ग्वालियर-चंबल ही रहेगा विधानसभा चुनावों का एपी सेंटर, रविदास जयंती मनाने कल आ रहे कमलनाथ और शिवराज; यहीं से मिलेगी सत्ता की चाबी?

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Vijay Choudhary
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ग्वालियर-चंबल ही रहेगा विधानसभा चुनावों का एपी सेंटर, रविदास जयंती मनाने कल आ रहे कमलनाथ और शिवराज; यहीं से मिलेगी सत्ता की चाबी?

देव श्रीमाली,GWALIOR. 5 फरवरी को संत रविदास जयंती है और कहने को न तो संत रविदास का जन्म ग्वालियर में हुआ और ना ही उनका सीधा कोई संपर्क इस अंचल से रहा लेकिन प्रदेश के दोनों दल यानी कांग्रेस और बीजेपी संत रविदास जयन्ती मनाने ग्वालियर-चंबल में ही जुट रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह चौहान भिंड में तो कांग्रेस चीफ ग्वालियर में उन्हें नमन करेंगे। लेकिन नमन तो एक बहाना है दोनों ही दल इसके बहाने अपना शक्ति प्रदर्शन करेंगे और इसके पीछे छुपा है आगामी कुछ महीने बाद होने वाले प्रदेश के विधानसभा चुनावों में हार जीत का डर। 2018 की तरह इस बार भी चुनावों में सत्ता तक पहुंचाने का एपी सेंटर इसी अंचल के बनने के आसार ने सियासी दलों को हिलाकर रख दिया है। सबको लगता है कि सत्ता की चाबी इस बार भी इसी अंचल की जनता थमायेगी।





रविदास जयंती का चयन क्यों ?





5 फरवरी को रविदास जयंती के बहाने कांग्रेस हो या बीजेपी अंचल में अपना चुनावी अभियान शुरू करने जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ 5 फरवरी को पूरा दिन मुरैना और ग्वालियर में बिताएंगे। पहला मौका है जब वे इतना लंबा वक्त अंचल में गुजारेंगे। वे इस दौरान शादी, समारोह और शोक के बहाने कई नेताओ के घर जाएंगे और कई समाजों के प्रतिनिधिमंडलों से भेंट और मुलाकातें करेंगे। हालांकि सार्वजनिक कार्यक्रम एक ही है। वो है संत रविदास जयंती समारोह।





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थाटीपुर में होगा कार्यक्रम 





इस आयोजन का स्थल भी सोच समझकर तय किया गया है। ये ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के थाटीपुर में होगा। इसी इलाके में 2018 में दलित और सवर्ण संघर्ष हुआ था और इसमें 2 लोगों की जान भी गयी थी और दोनों पक्षों के सैकड़ों युवाओं के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किए गए थे। इसके बाद ये विवाद पूरे चंबल- ग्वालियर अंचल में फैल गया था जिसका खामियाजा पूरे संभाग में बीजेपी को भुगतना पड़ा था। बीजेपी अंचल की 34 में से महज 6 सीट ही जीत सकी थी। आरक्षित 7 में से उसे सिर्फ एक सीट मिली थी। हालांकि उप चुनाव में बीजेपी को थोड़ी राहत मिली लेकिन गोहद, डबरा, करैरा आरक्षित सीटें फिर भी हार गई और ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा का सवाल मानी जाने वाली ग्वालियर पूर्व सीट से कांग्रेस के सतीश सिकरवार ने धमाकेदार जीत हासिल की। अब कांग्रेस ने उसी इलाके में रविदास जयंती मनाने का निर्णय लेकर दलितों को साधे रखने की कोशिश की है।





कमलनाथ के मुकाबले सिंधिया संभालेंगे मोर्चा 





संत रविदास जयंती के बहाने जहां कांग्रेस बड़ा इवेंट करने की तैयारी में है। इसमें बड़ी भीड़ जुटाने के लिए कवायद की जा रही है वहीं बीजेपी ने इसके मुकाबले का जिम्मा केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपा है। सिंधिया दोपहर में ग्वालियर आएंगे और लक्ष्मण तलैया इलाके में स्थित दलित बस्ती में आयोजित रविदास जयंती के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे ।





सीएम शिवराज भिंड-ग्वालियर में रहेंगे





5 फरवरी को सीएम शिवराज सिंह दोपहर में भिंड पहुंचेंगे और वहां चंबल संभाग की विकास यात्राओं का शुभारम्भ करेंगे। यहां करोड़ों के निर्माण कार्यों के भूमिपूजन और लोकार्पण करेंगे। ये आयोजन भी संत रविदास जयंती पर आयोजित हो रहा है। सीएम शाम को ग्वालियर आएंगे और RSS के चलाए जा रहे  हॉस्पिटल में कैथ लेब का उदघाटन करेंगे। इसमें सिंधिया और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर भी शिरकत करेंगे। 





इस बार का भी एपी सेंटर यही क्षेत्र रहेगा?





2018 में हवा एकदम पलट जाने के चलते बीजेपी की 15 साल की जमी जमाई सरकार एकदम भर-भराकर गिर पड़ी थी और वनवास झेल रही कांग्रेस की झोली में जा गिरी थी। कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बन भी गई थी, लेकिन लोकसभा चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया की पराजय ने उनका मूड ऑफ कर दिया और इसका खामियाजा कमलनाथ की सरकार को भुगतना पड़ा। सिंधिया समर्थक विधायकों के एकसाथ दल-बदल ने कमलनाथ की सरकार गिराकर एक बार फिर शिवराज सिंह की ताजपोशी कर दी। लेकिन तब से हालात सुधरे ऐसा नजर नहीं आया। उपचुनाव में बहुत जोर लगाने के बावजूद अंचल में कई सीटें बीजेपी हार गई। मुरैना और ग्वालियर नगर निगमों के मेयर पद उसके हाथ से जाते रहे। इस बात का आभास शिवराज सिंह को भी और कमलनाथ को भी है। लिहाजा दोनों अब इसी क्षेत्र पर फोकस कर अपनी चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में है। बीजेपी के लिए दलित और पिछड़े वोटों को वापिस बीजेपी के साथ लाने के साथ सिंधिया के आने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं में पनपी असुरक्षा की भावना और बढ़ती अनुशासनहीनता को दूर करना एक बड़ी चुनौती है।



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