इंदौर में केक्स एंड क्राफ्ट के ओनर मनीष के खुदकुशी के बाद दोस्त ने लिखा- सैकड़ों दोस्त होने के बाद भी किसी से नहीं की दिल की बात 

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The Sootr CG
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इंदौर में केक्स एंड क्राफ्ट के ओनर मनीष के खुदकुशी के बाद दोस्त ने लिखा- सैकड़ों दोस्त होने के बाद भी किसी से नहीं की दिल की बात 

संजय गुप्ता, INDORE. केक्स एंड क्राफ्ट के ओनर मनीष लुल्ला की आत्महत्या में दो दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस को अभी तक उनका मोबाइल नहीं मिला है। हालांकि फोन पर घंटी जा रही है। पुलिस मोबाइल कंपनियों से टॉवर लोकेशन लेकर उसे तलाशने में लगी है। परिजन अभी भी सदमे मे हैं। वहीं करीबी दोस्त भी उन्हें याद करते हुए बार-बार भावुक हो रहे हैं। हर कोई उन्हें जिंदादिल इंसान बता रहा है, जो हर समय अपने लोगों के साथ मुस्कारते हुए बात करता था। उनके बचपन के दोस्त एक ही कॉलोनी में साथ खेलने वाले जगतकुमार ने द सूत्र को बताया कि एक-दो दिन में वह अपने कुछ दोस्तों के साथ लोनावला जाने का प्रोग्राम बना रहे थे। उन्हें मनीष से बात करके कभी नहीं लगा कि उन्हें कोई परेशानी है। 



सोशल मीडिया पर दोस्त की भावुक पोस्ट



जगत ने सोशल मीडिया पर उनके लिए एक संदेश भी लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है- मनीष भाई का चले जाना बहुत परेशान कर रहा है। एक बहुत अच्छा दोस्त असमय चला गया और अपने पीछे विलाप करते परिवार, सगे- सम्बन्धियों और दोस्तों के लिए ढेर सारे सवाल छोड़ गया !! इतना सामाजिक, पारस्परिक, धन-विषयक, प्रतिस्पर्धी भार अपने ऊपर लेना कितना सही है या कितना गलत ?? शव यात्रा में आए 300-400 दोस्तों में से 1-2-4 भी ऐसे दोस्त क्या ना थे, जिनके साथ वह अपने दिल की बात कर सकता, कुछ हल निकालने का प्रयास करता ? अति संवेदनशील होना भी बड़ी समस्या है। अति संवेदनहीन होना भी उतनी ही बड़ी समस्या है।



समस्या का समाधान ढूंढने की करेंगे कोशिश - जगत



मेरे अपने मतानुसार आज हमें हमारे समाज की (जिन्हें हम स्वयं अपना सम आज बनाते हैं जिनके साथ हम अपना अधिकतम समय बिताते हैं) संरचना और संचालन इस प्रकार करें कि हम हर प्रकार की गतिविधियों में सम्मिलित हो, जिससे कि हमारा शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक विकास सम्भव हो सके। किसी के भी कष्ट को अगर थोड़ा सा भी कम करने योग्य हम सहायक बन सकते हैं। तो हमें आगे बढ़कर अपना सहयोग पेश कर देना चाहिए। मेरे आवास के द्वार सदैव खुले हैं, मैं स्वयं सदैव उपलब्ध हूं, मेरा फोन सदैव चालू है। आप के किसी भी वार्तालाप के लिए, मुझे नहीं पता मैं आपकी हर परेशानी का हल निकाल सकूंगा या ना निकाल। लेकिन अपने विवेक से और अपने अनुभव से आपकी समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास जरूर करुंगा।



उधर लुल्ला का उठावना आज 7 अक्टूबर (शुक्रवार) शाम को चोइथराम अस्पताल के पास गुरू अमरदास हॉल में शाम चार से पांच बजे तक रखा गया है।


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