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हरीश दिवेकर। दो दिन बाद महाकाल की नगरी में शिव दीपावली मनाने की जोर-शोर से तैयारियां शुरू हो चुकी है। प्रदेश के हर शिवायलय में बम-बम भोले और हर-हर महादेव के नारे लगेंगे। उधर, एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण वाले बयान पर पलटवार करते हुए राजनीति में उबाल ला दिया है। ओवैसी का कहना है कि सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल मुसलमान कर रहे हैं, उनकी आबादी बढ़ नहीं, घट रही है। भागवत डेटा रखकर बात नहीं करते। देश-प्रदेश की खबरें तो आपको ओर भी कहीं पढ़ने को मिल जाएंगी, लेकिन राजनीति और मंत्रालय के गलियारों के अंदर की खुसर-पुसर तो आपको सिर्फ बोल हरि बोल में ही मिलेंगी। तो अब आप सीधे नीचे उतर आईए और पढ़िए क्या मची है हलचल...
सोशल मीडिया जिंदाबाद..
सोनिया-राहुल के रणनीतिकार इन दिनों सोशल मीडिया जिंदाबाद कहते फिर रहे हैं। राहुत की भारत जोड़ो यात्रा के प्लान में सबसे बड़ा रोड़ा मीडिया कवरेज का था। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का मानना था कि कितना भी फंड लगा लें, लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया में उनके हिसाब से कवरेज नहीं मिलेगा। ऐसे में रणनीतिकारों ने मेन स्ट्रीम मीडिया को छोड़ अपना पूरा फोकस सोशल मीडिया पर रखने की सलाह दी। उनका ये आइडिया काम कर गया। कांग्रेस के नेता भी इस बात को मान रहे हैं कि सोशल मीडिया न होता तो आज राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का अता-पता न होता। राहुल कहां और किस लिए यात्रा कर रहे हैं, इसका भी पता नहीं चलता। इस बात की हर पल जानकारी सोशल मीडिया पर ही अपडेट हो रही है। मेन स्ट्रीम का मीडिया राहुल की यात्रा को लेकर मुंह में गुड़ रखकर बैठ गया है।
कमिश्नरी सिस्टम में साहब का फाइनल सॉल्यूशन
इंदौर के कमिश्नरी सिस्टम में लॉ एंड ऑर्डर कैसे काम कर रहा है। इसका एक नजारा तो आपको नजर आ ही गया कि एक अदने से थानेदार को सस्पेंड करने के लिए खुद सीएम को मोर्चा संभालना पड़ा। हम आपको ऐसा ही एक ओर बाहुबली रिटायर्ड खाकी वाले से मिलवाते हैं। ये साहब सीएसपी के पद से रिटायर्ड हुए हैं, लेकिन आज भी खाकी का जलवा पेले हुए हैं। जमीन-मकान का कब्जा लेना हो या फिर प्रॉपर्टी से लेकर पैसों के लेन-देन का मामला सुलझाना हो, तो आप रिटायर्ड खाकी वाले साहब से विजयनगर में जाकर मिल लीजिए। कमिश्नर के फोन पर काम हो न हो, लेकिन इन साहब के एक फोन पर थानेदार-सीएसपी तत्काल रिजल्ट देते हैं। मौका पड़ने पर ये तोड़-बट्टा की जिम्मेदारी भी निभा लेते हैं। इसलिए इन साहब को लोगों ने फाइनल सॉल्यूशन नाम दे रखा है। इसमें मंत्री की पार्टनरी बताई जा रही है। फाइनल सॉल्यूशन में होने वाले शुभ-लाभ का मोटा हिस्सा मंत्री बंगले पर इमानदारी से पहुंच जाता है। वैसे भी अब इमानदार लोग कम ही बचे हैं, सो मंत्री का भी ब्लाइंड सपोर्ट रहता है। मंत्री का नाम जानने के लिए बैचेन हैं तो आप अपने हरिरामों को दौड़ाइए पूरी कुंडली मिल जाएगी।
एसीएस का हाइपरटेंशन
