भोपाल में 5 साल पहले हुई थी। इसके बाद हमने साथ में प्रैक्टिस की। फिर भोपाल से बाहर जाने के लिए सोचा। तीनों ही बैंगलोर में मिलकर संगीत बनाते हैं। यश भोजवानी पियानो और युवराज गिटार बजाता है। मैं लिखता हूं। बचपन से ही मुझे माता-पिता ने संगीत के लिए काफी प्रोत्साहित किया। हमेशा कहते थे कि क्लासिकल सीखो और अच्छा सुनो।