अपर मुख्य सचिव के हाइपरटेंशन से विभाग के अधिकारी बड़े परेशान हैं। साहब भी इतने चतुर हैं कि जब भी उन्हें सेक्रेटरी, एडिशनल सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और अंडर सेक्रेटरी को चमकाना होता है तो वे अफसर के बाबू को भी साथ में बुलाते हैं, बैठक में सीधे अफसर को चमकाने की बजाए बाबू पर राशन-पानी लेकर चढ़ जाते हैं। एसीएस को बेकाबू होता देख बाबू की सीटी-पीट्टी तो गुम होती ही है साथ में अधिकारी भी सकते में आ जाते हैं। शुरू में साहब का ये खेल बहुत चला, लेकिन अब अधीनस्थों को समझ आ गया कि साहब हमें चमकाने के लिए बाबूओं पर हाथ साफ कर रहे हैं। यही वजह है कि अब अधिनस्थ अफसर साहब के पास से कल्टी मारने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं।
रिटायर्ड आईएएस का सपना राज्यसभा सदस्य बनना
अपने जमाने में तेजतर्रार रहे रिटायर्ड आईएएस अब राज्यसभा का नामित सदस्य बनना चाहते हैं। दरअसल राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह कला,साहित्य, खेल या अन्य क्षेत्र के 12 लोगों को नामांकित कर सकते हैं। साहब ने राज्यसभा जाने के लिए संघ का दामन थाम रखा है। साहब ने नौकरी में रहते ही संघ में अच्छी-खासी पैठ बना ली थी, लेकिन रिटायरमेंट से पहले ही उनके गृह नक्षत्र बिगड़ गए और बड़े साहब की नाराजगी के चलते साहब का रिटायरमेंट बड़ा खराब रहा। इसके चलते साहब का पुनर्वास भी नहीं हो पाया। हालांकि साहब अभी उम्मीद नहीं हारे हैं। अभी भी संघ के संपर्क में रहकर साहित्यिक लेखन कर जड़े मजबूत करने में लगे हैं। अब ये समय बताएगा कि संघ की नजदीकी उनके सपने को पूरा करने में कितनी सहायक होती है।
छुट्टी मांगना पड़ा भारी
प्रमोटी आईएएस को प्रमुख सचिव से छुट्टी मांगना भारी पड़ गया। दरअसल इन साहब की प्रमुख सचिव से पटरी नहीं बैठ रही है। साहब ने इनसे पीछा छुड़ाने की जुगत लगाकर लंबी मेडिकल लीव के लिए आवेदन कर दिया। प्रमुख सचिव भी ठहरे घाघ अफसर, उन्होंने आवेदन पर लिख दिया कि आप मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होइए, बोर्ड लिखकर देगा तो आपकी मेडिकल लीव मंजूर हो जाएगी। साहब ने पांसा उलटा पड़ता देख जीएडी कार्मिक में पीएस की प्रताड़ना को लेकर शिकायत की है। साहब ने गुहार लगाई है कि वो यहां नहीं रहना चाहते कहीं ओर पदस्थ कर दिजिए।
एक गांव में डाका पड़ा
ग्वालियर महापौर पद हारने के बाद बीजेपी ने जिलाध्यक्ष को शहीद कर दिया गया है। संगठन के इस एक्शन पर पूर्व जिलाध्यक्ष राज चडढ़ा ने अपनी फेसबुक वॉल पर तंज कसते हुए इशारों ही इशारों में रिएक्शन दिया। चडढ़ा लिखते हैं कि एक गांव में डाका पड़ा, उस गांव की सुरक्षा में आईजी, डीआईजी, एसपी, एडिशनल एसपी, सीएसपी, टीआई, दरोगा और हजारों सिपाही तैनात थे। गांव में डाके के बाद चौकी-प्रभारी को लाइन हाजिर कर दिया। चडढ़ा की पोस्ट सिंधी समाज के लोग जमकर वायरल कर रहे हैं, करें भी क्यों न उनका एक ही तो प्रतिनिधि था, जिसे भाई लोगों ने हार की भेंट चढ़ा दिया।
सूर्य का तेज रहा फीका
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के भाजयुमो राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या कब जबलपुर आए, कब सभा की, कब चले गए। किसी को पता ही नहीं चला। ये सब कुछ हुआ स्थानीय नेताओं की आपसी खींचतान से। दरअसल एक युवा नेता की अभिलाषा विधायक बनने की है। अपना रंग जमाने तेजस्वी को जबलपुर बुलाया, लेकिन स्थानीय नेताओं की आपसी खींचतान में युवा नेता का रंग जमना तो दूर उलट तेजस्वी की चमक फीकी पड़ गई। न तो उन्हें बीजेपी संभागीय कार्यालय में अपना कार्यक्रम करने की जगह मिली और न ही स्थानीय नेताओं का साथ। कहते हैं ना बात निकली है, दूर तलक यानी दिल्ली तक जाएगी। युवा नेता भी अब ऐसा ही कुछ कहकर स्थानीय नेताओं को चमका रहे हैं।